सारी जिन्दगी जीते रहे हम ख्वाबों में
होती नहीं खुशबू कभी काग़जी गुलाबों में
जुदा हो गए हम मिलने से पहले ही
कुछ तो रही है कमी हमारे भी हिसाबों में
भूल हो गई हमसे उनको समझने में ही
छिपा रखा था उसने खुद को जो हिज़ाबों में
न रहा कोई हमसे मुहब्बत करने वाला अब
हम भी तो हैं अब जहां के खाना खराबों में
मुहब्बत में वो सब नज़र नहीं आया कभी
हमने जो कुछ भी पढ़ा था किताबों में
मरता नहीं कोई.....
मरता नहीं कोई किसी से जुदा होने पर
अफसोस जरूर होता है किसी को खोने पर
लम्हात जो होते हैं बीते हुए जमानों के
घेर लेते हैं अक्सर तनहा होने पर
होने लगता है अहसास गमों में खुशी का
जिन्दगी आसान लगती है तज़र्बा होने पर
कौन क्या है और कितने पानी में है
लगता है पता सामने आईना होने पर
दिल में कितनी मुहब्बत है किसके लिए
पता लगता है अक्सर जुदा होने पर
अफसोस जरूर होता है किसी को खोने पर
लम्हात जो होते हैं बीते हुए जमानों के
घेर लेते हैं अक्सर तनहा होने पर
होने लगता है अहसास गमों में खुशी का
जिन्दगी आसान लगती है तज़र्बा होने पर
कौन क्या है और कितने पानी में है
लगता है पता सामने आईना होने पर
दिल में कितनी मुहब्बत है किसके लिए
पता लगता है अक्सर जुदा होने पर
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Mr. Rakesh Ranjan
दर्दे दिल है....
दर्दे दिल है और आँखों में पानी है
हाँ यही, बस यही, मेरी कहानी है
ऐ खुदा रखना हरा इसको सदा
यह जख्म दोस्त की दी निशानी है
जानी है जबसे हकीकत उसकी
ये दुनिया लगने लगी बेगानी है
मेरा तज़रबा तो कहता है यही
छोटी उमर में इश्क करना नादानी है
सबके इश्क में मिलेगी-बू-ए-हवस
'राकेश' का इश्क उल्फते-रूहानी है
हाँ यही, बस यही, मेरी कहानी है
ऐ खुदा रखना हरा इसको सदा
यह जख्म दोस्त की दी निशानी है
जानी है जबसे हकीकत उसकी
ये दुनिया लगने लगी बेगानी है
मेरा तज़रबा तो कहता है यही
छोटी उमर में इश्क करना नादानी है
सबके इश्क में मिलेगी-बू-ए-हवस
'राकेश' का इश्क उल्फते-रूहानी है
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Mr. Rakesh Ranjan
धीरे-धीरे चलना होगा....
धीरे-धीरे चलना होगा
गिरकर भी संभलना होगा
जीवन के इस राह में यारों
गमों से भी मिलना होगा
बिछड़े हैं जो आज भी हमसे
कल उनसे भी मिलना होगा
गम मिले या खुशियाँ हमको
फूलों जैसा हँसना होगा
जब तक सांस है बाकी
यादों में ही जलना होगा
गिरकर भी संभलना होगा
जीवन के इस राह में यारों
गमों से भी मिलना होगा
बिछड़े हैं जो आज भी हमसे
कल उनसे भी मिलना होगा
गम मिले या खुशियाँ हमको
फूलों जैसा हँसना होगा
जब तक सांस है बाकी
यादों में ही जलना होगा
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Mr. Rakesh Ranjan
मुझको तुम अपना...
मुझको तुम अपना कहते हो
इसीलिए अच्छे लगते हो
जिससे मैंने धोखा खाया
तुम भी बिल्कुल उन जैसे हो
कैसे मानूँ बात मैं तेरी
तुम तो दुनिया के झूठे हो
तुम तो चाहो दौलत-शोहरत
कदर वफा की कब करते हो
तुमको प्यार पे यकीं नहीं है
कल उसके थे, अब इसके हो
सच को सच कहते हो
सबको तुम कड़वे लगते हो
इसीलिए अच्छे लगते हो
जिससे मैंने धोखा खाया
तुम भी बिल्कुल उन जैसे हो
कैसे मानूँ बात मैं तेरी
तुम तो दुनिया के झूठे हो
तुम तो चाहो दौलत-शोहरत
कदर वफा की कब करते हो
तुमको प्यार पे यकीं नहीं है
कल उसके थे, अब इसके हो
सच को सच कहते हो
सबको तुम कड़वे लगते हो
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मैं ख्वाबों से निकलना...
मैं ख्वाबों से निकलना चाहता हूँ
तुम्हारे साथ-साथ चलना चाहता हूँ
दर्द है क्या, समझाने की खातिर
मैं तुमसे दिल बदलना चाहता हूँ
जिया हूँ मैं इक पत्थर की तरह
अब बनके मोम जलना चाहता हूँ
वफा करने से कुछ हासिल नहीं है
जफा में अब, मैं पलना चाहता हँ
गमों में तो जला हूँ मैं अब
तेरी खुशियों में ढलना चाहता हूँ
तुम्हारे साथ-साथ चलना चाहता हूँ
दर्द है क्या, समझाने की खातिर
मैं तुमसे दिल बदलना चाहता हूँ
जिया हूँ मैं इक पत्थर की तरह
अब बनके मोम जलना चाहता हूँ
वफा करने से कुछ हासिल नहीं है
जफा में अब, मैं पलना चाहता हँ
गमों में तो जला हूँ मैं अब
तेरी खुशियों में ढलना चाहता हूँ
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Mr. Rakesh Ranjan
अब तो वक्त कुछ.....
अब तो वक्त कुछ यूँ गुजारना होगा
अहसां जिन्दगी का उतारना होगा
साथ मेरे कोई चले न चले
खुद को तूफां में उतारना होगा
किसी में बुराई देखने से पहले
हमें खुद को भी तो संवारना होगा
यकीनन दौरे-इश्क आएगा मगर
दिल से इस नफरत को मारना होगा
गर तनहा सफर नहीं होता
अब हमसफर को पुकारना होगा
अहसां जिन्दगी का उतारना होगा
साथ मेरे कोई चले न चले
खुद को तूफां में उतारना होगा
किसी में बुराई देखने से पहले
हमें खुद को भी तो संवारना होगा
यकीनन दौरे-इश्क आएगा मगर
दिल से इस नफरत को मारना होगा
गर तनहा सफर नहीं होता
अब हमसफर को पुकारना होगा
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इन्सां को मुहब्बत....
पत्थरों पे कर लेना तुम यकीं
लेकिन इन्सानों पर करना नहीं
इन्सां को मुहब्बत मिले जहां से
करता है ये दगा, आखिर वहीं
खुदा-ए-इश्क तुम कहते हो जिसे
मतलबे-इश्क तक उसे पता नहीं
उजले जिस्म की चाह रखने वालों
कीमते-साफदिल तुम्हें पता नहीं
आस न छोड़ उससे इंसाफ की
खुदा के घर देर है अंधेर नहीं
लेकिन इन्सानों पर करना नहीं
इन्सां को मुहब्बत मिले जहां से
करता है ये दगा, आखिर वहीं
खुदा-ए-इश्क तुम कहते हो जिसे
मतलबे-इश्क तक उसे पता नहीं
उजले जिस्म की चाह रखने वालों
कीमते-साफदिल तुम्हें पता नहीं
आस न छोड़ उससे इंसाफ की
खुदा के घर देर है अंधेर नहीं
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तुमसे पहले मैंने....
तुमसे पहले मैंने किसी पे यकीं किया न था
इस धोखे से पहले कोई धोखा हुआ न था
तेरी नजरों का स्पर्श दिल में घर कर गया
तुमसे पहले तो किसी ने इस तरह देखा न था
क्या पता कैसी होती हैं बियाबान की रातें
शाम के बाद घर से मैं कभी निकला न था
अब मैं समझा उसकी इस नाकामयाबी का सबब
हौसला करके वो पूरा राह पे चला न था
इन हुस्न वालों से न रखिए वफा की उम्मीद
वक्त पे देंगे ये धोखा यह कहता न था
इस धोखे से पहले कोई धोखा हुआ न था
तेरी नजरों का स्पर्श दिल में घर कर गया
तुमसे पहले तो किसी ने इस तरह देखा न था
क्या पता कैसी होती हैं बियाबान की रातें
शाम के बाद घर से मैं कभी निकला न था
अब मैं समझा उसकी इस नाकामयाबी का सबब
हौसला करके वो पूरा राह पे चला न था
इन हुस्न वालों से न रखिए वफा की उम्मीद
वक्त पे देंगे ये धोखा यह कहता न था
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Mr. Rakesh Ranjan
हमसे हर किसी ने
हमसे हर किसी ने बस इतना ही वास्ता रक्खा
सिर्फ गरज के लिए ही हमको अपना आशना रक्खा
हमने जिसको भी चाहा, तहे दिल से चाहा मगर
सभी ने दिलों के दरमियां सदा फासिला रक्खा
जहाँ तक याद है, मैंने सबसे वफा निभाईं है
फिर भी हर किसी ने मेरा नाम बेवफा रक्खा
असलियत जान जाएंगे तो लौट आएंगे वो भी
इसी आस में हमने दरवाजा-ए-दिल खुला रक्खा
अपनों के चेहरे भी आए नज़र बेगाने हमें
जब भी हमने उनके आगे आईना रक्खा
सिर्फ गरज के लिए ही हमको अपना आशना रक्खा
हमने जिसको भी चाहा, तहे दिल से चाहा मगर
सभी ने दिलों के दरमियां सदा फासिला रक्खा
जहाँ तक याद है, मैंने सबसे वफा निभाईं है
फिर भी हर किसी ने मेरा नाम बेवफा रक्खा
असलियत जान जाएंगे तो लौट आएंगे वो भी
इसी आस में हमने दरवाजा-ए-दिल खुला रक्खा
अपनों के चेहरे भी आए नज़र बेगाने हमें
जब भी हमने उनके आगे आईना रक्खा
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Mr. Rakesh Ranjan
ग़ज़ल : हुस्न तेरा इक...
हुस्न तेरा इक जलता दरिया
इश्क मेरा है पिघलता दरिया
रूह-बदन गर मिल जाएं दोनों के
दिल बन जाएगा मचलता दरिया
टूटेंगी अगर ये रस्मों की दीवारें
इश्क बन जाएगा चलता दरिया
मत हो खफा तू मेरी वफा से
हिलने दे वफा का हिलता दरिया
बिन हर्फों के 'राकेश' कैसे लिक्खें
रूका है ग़ज़ल का चलता दरिया
इश्क मेरा है पिघलता दरिया
रूह-बदन गर मिल जाएं दोनों के
दिल बन जाएगा मचलता दरिया
टूटेंगी अगर ये रस्मों की दीवारें
इश्क बन जाएगा चलता दरिया
मत हो खफा तू मेरी वफा से
हिलने दे वफा का हिलता दरिया
बिन हर्फों के 'राकेश' कैसे लिक्खें
रूका है ग़ज़ल का चलता दरिया
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Mr. Rakesh Ranjan
प्यार का ये पहला ही खत
प्यार का ये पहला ही खत है कोई बताए क्या-क्या लिखूँ
बातें दिल में आज बहुत हैं समझ न आए क्या-क्या लिखूँ
खत में पहले क्या लिखते हैं मुझको कुछ मालूम नहीं
तज़रबा नहीं खत लिखने का कोई बताए क्या-क्या लिखूँ
लिखकर उसका हाल मैं पूंछूं या अपना ही हाल कहूँ
कशमकश में हूँ बड़ी देर से समझ न आए क्या-क्या लिखूँ
नावाकिफ है जो उल्फत से मेरी अब तक उसे
राजे दिल मैं कैसे लिखूँ कोई बताए क्या-क्या लिखूँ
बातें दिल में आज बहुत हैं समझ न आए क्या-क्या लिखूँ
खत में पहले क्या लिखते हैं मुझको कुछ मालूम नहीं
तज़रबा नहीं खत लिखने का कोई बताए क्या-क्या लिखूँ
लिखकर उसका हाल मैं पूंछूं या अपना ही हाल कहूँ
कशमकश में हूँ बड़ी देर से समझ न आए क्या-क्या लिखूँ
नावाकिफ है जो उल्फत से मेरी अब तक उसे
राजे दिल मैं कैसे लिखूँ कोई बताए क्या-क्या लिखूँ
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शाख़ से टूटकर पत्ते...
शाख़ से टूटकर पत्ते दोबारा नहीं चिपका करते
दिल से बनाए हुए रिश्ते कभी नहीं टूटा करते
पहला-पहला ये प्यार ही कुछ होता है ऐसा
दिले आशिक जिसको भूलकर भी नहीं भूला करते
प्यार करके वो मुझे भूल गए हो, कैसे मानूं
जो दिल में रहते हैं वो दिल से नहीं जाया करते
मौत तो आती है हमारे तुम्हारे जिस्मों को ही
प्यार के रिश्ते अमर हैं, ये नहीं टूटा करते
जो कहते हो सच कहते हो इसलिए हम
मुस्तहिके-रब्त तेरे सिवा ओर को नहीं समझा करते
दिल से बनाए हुए रिश्ते कभी नहीं टूटा करते
पहला-पहला ये प्यार ही कुछ होता है ऐसा
दिले आशिक जिसको भूलकर भी नहीं भूला करते
प्यार करके वो मुझे भूल गए हो, कैसे मानूं
जो दिल में रहते हैं वो दिल से नहीं जाया करते
मौत तो आती है हमारे तुम्हारे जिस्मों को ही
प्यार के रिश्ते अमर हैं, ये नहीं टूटा करते
जो कहते हो सच कहते हो इसलिए हम
मुस्तहिके-रब्त तेरे सिवा ओर को नहीं समझा करते
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Mr. Rakesh Ranjan
मुझको कलेजे से लगाए...
मुझको कलेजे से लगाए कोई
जिन्दगी में आप-सा आए कोई
बुझ सके न जो उमर भर के लिए
शम्मा-ए-इश्क ऐसी जलाए कोई
वादा करता हूँ हर खुशी दूंगा
मगर शर्त है वफा निभाए कोई
दिल में है जो वही चेहरे पे हो
हकीकत से रू-ब-रू कराए कोई
मेरी तमन्ना तो है यही
अपने दिल में मुझे बसाए कोई
जिन्दगी में आप-सा आए कोई
बुझ सके न जो उमर भर के लिए
शम्मा-ए-इश्क ऐसी जलाए कोई
वादा करता हूँ हर खुशी दूंगा
मगर शर्त है वफा निभाए कोई
दिल में है जो वही चेहरे पे हो
हकीकत से रू-ब-रू कराए कोई
मेरी तमन्ना तो है यही
अपने दिल में मुझे बसाए कोई
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Mr. Rakesh Ranjan
जब कभी तुम तनहा...
जब कभी तुम तनहा बैठोगे
खुद से होकर खफा बैठोगे
यादें मेरी घेरेंगी तुमको
दिल कर जब यकजा बैठोगे
होंगी तभी दूर सब कमियां
लेकर अगर आईना बैठोगे
सबकी नज़र से गिर जाओगे
होकर अगर बेवफा बैठोगे
खुदा भी न करेगा माफ तुम्हें
'राकेश' से अगर जुदा बैठोगे
खुद से होकर खफा बैठोगे
यादें मेरी घेरेंगी तुमको
दिल कर जब यकजा बैठोगे
होंगी तभी दूर सब कमियां
लेकर अगर आईना बैठोगे
सबकी नज़र से गिर जाओगे
होकर अगर बेवफा बैठोगे
खुदा भी न करेगा माफ तुम्हें
'राकेश' से अगर जुदा बैठोगे
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Mr. Rakesh Ranjan
बेशक मुझसे आज...
बेशक मुझसे आज खफा है
वो जैसा भी है मेरा है
कहने से नहीं टूटते रिश्ते
अपना तो अपना होता है
जीवन में रूठने मनाने का
अपना इक अलग मजा है
वह रूठे हैं तो मन जाएंगे
न मैं बुरा हूँ न वो बुरा है
कहती हैं ये हिचकियां मुझको
याद मुझे वो भी करता है
नींद नहीं मुझको भी आती
वो भी तो तारे गिनता है
मांगी दुआ तुम्हें पाने की
टूटा जब कोई तारा है
तू मिले तो सब मिला समझूं
'राकेश' मुझे जग से क्या लेना है
वो जैसा भी है मेरा है
कहने से नहीं टूटते रिश्ते
अपना तो अपना होता है
जीवन में रूठने मनाने का
अपना इक अलग मजा है
वह रूठे हैं तो मन जाएंगे
न मैं बुरा हूँ न वो बुरा है
कहती हैं ये हिचकियां मुझको
याद मुझे वो भी करता है
नींद नहीं मुझको भी आती
वो भी तो तारे गिनता है
मांगी दुआ तुम्हें पाने की
टूटा जब कोई तारा है
तू मिले तो सब मिला समझूं
'राकेश' मुझे जग से क्या लेना है
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Mr. Rakesh Ranjan
तुम इक मुद्दत....
तुम इक मुद्दत बाद मिले हो
सुनाओ हमें तुम कैसे हो
दिल में रहना छोड़ा तूने
फिर आजकल कहाँ रहते हो
आज भी हमसे रूठे हुए हो
तुम बिल्कुल भी नहीं बदले हो
कह दो जो कुछ भी है कहना
चुपचाप होकर क्यों खड़े हो
लगते हो 'राकेश' तुम भी पागल
जहाँ छोड़ा था वहीं खड़े हो
सुनाओ हमें तुम कैसे हो
दिल में रहना छोड़ा तूने
फिर आजकल कहाँ रहते हो
आज भी हमसे रूठे हुए हो
तुम बिल्कुल भी नहीं बदले हो
कह दो जो कुछ भी है कहना
चुपचाप होकर क्यों खड़े हो
लगते हो 'राकेश' तुम भी पागल
जहाँ छोड़ा था वहीं खड़े हो
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Mr. Rakesh Ranjan
जिगर में रहकर भी....
जिगर में रहकर भी वो जुदा हो जैसे
मगर फिर भी लगे है अपना हो जैसे
मिलता भी है तो ऐसे मिलता है वो
दरमियां जन्मों का फासिला हो जैसे
उसके लिए सबसे लड़ने चला, तो लगा
उसका इश्क मेरा हौसला हो जैसे
ख्वाबों में भी नहीं आता वो आजकल
ऐसे लगता है भूल गया हो जैसे
किसी पे कभी एतबार करके तो देख
लगेगा पत्थर में भी, खुदा हो जैसे
तेरी बातों से साफ पता चलता है
'राकेश' तुमने भी प्यार किया हो जैसे
मगर फिर भी लगे है अपना हो जैसे
मिलता भी है तो ऐसे मिलता है वो
दरमियां जन्मों का फासिला हो जैसे
उसके लिए सबसे लड़ने चला, तो लगा
उसका इश्क मेरा हौसला हो जैसे
ख्वाबों में भी नहीं आता वो आजकल
ऐसे लगता है भूल गया हो जैसे
किसी पे कभी एतबार करके तो देख
लगेगा पत्थर में भी, खुदा हो जैसे
तेरी बातों से साफ पता चलता है
'राकेश' तुमने भी प्यार किया हो जैसे
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नींव पड़ी थी.....
नींव पड़ी थी अपने रिश्तों की
बात हो जैसे कई बरसों की
मिलते थे जहाँ पे छुप-छुप के
याद है, बाड़ थी वह सरसों की
बिछुड़े मुद्दत हुई हमें फिर भी
बात लगती है कल-परसों की
तुम तो इक साल भी न साथ चले
बात करते थे सात-जन्मों की
बारहा उसकी याद जो लाएं
छोड़िये बात ऐसे सपनों की
जब भी दिया हमको गम ही दिया
क्या कहें 'राकेश' ऐसे अपनों की
बात हो जैसे कई बरसों की
मिलते थे जहाँ पे छुप-छुप के
याद है, बाड़ थी वह सरसों की
बिछुड़े मुद्दत हुई हमें फिर भी
बात लगती है कल-परसों की
तुम तो इक साल भी न साथ चले
बात करते थे सात-जन्मों की
बारहा उसकी याद जो लाएं
छोड़िये बात ऐसे सपनों की
जब भी दिया हमको गम ही दिया
क्या कहें 'राकेश' ऐसे अपनों की
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Mr. Rakesh Ranjan
मेरे खत का.....
मेरे खत का कुछ यूँ जवाब भेजा है
बंद लिफाफे में लाल गुलाब भेजा है
बू-ए-वफा आ रही है इस गुल से
नए तौर से इश्क का ख़िताब भेजा है
जश्न का माहौल है आज मेरे दिल में
मेरे सवाल का सही जवाब भेजा है
मुरझाया हुआ चेहरा फिर खिल गया
मेरे लिए ईलाज-ए-इज्तिराब भेजा है
'राकेश' खोल दी है तेरी किस्मत उसने
बनाके हकीकत हर ख्वाब भेजा है
बंद लिफाफे में लाल गुलाब भेजा है
बू-ए-वफा आ रही है इस गुल से
नए तौर से इश्क का ख़िताब भेजा है
जश्न का माहौल है आज मेरे दिल में
मेरे सवाल का सही जवाब भेजा है
मुरझाया हुआ चेहरा फिर खिल गया
मेरे लिए ईलाज-ए-इज्तिराब भेजा है
'राकेश' खोल दी है तेरी किस्मत उसने
बनाके हकीकत हर ख्वाब भेजा है
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Mr. Rakesh Ranjan
करूं मैं तेरा इंतजार...
करूं मैं तेरा इंतजार कब तक आखिर कब तक
चलेंगी ये साँसे चार कब तक आखिर कब तक
मुझसे मिलने का इरादा तो बना, कोशिश तो कर
सोएंगे ये पहरेदार कब तक आखिर कब तक
मुझे अब ओर कोई काम नहीं इस जिद्द के सिवा
होगा न तेरा दीदार कब तक आखिर कब तक
कभी न कभी तो आएगा दौर उल्फ़ते-रूहानी का
ज़िस्म बिकेगा सरे बाज़ार कब तक आखिर कब तक
शबे-तार भी हो जाती है तबदील सुबह में 'राकेश'
फिर मुझे न मिलेगा प्यार कब तक आखिर कब तक
चलेंगी ये साँसे चार कब तक आखिर कब तक
मुझसे मिलने का इरादा तो बना, कोशिश तो कर
सोएंगे ये पहरेदार कब तक आखिर कब तक
मुझे अब ओर कोई काम नहीं इस जिद्द के सिवा
होगा न तेरा दीदार कब तक आखिर कब तक
कभी न कभी तो आएगा दौर उल्फ़ते-रूहानी का
ज़िस्म बिकेगा सरे बाज़ार कब तक आखिर कब तक
शबे-तार भी हो जाती है तबदील सुबह में 'राकेश'
फिर मुझे न मिलेगा प्यार कब तक आखिर कब तक
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Mr. Rakesh Ranjan
खुद को मेरा दोस्त....
खुद को मेरा दोस्त बताने वाले
तुम भी निकले मुझे सताने वाले
झूठे भी हो तुम फरेबी भी हो
सब हुनर हैं तुझमें जमाने वाले
पाँचों उंगलियाँ बराबर नहीं होती
बेवजह मुझको बुरा बताने वाले
मेरे दीदार को तरसते थे कभी
आज हमसे यूँ नज़र चुराने वाले
दिल आसूदा है, तेरा दर्द पाकर भी
ओ बन्दा-नवाज मुझे भुलाने वाले
दिल मुश्ताक़े दीद है 'राकेश' का
मुझको यादों से मिटाने वाले
तुम भी निकले मुझे सताने वाले
झूठे भी हो तुम फरेबी भी हो
सब हुनर हैं तुझमें जमाने वाले
पाँचों उंगलियाँ बराबर नहीं होती
बेवजह मुझको बुरा बताने वाले
मेरे दीदार को तरसते थे कभी
आज हमसे यूँ नज़र चुराने वाले
दिल आसूदा है, तेरा दर्द पाकर भी
ओ बन्दा-नवाज मुझे भुलाने वाले
दिल मुश्ताक़े दीद है 'राकेश' का
मुझको यादों से मिटाने वाले
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Mr. Rakesh Ranjan
ग़ज़ल : दिल बना है मेरा
दिल बना है मेरा शायद गम छिपाने को
आँखें दी हैं खुदा ने आँसू बहाने को
जब से छोड़ा है उसने मुझ दीवाने को
प्यारा लगने लगा हूँ मैं भी जमाने को
उसकी जरूरत है न उसका प्यार लाज़मी
है उसकी याद बहुत दिल बहलाने को
वो नज़र न आई नज़र जो पहचाने मुझे
यूँ तो आँखें दी हैं खुदा ने जमाने को
जहाँ में और भी रहते हैं मेरे सिवा
सबको मिलता है क्यूँ 'राकेश' ही सताने को
आँखें दी हैं खुदा ने आँसू बहाने को
जब से छोड़ा है उसने मुझ दीवाने को
प्यारा लगने लगा हूँ मैं भी जमाने को
उसकी जरूरत है न उसका प्यार लाज़मी
है उसकी याद बहुत दिल बहलाने को
वो नज़र न आई नज़र जो पहचाने मुझे
यूँ तो आँखें दी हैं खुदा ने जमाने को
जहाँ में और भी रहते हैं मेरे सिवा
सबको मिलता है क्यूँ 'राकेश' ही सताने को
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Mr. Rakesh Ranjan
ग़ज़ल : अपना लीजिए
अपना लीजिए या ठुकरा दीजिए
फैसला आज मगर सुना दीजिए
अपना कहने में मुझे, आए गर हया तुझे
समझ जाऊँगा बस मुस्कुरा दीजिए
तुमको चाहता हो गर कोई मेरे सिवा
मुकाबला उसका मुझसे करा दीजिए
तेरी गोद में रखकर सिर सो जाऊँगा
मेरे बालों में हाथ फिरा दीजिए
जिंदगी जीने में आसान हो जायेगी
मये-मुहब्बत मुझको पिला दीजिए
सब कुछ अपना बना लीजे इश्क को
फर्क, धर्म, जात का ये मिटा दीजिए
शेख जी खुद को जो भी कहे पारसा
आईना आज उसको दिखा दीजिए
आने वाला है अब महफिल में 'राकेश'
कहीं दिल, कहीं पलकें बिछा दीजिए।
फैसला आज मगर सुना दीजिए
अपना कहने में मुझे, आए गर हया तुझे
समझ जाऊँगा बस मुस्कुरा दीजिए
तुमको चाहता हो गर कोई मेरे सिवा
मुकाबला उसका मुझसे करा दीजिए
तेरी गोद में रखकर सिर सो जाऊँगा
मेरे बालों में हाथ फिरा दीजिए
जिंदगी जीने में आसान हो जायेगी
मये-मुहब्बत मुझको पिला दीजिए
सब कुछ अपना बना लीजे इश्क को
फर्क, धर्म, जात का ये मिटा दीजिए
शेख जी खुद को जो भी कहे पारसा
आईना आज उसको दिखा दीजिए
आने वाला है अब महफिल में 'राकेश'
कहीं दिल, कहीं पलकें बिछा दीजिए।
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Mr. Rakesh Ranjan
ग़ज़ल : आँखों में बसा लीजे
आँखों में बसा लीजे
पलकों पे बिठा लीजे
सुर्खी बनाकर मुझको
होठों पे लगा लीजे
फूल बनाकर मुझको
बालों में सजा लीजे
चुनरी बनाकर मुझको
सीने से लगा लीजे
कंगना बनाकर मुझको
हाथों में सजा लीजे
बिंदिया बनाकर मुझको
माथे पर लगा लीजे
सिंदुर बनाकर मुझको
मांग में सजा लीजे
कुछ भी बना लीजे पर
मुझको अपना बना लीजे।
पलकों पे बिठा लीजे
सुर्खी बनाकर मुझको
होठों पे लगा लीजे
फूल बनाकर मुझको
बालों में सजा लीजे
चुनरी बनाकर मुझको
सीने से लगा लीजे
कंगना बनाकर मुझको
हाथों में सजा लीजे
बिंदिया बनाकर मुझको
माथे पर लगा लीजे
सिंदुर बनाकर मुझको
मांग में सजा लीजे
कुछ भी बना लीजे पर
मुझको अपना बना लीजे।
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Mr. Rakesh Ranjan
ग़ज़ल : चोरी-चोरी मुझको
चोरी-चोरी मुझको यूँ न देखा कर
क्या-क्या कहेंगे लोग जरा-समझा कर
नींद से बोझल हैं पलकें अब तलक तेरी
मेरी खातिर तू इतना भी न जागा कर
मुझे सोचने में कहीं भूल न जाओ खुद को ही
सोचाकर मुझे मगर इतना भी न सोचा कर
आना है तो आ जाओ जिन्दगी में मेरी
या फिर तू सपनों में भी न आया कर
इश्के-'राकेश' में रंगे-हकीकत नज़र आएगा
दिल को देखाकर, सूरत पे न जाया कर
क्या-क्या कहेंगे लोग जरा-समझा कर
नींद से बोझल हैं पलकें अब तलक तेरी
मेरी खातिर तू इतना भी न जागा कर
मुझे सोचने में कहीं भूल न जाओ खुद को ही
सोचाकर मुझे मगर इतना भी न सोचा कर
आना है तो आ जाओ जिन्दगी में मेरी
या फिर तू सपनों में भी न आया कर
इश्के-'राकेश' में रंगे-हकीकत नज़र आएगा
दिल को देखाकर, सूरत पे न जाया कर
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Mr. Rakesh Ranjan
ग़ज़ल : किताब-ए इश्क
किताब-ए इश्क पढ़ते रहना, शरहें, लिखते रहना
कागज-ए-दिल पे अपनी सारी बातें लिखते रहना
किसने तेरा गम बाँटा और किसने ताने दिए
तुमने जुदाई में कैसे काटी रातें लिखते रहना
यादों के तूफां उठे कब-कब दिल के समन्दर में
कब-कब बेताब हुई मिलने को धड़कनें लिखते रहना
जहन में क्या-क्या चली हैं बातें मुझको ले लेकर
तेरी आँखों ने क्या देखें, सपनें लिखते रहना
खोए हुए मेरे चेहरे को ढूँढा तुमने कब तक आखिर
ढूंढ रही थी कहाँ-कहाँ मुझको आँखें लिखते रहना
'गालिब' 'मीर' 'ज़ोक' की तरह जानेंगे लोग तुम्हें भी
जीवन के हर पहलू पे 'राकेश' ग़ज़लें लिखते रहना।
कागज-ए-दिल पे अपनी सारी बातें लिखते रहना
किसने तेरा गम बाँटा और किसने ताने दिए
तुमने जुदाई में कैसे काटी रातें लिखते रहना
यादों के तूफां उठे कब-कब दिल के समन्दर में
कब-कब बेताब हुई मिलने को धड़कनें लिखते रहना
जहन में क्या-क्या चली हैं बातें मुझको ले लेकर
तेरी आँखों ने क्या देखें, सपनें लिखते रहना
खोए हुए मेरे चेहरे को ढूँढा तुमने कब तक आखिर
ढूंढ रही थी कहाँ-कहाँ मुझको आँखें लिखते रहना
'गालिब' 'मीर' 'ज़ोक' की तरह जानेंगे लोग तुम्हें भी
जीवन के हर पहलू पे 'राकेश' ग़ज़लें लिखते रहना।
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Mr. Rakesh Ranjan
ग़ज़ल : आदत हो गई है
आदत हो गई है सबकी, जुबान से फिरना आजकल
हो गया है इक शौक, मुहब्बत करना आजकल
दिल हर रोज जाने कितने चेहरों पे मरता है
हो गया है किस कदर आसान मरना आजकल
ज़िस्म तक ही महदूद क्यों हो गई हर नज़र
क्यों नहीं चाहता कोई दिल में उतरना आजकल
मशहूर होने के लिए ये कैसा दीवानापन है
करते हैं पसन्द नज़रों से भी गिरना आजकल
आंख बंद करके यकीं कर लेते हो सब पर तुम
है बेवकूफी 'राकेश' ऐसा कुछ करना आजकल
हो गया है इक शौक, मुहब्बत करना आजकल
दिल हर रोज जाने कितने चेहरों पे मरता है
हो गया है किस कदर आसान मरना आजकल
ज़िस्म तक ही महदूद क्यों हो गई हर नज़र
क्यों नहीं चाहता कोई दिल में उतरना आजकल
मशहूर होने के लिए ये कैसा दीवानापन है
करते हैं पसन्द नज़रों से भी गिरना आजकल
आंख बंद करके यकीं कर लेते हो सब पर तुम
है बेवकूफी 'राकेश' ऐसा कुछ करना आजकल
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Mr. Rakesh Ranjan
कितने परवाने जले....
कितने परवाने जले राज ये पाने के लिये,
शमा जलने के लिये है या जलाने के लिये,
रोनेवाले तुझे रोने का सलिका भी नही,
अश्क पाने के लिये है या बहाने के लिये,
तुम तो नादान हो, ना समझोगे ये ज़ालिम दुनिया,
सर चढ़ा लेती है नजरों से गिराने के लिये,
आज करता हुं ये दर्द-ए-ग़म की शिकायत तुम से,
रोज आ जाती है कमबख्त सताने के लिये,
मुझको मालुम था आप आयेंगे मेरे घर पर,
खुद चला आया हुं मै याद दिलाने के लिये,
इश्क ने राज ये अब तक ना बताया है हमें,
सर झुकाने के लिये है या कटाने के लिये ।।।
शमा जलने के लिये है या जलाने के लिये,
रोनेवाले तुझे रोने का सलिका भी नही,
अश्क पाने के लिये है या बहाने के लिये,
तुम तो नादान हो, ना समझोगे ये ज़ालिम दुनिया,
सर चढ़ा लेती है नजरों से गिराने के लिये,
आज करता हुं ये दर्द-ए-ग़म की शिकायत तुम से,
रोज आ जाती है कमबख्त सताने के लिये,
मुझको मालुम था आप आयेंगे मेरे घर पर,
खुद चला आया हुं मै याद दिलाने के लिये,
इश्क ने राज ये अब तक ना बताया है हमें,
सर झुकाने के लिये है या कटाने के लिये ।।।
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Mr. Rakesh Ranjan
कभी तो लिखो ख़त...
कभी तो लिखो ख़त मुझे
कि मैं अभी मरा नहीं
अभी तो हुई लड़ाई है
बात कहाँ हो पाई है
दो चार लाईन लिख तो दो
बुरा भला कह तो दो
भड़ास दिल की निकाल लो
जी भर के मुझको कोस लो
नहीं तो कहोगी तुम सदा
कि मैंने कुछ कहा नहीं
नहीं नहीं नहीं नहीं
कभी तो लिखो ख़त मुझे
कि मैं अभी मरा नहीं
आँखें डबडबा रही
चाल डगमगा रही
ये दिल तुम्हें है सोचता
हर जगह है खोजता
जो तुम न मिल सकी अगर
तो कैसे कटेगी उमर
लाख मनाऊँ दिल को मैं
मगर दिल सम्हलता नहीं
नहीं नहीं नहीं नहीं
कभी तो लिखो ख़त मुझे
कि मैं अभी मरा नहीं
अधूरी बात छोड़ कर
मुझसे मुख मोड़ कर
जब से तुम रूठ गए
ख़्वाब सारे टूट गए
न जाने कैसे दिन ढले
कब और कैसे सांस चले
मैं सुध-बुध खो चुका
मुझे तो कुछ पता नहीं
नहीं नहीं नहीं नहीं
कभी तो लिखो ख़त मुझे
कि मैं अभी मरा नहीं
कि मैं अभी मरा नहीं
अभी तो हुई लड़ाई है
बात कहाँ हो पाई है
दो चार लाईन लिख तो दो
बुरा भला कह तो दो
भड़ास दिल की निकाल लो
जी भर के मुझको कोस लो
नहीं तो कहोगी तुम सदा
कि मैंने कुछ कहा नहीं
नहीं नहीं नहीं नहीं
कभी तो लिखो ख़त मुझे
कि मैं अभी मरा नहीं
आँखें डबडबा रही
चाल डगमगा रही
ये दिल तुम्हें है सोचता
हर जगह है खोजता
जो तुम न मिल सकी अगर
तो कैसे कटेगी उमर
लाख मनाऊँ दिल को मैं
मगर दिल सम्हलता नहीं
नहीं नहीं नहीं नहीं
कभी तो लिखो ख़त मुझे
कि मैं अभी मरा नहीं
अधूरी बात छोड़ कर
मुझसे मुख मोड़ कर
जब से तुम रूठ गए
ख़्वाब सारे टूट गए
न जाने कैसे दिन ढले
कब और कैसे सांस चले
मैं सुध-बुध खो चुका
मुझे तो कुछ पता नहीं
नहीं नहीं नहीं नहीं
कभी तो लिखो ख़त मुझे
कि मैं अभी मरा नहीं
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Mr. Rakesh Ranjan
मेरी महबूबा भी.....
मेरी महबूबा भी
कितनी बड़ी तोप है
आँखें चार किए हुए
हुए नहीं चार दिन
और हज़ारों खंजर का
थोप देती आरोप है
काश !
ये मैं पहले जान लेता
कि जो दे देती है दिल
वही फिर ले लेती है जान
जब बरसता
उसका प्रकोप है
पहले
वो जब खुश थी
तो रेन-फ़ारेस्ट की तरह सब्ज़ था
आजकल
गुस्सा है
तो ठंडा-ठंडा युरोप हैं
जल्लाद से भी बढ़कर
अगर कोई है
तो वो मेरी माशुका है
बिना अंतिम इच्छा पूछे ही
खींच लेती वो रोप है |||
==============================
रेन-फ़ारेस्ट = rain forest
सब्ज़ = हरा-भरा
युरोप = Europe
रोप = rope, रस्सी
==============================
कितनी बड़ी तोप है
आँखें चार किए हुए
हुए नहीं चार दिन
और हज़ारों खंजर का
थोप देती आरोप है
काश !
ये मैं पहले जान लेता
कि जो दे देती है दिल
वही फिर ले लेती है जान
जब बरसता
उसका प्रकोप है
पहले
वो जब खुश थी
तो रेन-फ़ारेस्ट की तरह सब्ज़ था
आजकल
गुस्सा है
तो ठंडा-ठंडा युरोप हैं
जल्लाद से भी बढ़कर
अगर कोई है
तो वो मेरी माशुका है
बिना अंतिम इच्छा पूछे ही
खींच लेती वो रोप है |||
==============================
रेन-फ़ारेस्ट = rain forest
सब्ज़ = हरा-भरा
युरोप = Europe
रोप = rope, रस्सी
==============================
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Mr. Rakesh Ranjan
क्यूँ तबीअत....
क्यूँ तबीअत कहीं ठहरती नहीं
दोस्ती तो उदास करती नहीं
हम हमेशा के सैर-चश्म सही
तुझ को देखें तो आँख भरती नहीं
शब-ए-हिज्राँ भी रोज़-ए-बद की तरह
कट तो जाती है पर गुज़रती नहीं
ये मोहब्बत है, सुन, ज़माने, सुन!
इतनी आसानियों से मरती नहीं
जिस तरह तुम गुजारते हो फ़राज़
जिंदगी उस तरह गुज़रती नहीं
दोस्ती तो उदास करती नहीं
हम हमेशा के सैर-चश्म सही
तुझ को देखें तो आँख भरती नहीं
शब-ए-हिज्राँ भी रोज़-ए-बद की तरह
कट तो जाती है पर गुज़रती नहीं
ये मोहब्बत है, सुन, ज़माने, सुन!
इतनी आसानियों से मरती नहीं
जिस तरह तुम गुजारते हो फ़राज़
जिंदगी उस तरह गुज़रती नहीं
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Mr. Rakesh Ranjan
होठों पे मोहब्बत....
होठों पे मोहब्बत के फसाने नही आते,
साहिल पे समुंद्र के खज़ाने नही आते.
पलके भी चमक उठती हैं सोते में हमारी,
आंखो को अभी ख्वाब छुपाने नहीं आते.
दिल उजडी हुई एक सराये की तरह है,
अब लोग यहा रात बिताने नही आते.
यारो नये मौसम ने ये एहसान किये है,
अब याद मुझे दर्द पुराने नही आते.
उडने दो परिंदो को अभी शोख हवा मे,
फिर लौट के बचपन के ज़माने नही आते.
इस शहर के बादल तेरी ज़ुल्फो की तरह है,
ये आग लगाते है, बुझाने नही आते.
एहबाब भी गैरो की अदा सीख गये है,
आते है मगर दिल को दुखाने नही आते.
साहिल पे समुंद्र के खज़ाने नही आते.
पलके भी चमक उठती हैं सोते में हमारी,
आंखो को अभी ख्वाब छुपाने नहीं आते.
दिल उजडी हुई एक सराये की तरह है,
अब लोग यहा रात बिताने नही आते.
यारो नये मौसम ने ये एहसान किये है,
अब याद मुझे दर्द पुराने नही आते.
उडने दो परिंदो को अभी शोख हवा मे,
फिर लौट के बचपन के ज़माने नही आते.
इस शहर के बादल तेरी ज़ुल्फो की तरह है,
ये आग लगाते है, बुझाने नही आते.
एहबाब भी गैरो की अदा सीख गये है,
आते है मगर दिल को दुखाने नही आते.
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Mr. Rakesh Ranjan
आपसे दोस्ती हम.....
आपसे दोस्ती हम यूं ही नही कर बैठे,
क्या करे हमारी पसंद ही कुछ "ख़ास" है. .
चिरागों से अगर अँधेरा दूर होता,
तोह चाँद की चाहत किसे होती.
कट सकती अगर अकेले जिन्दगी,
तो दोस्ती नाम की चीज़ ही न होती.
कभी किसी से जीकर ऐ जुदाई मत करना,
इस दोस्त से कभी रुसवाई मत करना,
जब दिल उब जाए हमसे तोह बता देना,
न बताकर बेवफाई मत करना.
दोस्ती सची हो तो वक्त रुक जता है
अस्मा लाख ऊँचा हो मगर झुक जता है
दोस्ती मे दुनिया लाख बने रुकावट,
अगर दोस्त सचा हो तो खुदा भी मान जता है.
दोस्ती वो एहसास है जो मिटती नही.
दोस्ती पर्वत है वोह, जोह झुकता नही,
इसकी कीमत क्या है पूछो हमसे,
यह वो "अनमोल" मोटी है जो बिकता नही . . .
सची है दोस्ती आजमा के देखो..
क्या करे हमारी पसंद ही कुछ "ख़ास" है. .
चिरागों से अगर अँधेरा दूर होता,
तोह चाँद की चाहत किसे होती.
कट सकती अगर अकेले जिन्दगी,
तो दोस्ती नाम की चीज़ ही न होती.
कभी किसी से जीकर ऐ जुदाई मत करना,
इस दोस्त से कभी रुसवाई मत करना,
जब दिल उब जाए हमसे तोह बता देना,
न बताकर बेवफाई मत करना.
दोस्ती सची हो तो वक्त रुक जता है
अस्मा लाख ऊँचा हो मगर झुक जता है
दोस्ती मे दुनिया लाख बने रुकावट,
अगर दोस्त सचा हो तो खुदा भी मान जता है.
दोस्ती वो एहसास है जो मिटती नही.
दोस्ती पर्वत है वोह, जोह झुकता नही,
इसकी कीमत क्या है पूछो हमसे,
यह वो "अनमोल" मोटी है जो बिकता नही . . .
सची है दोस्ती आजमा के देखो..
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Mr. Rakesh Ranjan
मैने पीना कब.....
मैने पीना कब सीखा था?
मैने जीना कब सीखा था?
एक बोतल जो टूट गयी तो,
तो महफ़िल सारी रूठ गयी॥
ये दुनिया एक महफ़िल है
और हम इसके मेहमाँ हैं,
हैं कुछ साक़ी और कुछ आशिक़
उम्मीदें हैं ,कुछ अरमाँ हैं॥
आज अगर कुछ शब्द बहे,
तो आखिर दिल से कौन कहे,
प्यार वफ़ा कसमें और वादे
अब इनकी पीड़ा कौन सहे?
पीड़ा को इतिहास बता कर
पीना मैने अब सीखा है।
शायद लोग और कुछ कह दें
पर जीना मैने अब सीखा है॥
मैने जीना कब सीखा था?
एक बोतल जो टूट गयी तो,
तो महफ़िल सारी रूठ गयी॥
ये दुनिया एक महफ़िल है
और हम इसके मेहमाँ हैं,
हैं कुछ साक़ी और कुछ आशिक़
उम्मीदें हैं ,कुछ अरमाँ हैं॥
आज अगर कुछ शब्द बहे,
तो आखिर दिल से कौन कहे,
प्यार वफ़ा कसमें और वादे
अब इनकी पीड़ा कौन सहे?
पीड़ा को इतिहास बता कर
पीना मैने अब सीखा है।
शायद लोग और कुछ कह दें
पर जीना मैने अब सीखा है॥
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Mr. Rakesh Ranjan
किसी दोस्त का प्यार चाहिए....
ना ज़मीन, ना सितारे, ना चाँद, ना रात चाहिए,
दिल मे मेरे, बसने वाला किसी दोस्त का प्यार चाहिए,
ना दुआ, ना खुदा, ना हाथों मे कोई तलवार चाहिए,
मुसीबत मे किसी एक प्यारे साथी का हाथों मे हाथ चाहिए,
कहूँ ना मै कुछ, समझ जाए वो सब कुछ,
दिल मे उस के, अपने लिए ऐसे जज़्बात चाहिए,
उस दोस्त के चोट लगने पर हम भी दो आँसू बहाने का हक़ रखें,
और हमारे उन आँसुओं को पोंछने वाला उसी का रूमाल चाहिए,
मैं तो तैयार हूँ हर तूफान को तैर कर पार करने के लिए,
बस साहिल पर इन्तज़ार करता हुआ एक सच्चा दिलदार चाहिए,
उलझ सी जाती है ज़िन्दगी की किश्ती दुनिया की बीच मँझदार मे,
इस भँवर से पार उतारने के लिए किसी के नाम की पतवार चाहिए,
अकेले कोई भी सफर काटना मुश्किल हो जाता है,
मुझे भी इस लम्बे रास्ते पर एक अदद हमसफर चाहिए,
यूँ तो 'मित्र' का तमग़ा अपने नाम के साथ लगा कर घूमता हूँ,
पर कोई, जो कहे सच्चे मन से अपना दोस्त, ऐसा एक दोस्त चाहिए
दो कदम तो सभी साथ चलते है
जिन्दगी भर कोई साथ निभाहता नहीं
अगर रोकर भुलाई जाती यादे
तो हसकर कोई गम छुपता नहीं
जरुरत नहीं पडती, दोस्त की तस्वीर की.
देखो जो आईना तो दोस्त नज़र आते
दिल मे मेरे, बसने वाला किसी दोस्त का प्यार चाहिए,
ना दुआ, ना खुदा, ना हाथों मे कोई तलवार चाहिए,
मुसीबत मे किसी एक प्यारे साथी का हाथों मे हाथ चाहिए,
कहूँ ना मै कुछ, समझ जाए वो सब कुछ,
दिल मे उस के, अपने लिए ऐसे जज़्बात चाहिए,
उस दोस्त के चोट लगने पर हम भी दो आँसू बहाने का हक़ रखें,
और हमारे उन आँसुओं को पोंछने वाला उसी का रूमाल चाहिए,
मैं तो तैयार हूँ हर तूफान को तैर कर पार करने के लिए,
बस साहिल पर इन्तज़ार करता हुआ एक सच्चा दिलदार चाहिए,
उलझ सी जाती है ज़िन्दगी की किश्ती दुनिया की बीच मँझदार मे,
इस भँवर से पार उतारने के लिए किसी के नाम की पतवार चाहिए,
अकेले कोई भी सफर काटना मुश्किल हो जाता है,
मुझे भी इस लम्बे रास्ते पर एक अदद हमसफर चाहिए,
यूँ तो 'मित्र' का तमग़ा अपने नाम के साथ लगा कर घूमता हूँ,
पर कोई, जो कहे सच्चे मन से अपना दोस्त, ऐसा एक दोस्त चाहिए
दो कदम तो सभी साथ चलते है
जिन्दगी भर कोई साथ निभाहता नहीं
अगर रोकर भुलाई जाती यादे
तो हसकर कोई गम छुपता नहीं
जरुरत नहीं पडती, दोस्त की तस्वीर की.
देखो जो आईना तो दोस्त नज़र आते
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Mr. Rakesh Ranjan
कविता क्या है??
कविता क्या है??
कविता एक भरे हुए दिल की आह -
एक विफल प्रेमी की कराह है .
कविता आंसू हैं दिल के
जो छलक आए है कागज़ पर ...
कविता है बारिश के पानी का छम- छम...
कविता है सूखे पत्तों का मर- मर ..
लेकिन ये न सोचो कविता केवल
थके हारे हुए लोगो की आवाज़ है ...
भर देता है निष्प्राण मुर्दे को
जीवन के स्पंदन से ..
ये वो अनोखा साज़ है ...
और ये है एक माध्यम ...
जो कवि को कर देता है एक
उस अनंत चैतन्य से ...
जिसने ये सारी सृष्टि निर्मित की है ...
जब कवि एक नई कविता रचता है ...
तब क्या वो ही एक नई सृष्टि नही रच रहा होता है ??
जब हँसता है कवि ..
तो वो ही हंस रहा होता है ...
और जब कवि रोता है ..
क्या वो ही नही रोता है !
कविता एक भरे हुए दिल की आह -
एक विफल प्रेमी की कराह है .
कविता आंसू हैं दिल के
जो छलक आए है कागज़ पर ...
कविता है बारिश के पानी का छम- छम...
कविता है सूखे पत्तों का मर- मर ..
लेकिन ये न सोचो कविता केवल
थके हारे हुए लोगो की आवाज़ है ...
भर देता है निष्प्राण मुर्दे को
जीवन के स्पंदन से ..
ये वो अनोखा साज़ है ...
और ये है एक माध्यम ...
जो कवि को कर देता है एक
उस अनंत चैतन्य से ...
जिसने ये सारी सृष्टि निर्मित की है ...
जब कवि एक नई कविता रचता है ...
तब क्या वो ही एक नई सृष्टि नही रच रहा होता है ??
जब हँसता है कवि ..
तो वो ही हंस रहा होता है ...
और जब कवि रोता है ..
क्या वो ही नही रोता है !
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Mr. Rakesh Ranjan
किसने देखा मेरे अन्दर ........
किसने देखा मेरे अन्दर -
किसने झाँका ??
इस जीवन में सदा रहा है
प्रेम का फाँका ...
ना कभी कोई ऐसा आया
जो कभी पीड समझे मन की -
जो समझे भाषा शब्दहीन ,
जो साध मिटा दे जीवन की ...
किसने मुझ को मानव समझा ,
किसने समझे हैं भाव मेरे ?
ना कोई मरहम रखता है ,
है हरे अभी भी घाव मेरे ...
मैं नही मांगता कुछ भारी -
बस इतना - मैं भी एक नर हूँ ,
नर सा व्यवहार करो मुझसे ,
मैं इस विनती का अक्षर हूँ ...
मेरे जीवन के खुले पृष्ठ ,
आ कभी तो झाँक पढो इनमें -
मेरे जीवन के जो अनुभव
पा जाओ शायद कुछ उन में ...
मैं भी तुम सा मानव बन्धु
ना साधू ना वनचारी हूँ ,
मेरी दुनिया भी यही , अरे ,
मैं भी तो इक संसारी हूँ ...
कोई हो जिस से कहूँ व्यथा ,
निज जीवन की कुछ कहूँ कथा ,
वो भी बोले कुछ - सुनु मगन ,
चलती सुंदर ये रहे प्रथा ...
हों एक दूसरे के पूरक -
एक दूजे को सम्पूर्ण करें ,
संतोष , शान्ति औ' आनंद से ,
इस जीवन को आपूर्ण करें .
किसने झाँका ??
इस जीवन में सदा रहा है
प्रेम का फाँका ...
ना कभी कोई ऐसा आया
जो कभी पीड समझे मन की -
जो समझे भाषा शब्दहीन ,
जो साध मिटा दे जीवन की ...
किसने मुझ को मानव समझा ,
किसने समझे हैं भाव मेरे ?
ना कोई मरहम रखता है ,
है हरे अभी भी घाव मेरे ...
मैं नही मांगता कुछ भारी -
बस इतना - मैं भी एक नर हूँ ,
नर सा व्यवहार करो मुझसे ,
मैं इस विनती का अक्षर हूँ ...
मेरे जीवन के खुले पृष्ठ ,
आ कभी तो झाँक पढो इनमें -
मेरे जीवन के जो अनुभव
पा जाओ शायद कुछ उन में ...
मैं भी तुम सा मानव बन्धु
ना साधू ना वनचारी हूँ ,
मेरी दुनिया भी यही , अरे ,
मैं भी तो इक संसारी हूँ ...
कोई हो जिस से कहूँ व्यथा ,
निज जीवन की कुछ कहूँ कथा ,
वो भी बोले कुछ - सुनु मगन ,
चलती सुंदर ये रहे प्रथा ...
हों एक दूसरे के पूरक -
एक दूजे को सम्पूर्ण करें ,
संतोष , शान्ति औ' आनंद से ,
इस जीवन को आपूर्ण करें .
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Mr. Rakesh Ranjan
सोचा करता हूँ कभी कभी...
सोचा करता हूँ कभी कभी -
मैं कौन हूँ क्या पहचान मेरी ?
क्या मैं इक माँ का बेटा हूँ
जिस पर कि नेह बरसता है
माँ के शीतल आँचल में जिसे
बैकुंठ - सा ही सुख मिलता है
या भाई हूँ बहनो का
जिनसे जितना है प्यार मिला
नही अणु धरा पर हैं उतने
औ` ना ही अम्बर में तारे
या प्रेमी हूँ उस बाला का
मन में है जो, और है भी नही
सोचा करता नित उसको ही
जिसका मुझको कुछ पता नही
खोजे चलती हैं नित मन में
प्रश्नों के ज्वार भी उठते हैं
मन लंबे डग ले चलता है
यादों के दल आ जुटते हैं
यह मौन प्रश्न नित मुखरित हो
मेरे ही इस अंतर्मन में
उठता है , कहता है मुझसे
मैं कौन हूँ, क्या पहचान मेरी?
उत्तर जिस दिन पा गया कभी
वह दिवस पता कब आएगा
उस दिन मेरा मन मुझ से ही
पहचान मेरी करवाएगा !!
मैं कौन हूँ क्या पहचान मेरी ?
क्या मैं इक माँ का बेटा हूँ
जिस पर कि नेह बरसता है
माँ के शीतल आँचल में जिसे
बैकुंठ - सा ही सुख मिलता है
या भाई हूँ बहनो का
जिनसे जितना है प्यार मिला
नही अणु धरा पर हैं उतने
औ` ना ही अम्बर में तारे
या प्रेमी हूँ उस बाला का
मन में है जो, और है भी नही
सोचा करता नित उसको ही
जिसका मुझको कुछ पता नही
खोजे चलती हैं नित मन में
प्रश्नों के ज्वार भी उठते हैं
मन लंबे डग ले चलता है
यादों के दल आ जुटते हैं
यह मौन प्रश्न नित मुखरित हो
मेरे ही इस अंतर्मन में
उठता है , कहता है मुझसे
मैं कौन हूँ, क्या पहचान मेरी?
उत्तर जिस दिन पा गया कभी
वह दिवस पता कब आएगा
उस दिन मेरा मन मुझ से ही
पहचान मेरी करवाएगा !!
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Mr. Rakesh Ranjan
अँधेरी रात में.........
उठी ऐसी घटा नभ में
छिपे सब चांद औ' तारे,
उठा तूफान वह नभ में
गए बुझ दीप भी सारे,
मगर इस रात में भी लौ लगाए कौन बैठा है?
अँधेरी रात में दीपक जलाए कौन बैठा है?
गगन में गर्व से उठउठ,
गगन में गर्व से घिरघिर,
गरज कहती घटाएँ हैं,
नहीं होगा उजाला फिर,
मगर चिर ज्योति में निष्ठा जमाए कौन बैठा है?
अँधेरी रात में दीपक जलाए कौन बैठा है?
तिमिर के राज का ऐसा
कठिन आतंक छाया है,
उठा जो शीश सकते थे
उन्होनें सिर झुकाया है,
मगर विद्रोह की ज्वाला जलाए कौन बैठा है?
अँधेरी रात में दीपक जलाए कौन बैठा है?
प्रलय का सब समां बांधे
प्रलय की रात है छाई,
विनाशक शक्तियों की इस
तिमिर के बीच बन आई,
मगर निर्माण में आशा दृढ़ाए कौन बैठा है?
अँधेरी रात में दीपक जलाए कौन बैठा है?
प्रभंजन, मेघ दामिनी ने
न क्या तोड़ा, न क्या फोड़ा,
धरा के और नभ के बीच
कुछ साबित नहीं छोड़ा,
मगर विश्वास को अपने बचाए कौन बैठा है?
अँधेरी रात में दीपक जलाए कौन बैठा है?
प्रलय की रात में सोचे
प्रणय की बात क्या कोई,
मगर पड़ प्रेम बंधन में
समझ किसने नहीं खोई,
किसी के पथ में पलकें बिछाए कौन बैठा है?
अँधेरी रात में दीपक जलाए कौन बैठा है?
छिपे सब चांद औ' तारे,
उठा तूफान वह नभ में
गए बुझ दीप भी सारे,
मगर इस रात में भी लौ लगाए कौन बैठा है?
अँधेरी रात में दीपक जलाए कौन बैठा है?
गगन में गर्व से उठउठ,
गगन में गर्व से घिरघिर,
गरज कहती घटाएँ हैं,
नहीं होगा उजाला फिर,
मगर चिर ज्योति में निष्ठा जमाए कौन बैठा है?
अँधेरी रात में दीपक जलाए कौन बैठा है?
तिमिर के राज का ऐसा
कठिन आतंक छाया है,
उठा जो शीश सकते थे
उन्होनें सिर झुकाया है,
मगर विद्रोह की ज्वाला जलाए कौन बैठा है?
अँधेरी रात में दीपक जलाए कौन बैठा है?
प्रलय का सब समां बांधे
प्रलय की रात है छाई,
विनाशक शक्तियों की इस
तिमिर के बीच बन आई,
मगर निर्माण में आशा दृढ़ाए कौन बैठा है?
अँधेरी रात में दीपक जलाए कौन बैठा है?
प्रभंजन, मेघ दामिनी ने
न क्या तोड़ा, न क्या फोड़ा,
धरा के और नभ के बीच
कुछ साबित नहीं छोड़ा,
मगर विश्वास को अपने बचाए कौन बैठा है?
अँधेरी रात में दीपक जलाए कौन बैठा है?
प्रलय की रात में सोचे
प्रणय की बात क्या कोई,
मगर पड़ प्रेम बंधन में
समझ किसने नहीं खोई,
किसी के पथ में पलकें बिछाए कौन बैठा है?
अँधेरी रात में दीपक जलाए कौन बैठा है?
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Mr. Rakesh Ranjan
हमें कोई ग़म नहीं था....
हमें कोई ग़म नहीं था ग़म-ए-आशिक़ी से पहले
न थी दुश्मनी किसी से तेरी दोस्ती से पहले।
है ये मेरी बदनसीबी तेरा क्या कुसूर इसमें
तेरे ग़म ने मार डाला मुझे ज़िन्दग़ी से पहले।
मेरा प्यार जल रहा है अरे चाँद आज छुप जा
कभी प्यार था हमें भी तेरी चाँदनी से पहले।
मैं कभी न मुसकुराता जो मुझे ये इल्म होता
कि हज़ारों ग़म मिलेंगे मुझे इक खुशी से पहले।
ये अजीब इम्तिहाँ है कि तुम्हीं को भूलना है
मिले कब थे इस तरह हम तुम्हें बेदिली से पहले।
न थी दुश्मनी किसी से तेरी दोस्ती से पहले।
है ये मेरी बदनसीबी तेरा क्या कुसूर इसमें
तेरे ग़म ने मार डाला मुझे ज़िन्दग़ी से पहले।
मेरा प्यार जल रहा है अरे चाँद आज छुप जा
कभी प्यार था हमें भी तेरी चाँदनी से पहले।
मैं कभी न मुसकुराता जो मुझे ये इल्म होता
कि हज़ारों ग़म मिलेंगे मुझे इक खुशी से पहले।
ये अजीब इम्तिहाँ है कि तुम्हीं को भूलना है
मिले कब थे इस तरह हम तुम्हें बेदिली से पहले।
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Mr. Rakesh Ranjan
इश्क का अपना मज़ा होता है।
इश्क का अपना मज़ा होता है।
इसमें मिलने का, ज़ुदाई का मज़ा होता है।।
बात महफिल की कहाँ इश्क वाले करते हैं,
हो ज़ुदाई तो तनहाई का मज़ा होता है।
कभी राज़ी तो कभी यार फ़िदा रहता है,
कभी दिलदार की रूसवाई का मज़ा होता है।
कभी आँखों से तो ये आँखें नहीं मिलती,
कभी चेहरे की पढ़ाई का मज़ा होता है।
यूँ तो चेहरे को देखने से खुशी मिलती है,
तो कभी देखकर रूलाई का मज़ा होता है।
इसमें मिलने का, ज़ुदाई का मज़ा होता है।।
बात महफिल की कहाँ इश्क वाले करते हैं,
हो ज़ुदाई तो तनहाई का मज़ा होता है।
कभी राज़ी तो कभी यार फ़िदा रहता है,
कभी दिलदार की रूसवाई का मज़ा होता है।
कभी आँखों से तो ये आँखें नहीं मिलती,
कभी चेहरे की पढ़ाई का मज़ा होता है।
यूँ तो चेहरे को देखने से खुशी मिलती है,
तो कभी देखकर रूलाई का मज़ा होता है।
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Mr. Rakesh Ranjan
प्यार का PC............
अभी अभी तो प्यार का PC किया है चालु
अपने दिल के Hard Disk पे और कितनी Files डालु
अपने चेहरे से रूसवाई की Error तो हटाओ
ऐ जानेमन अपने दिल का Password तो बताओ
वो तो हम है जो आप की चाहत दिल मॆं रखते है
वरना आप जैसे कितने Softwares तो बाज़ार में बिकते है
रोज़ रात आप मेरे सपने में आते हो
मेरे प्यार को Mouse बना के उंगलियों पे नचाते हो
तेरे प्यार का Email मेरे दिल को लुभाता है
पर बीच में तेरे बाप का Virus आ जाता है
और करवाओगे हमसे कितना इन्तजार
हमारे दिल की साईट पे कभी Enter तो मारो यार
अपने इन्सल्ट का बदला देखो कैसे लुंगा
जानेमन तेरे बाप को Ctrl+Alt+Delete कर दुंगा
आपके कई नखरे अपने दिल पे बैंग हो गये
दो PC जुड़ते जुड़ते Hang हो गये
आप जैसो के लिये दिल को Cut किया करते है
वरना बाकी केसेस में तो Copy Paste किया करते हैं
आपक हँसना आप क चलना आप की वो स्टाईल
आपकी अदाओं की हमने Save कर ली है File
जो सदीयों से होता आया है वो रीपीट कर दुंगा
तु ना मिली तो तुझे Ctrl+Alt+Delete कर दुंगा
लड़कीयां सुन्दर हैं और लोनली हैं
प्रोब्लम है कि बस वो Read Only है
अपने दिल के Hard Disk पे और कितनी Files डालु
अपने चेहरे से रूसवाई की Error तो हटाओ
ऐ जानेमन अपने दिल का Password तो बताओ
वो तो हम है जो आप की चाहत दिल मॆं रखते है
वरना आप जैसे कितने Softwares तो बाज़ार में बिकते है
रोज़ रात आप मेरे सपने में आते हो
मेरे प्यार को Mouse बना के उंगलियों पे नचाते हो
तेरे प्यार का Email मेरे दिल को लुभाता है
पर बीच में तेरे बाप का Virus आ जाता है
और करवाओगे हमसे कितना इन्तजार
हमारे दिल की साईट पे कभी Enter तो मारो यार
अपने इन्सल्ट का बदला देखो कैसे लुंगा
जानेमन तेरे बाप को Ctrl+Alt+Delete कर दुंगा
आपके कई नखरे अपने दिल पे बैंग हो गये
दो PC जुड़ते जुड़ते Hang हो गये
आप जैसो के लिये दिल को Cut किया करते है
वरना बाकी केसेस में तो Copy Paste किया करते हैं
आपक हँसना आप क चलना आप की वो स्टाईल
आपकी अदाओं की हमने Save कर ली है File
जो सदीयों से होता आया है वो रीपीट कर दुंगा
तु ना मिली तो तुझे Ctrl+Alt+Delete कर दुंगा
लड़कीयां सुन्दर हैं और लोनली हैं
प्रोब्लम है कि बस वो Read Only है
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Mr. Rakesh Ranjan
GOOD FRIEND...(A - Z)
(A)ccepts you as you are
(B)elives in "you"
(C)alls you just to say "HI"
(D)oesn't give up on you
(E)nvisions the whole of you(even the unfinished parts)
(F)orgives your mistakes
(G)ives unconditionally
(H)elps you
(I)nvites you over
(J)ust "be"without you
(K)eeps you close at heart
(L)oves you for who you are
(M)akes a difference in your life
(N)ever Judges
(O)ffer support
(P)icks you up
(Q)uiets yours fears
(R)aises your spirits
(S)ays nice things about you
(T)ells you the truth when you need to hear it
(U)nderstands you
(V)alues you
(W)alks beside you
(X)-plains thing you don't understand
(Y)ells when you won't listen and
(Z)aps you back to reality..............
(B)elives in "you"
(C)alls you just to say "HI"
(D)oesn't give up on you
(E)nvisions the whole of you(even the unfinished parts)
(F)orgives your mistakes
(G)ives unconditionally
(H)elps you
(I)nvites you over
(J)ust "be"without you
(K)eeps you close at heart
(L)oves you for who you are
(M)akes a difference in your life
(N)ever Judges
(O)ffer support
(P)icks you up
(Q)uiets yours fears
(R)aises your spirits
(S)ays nice things about you
(T)ells you the truth when you need to hear it
(U)nderstands you
(V)alues you
(W)alks beside you
(X)-plains thing you don't understand
(Y)ells when you won't listen and
(Z)aps you back to reality..............
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Mr. Rakesh Ranjan
आज अचानक फिर से .......
आज अचानक फिर से वो डायरी में यूँ टकरा गये
हो पहली-पहली बार सब कुछ ऐसा किस्सा सुना गये
कोशिश तो की मैंने मगर पन्ना नहीं पलटा गया
ली वक्त ने करवट मगर हमसे नहीं पलटा गया
धुँधले हुये शब्दों ने फिर एक साफ मूरत जोड़ ली
सूखे हुये गुलाब ने एक पल में खुशबू मोड़ ली
लिखे हुये वादे सभी एक पल में जैसे खिल गये
छूटे हुये अरमान सब ख्वाबों से आके मिल गये
सब छोड़ के तुम पास थे
बाहों के अब विश्वास थे
आँखों ने फिर से सींच के तुमसे कही बातें वही
तुमने भी शरमा के फिर धीरे से है हामी भरी
अब वक्त जैसे है नहीं और बस तुम्हारा साथ है
अब स्वर्ग को जाना नहीं जो हाथ तेरा साथ है
फिर हाथ तेरा थामकर
खिड़की से बाहर झाँककर
हमने नयी दुनिया गढ़ी
जिसमें न कोई अंत था
पल-पल में जब वसन्त था
इतने में एक झोंका आया
मुझे एक पल को भरमाया
मैंने रोका पर रुका नहीं
पन्ना भी तो अब टिका नहीं
पन्ना पलटा और आँख खुली
पन्ना पलटा और आँख खुली
और दूरी का अहसास हुआ
दूरी का अह्सास हुआ......
हो पहली-पहली बार सब कुछ ऐसा किस्सा सुना गये
कोशिश तो की मैंने मगर पन्ना नहीं पलटा गया
ली वक्त ने करवट मगर हमसे नहीं पलटा गया
धुँधले हुये शब्दों ने फिर एक साफ मूरत जोड़ ली
सूखे हुये गुलाब ने एक पल में खुशबू मोड़ ली
लिखे हुये वादे सभी एक पल में जैसे खिल गये
छूटे हुये अरमान सब ख्वाबों से आके मिल गये
सब छोड़ के तुम पास थे
बाहों के अब विश्वास थे
आँखों ने फिर से सींच के तुमसे कही बातें वही
तुमने भी शरमा के फिर धीरे से है हामी भरी
अब वक्त जैसे है नहीं और बस तुम्हारा साथ है
अब स्वर्ग को जाना नहीं जो हाथ तेरा साथ है
फिर हाथ तेरा थामकर
खिड़की से बाहर झाँककर
हमने नयी दुनिया गढ़ी
जिसमें न कोई अंत था
पल-पल में जब वसन्त था
इतने में एक झोंका आया
मुझे एक पल को भरमाया
मैंने रोका पर रुका नहीं
पन्ना भी तो अब टिका नहीं
पन्ना पलटा और आँख खुली
पन्ना पलटा और आँख खुली
और दूरी का अहसास हुआ
दूरी का अह्सास हुआ......
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Mr. Rakesh Ranjan
मुद्दत हो गयी ....
मुद्दत हो गयी उन तनहाइयों को गुजरे , आज भी इन आँखों में वो खामोशियाँ क्यों है
चुन चुन कर जिसकी यादों को अपने जीवन से निकाला मैंने
मेरे दिल पर आज भी उसकी हुकूमत क्यों है
तोड़ दिया जिसने यकीं मोहब्बत से मेरा
वो शख्स आज भी मेरे प्यार के काबिल क्यों है
रास ना आये जिसको चाहत मेरी
आज भी वो मेरे दिन और रात में शामिल क्यों है
खत्म हो गया जो रिश्ता वो आज भी सांस ले रहा है
मेरे वर्तमान में जीवित वो आज भी मेरा अतीत क्यों है...............
चुन चुन कर जिसकी यादों को अपने जीवन से निकाला मैंने
मेरे दिल पर आज भी उसकी हुकूमत क्यों है
तोड़ दिया जिसने यकीं मोहब्बत से मेरा
वो शख्स आज भी मेरे प्यार के काबिल क्यों है
रास ना आये जिसको चाहत मेरी
आज भी वो मेरे दिन और रात में शामिल क्यों है
खत्म हो गया जो रिश्ता वो आज भी सांस ले रहा है
मेरे वर्तमान में जीवित वो आज भी मेरा अतीत क्यों है...............
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Mr. Rakesh Ranjan
दोस्तो से है......
खुशी भी दोस्तो से है,
गम भी दोस्तो से है,
तकरार भी दोस्तो से है,
प्यार भी दोस्तो से है,
रुठना भी दोस्तो से है,
मनाना भी दोस्तो से है,
बात भी दोस्तो से है,
मिसाल भी दोस्तो से है,
नशा भी दोस्तो से है,
शाम भी दोस्तो से है,
जिन्दगी की शुरुआत भी दोस्तो से है,
जिन्दगी मे मुलाकात भी दोस्तो से है,
मौहब्बत भी दोस्तो से है,
इनायत भी दोस्तो से है,
काम भी दोस्तो से है,
नाम भी दोस्तो से है,
ख्याल भी दोस्तो से है,
अरमान भी दोस्तो से है,
ख्वाब भी दोस्तो से है,
माहौल भी दोस्तो से है,
यादे भी दोस्तो से है,
मुलाकाते भी दोस्तो से है,
सपने भी दोस्तो से है,
अपने भी दोस्तो से है,
या यूं कहो यारो,
अपनी तो दुनिया ही दोस्तो से है
गम भी दोस्तो से है,
तकरार भी दोस्तो से है,
प्यार भी दोस्तो से है,
रुठना भी दोस्तो से है,
मनाना भी दोस्तो से है,
बात भी दोस्तो से है,
मिसाल भी दोस्तो से है,
नशा भी दोस्तो से है,
शाम भी दोस्तो से है,
जिन्दगी की शुरुआत भी दोस्तो से है,
जिन्दगी मे मुलाकात भी दोस्तो से है,
मौहब्बत भी दोस्तो से है,
इनायत भी दोस्तो से है,
काम भी दोस्तो से है,
नाम भी दोस्तो से है,
ख्याल भी दोस्तो से है,
अरमान भी दोस्तो से है,
ख्वाब भी दोस्तो से है,
माहौल भी दोस्तो से है,
यादे भी दोस्तो से है,
मुलाकाते भी दोस्तो से है,
सपने भी दोस्तो से है,
अपने भी दोस्तो से है,
या यूं कहो यारो,
अपनी तो दुनिया ही दोस्तो से है
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Mr. Rakesh Ranjan
हर पल में ख़ुश रहो...
ज़िंदगी है छोटी, हर पल में ख़ुश रहो...
Office मे ख़ुश रहो, घर में ख़ुश रहो...
आज पनीर नही है दाल में ही ख़ुश रहो...
आज gym जाने का समय नही, दो क़दम चल के ही ख़ुश रहो...
आज दोस्तो का साथ नही, TV देख के ही ख़ुश रहो...
घर जा नही सकते तो फ़ोन कर के ही ख़ुश रहो...
आज कोई नाराज़ है उसके इस अंदाज़ में भी ख़ुश रहो...
जिसे देख नही सकते उसकी आवाज़ में ही ख़ुश रहो...
जिसे पा नही सकते उसकी याद में ही ख़ुश रहो
Laptop ना मिला तो क्या, Desktop में ही ख़ुश रहो...
बीता हुआ कल जा चुका है उसकी मीठी यादें है उनमे ही ख़ुश रहो...
आने वाले पल का पता नही... सपनो में ही ख़ुश रहो...
हसते हसते ये पल बिताएँगे, आज में ही ख़ुश रहो
ज़िंदगी है छोटी, हर पल में ख़ुश रहो
Office मे ख़ुश रहो, घर में ख़ुश रहो...
आज पनीर नही है दाल में ही ख़ुश रहो...
आज gym जाने का समय नही, दो क़दम चल के ही ख़ुश रहो...
आज दोस्तो का साथ नही, TV देख के ही ख़ुश रहो...
घर जा नही सकते तो फ़ोन कर के ही ख़ुश रहो...
आज कोई नाराज़ है उसके इस अंदाज़ में भी ख़ुश रहो...
जिसे देख नही सकते उसकी आवाज़ में ही ख़ुश रहो...
जिसे पा नही सकते उसकी याद में ही ख़ुश रहो
Laptop ना मिला तो क्या, Desktop में ही ख़ुश रहो...
बीता हुआ कल जा चुका है उसकी मीठी यादें है उनमे ही ख़ुश रहो...
आने वाले पल का पता नही... सपनो में ही ख़ुश रहो...
हसते हसते ये पल बिताएँगे, आज में ही ख़ुश रहो
ज़िंदगी है छोटी, हर पल में ख़ुश रहो
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Mr. Rakesh Ranjan
आँसू मैं ना ढूँदना हूमें....
आँसू मैं ना ढूँदना हूमें,
दिल मैं हम बस जाएँगे,
तमन्ना हो अगर मिलने की,
तो बंद आँखों मैं नज़र आएँगे.
लम्हा लम्हा वक़्त गुज़ेर जाएँगा,
चँद लम्हो मैं दामन छूट जाएगा,
आज वक़्त है दो बातें कर लो हमसे,
कल क्या पता कौन आपके ज़िंदगी मैं आ जाएगा.
पास आकर सभी दूर चले जाते हैं,
हम अकेले थे अकेले ही रेह जाते हैं,
दिल का दर्द किससे दिखाए,
मरहम लगाने वेल ही ज़ख़्म दे जाते हैं,
वक़्त तो हूमें भुला चुका है,
मुक़द्दर भी ना भुला दे,
दोस्ती दिल से हम इसीलिए नहीं करते,
क्यू के डरते हैं,कोई फिर से ना रुला दे,
ज़िंदगी मैं हमेशा नये लोग मिलेंगे,
कहीं ज़ियादा तो कहीं काम मिलेंगे,
ऐतबार ज़रा सोच कर करना,
मुमकिन नही हैर जगह तुम्हे हम मिलेंगे.
ख़ुशबो की तरह आपके पास बिखर जाएँगे,
सुकों बन कर दिल मे उतर जाएँगे,
मेहसूस करने की कोशिश तो कीजिए,
दूर होते हो भी पास नेज़र आएँगे
दिल मैं हम बस जाएँगे,
तमन्ना हो अगर मिलने की,
तो बंद आँखों मैं नज़र आएँगे.
लम्हा लम्हा वक़्त गुज़ेर जाएँगा,
चँद लम्हो मैं दामन छूट जाएगा,
आज वक़्त है दो बातें कर लो हमसे,
कल क्या पता कौन आपके ज़िंदगी मैं आ जाएगा.
पास आकर सभी दूर चले जाते हैं,
हम अकेले थे अकेले ही रेह जाते हैं,
दिल का दर्द किससे दिखाए,
मरहम लगाने वेल ही ज़ख़्म दे जाते हैं,
वक़्त तो हूमें भुला चुका है,
मुक़द्दर भी ना भुला दे,
दोस्ती दिल से हम इसीलिए नहीं करते,
क्यू के डरते हैं,कोई फिर से ना रुला दे,
ज़िंदगी मैं हमेशा नये लोग मिलेंगे,
कहीं ज़ियादा तो कहीं काम मिलेंगे,
ऐतबार ज़रा सोच कर करना,
मुमकिन नही हैर जगह तुम्हे हम मिलेंगे.
ख़ुशबो की तरह आपके पास बिखर जाएँगे,
सुकों बन कर दिल मे उतर जाएँगे,
मेहसूस करने की कोशिश तो कीजिए,
दूर होते हो भी पास नेज़र आएँगे
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Mr. Rakesh Ranjan
बातें करके रुला ना दीजिएगा...
बातें करके रुला ना दीजिएगा...
यू चुप रहके सज़ा ना दीजिएगा...
ना दे सके ख़ुशी, तो ग़म ही सही...
पर दोस्त बना के यूही भुला ना दीजिएगा...
खुदा ने दोस्त को दोस्त से मिलाया...
दोस्तो के लिए दोस्ती का रिस्ता बनाया...
पर कहते है दोस्ती रहेगी उसकी क़ायम...
जिसने दोस्ती को दिल से निभाया...
अब और मंज़िल पाने की हसरत नही...
किसी की याद मे मर जाने की फ़ितरत नही...
आप जैसे दोस्त जबसे मिले...
किसी और को दोस्त बनाने की ज़रूरत नही ***!
यू चुप रहके सज़ा ना दीजिएगा...
ना दे सके ख़ुशी, तो ग़म ही सही...
पर दोस्त बना के यूही भुला ना दीजिएगा...
खुदा ने दोस्त को दोस्त से मिलाया...
दोस्तो के लिए दोस्ती का रिस्ता बनाया...
पर कहते है दोस्ती रहेगी उसकी क़ायम...
जिसने दोस्ती को दिल से निभाया...
अब और मंज़िल पाने की हसरत नही...
किसी की याद मे मर जाने की फ़ितरत नही...
आप जैसे दोस्त जबसे मिले...
किसी और को दोस्त बनाने की ज़रूरत नही ***!
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Mr. Rakesh Ranjan
उसने मुझे छूकर नहीं देखा .....
आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखा
किश्ती के मुसाफ़िर ने समन्दर नहीं देखा
बेवक़्त अगर जाऊँगा सब चौंक पड़ेंगे
इक उम्र हुई दिन में कभी घर नहीं देखा
जिस दिन से चला हूँ मिरी मंज़िल पे नज़र है
आँखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा
ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं
तुमने मिरा काँटों भरा बिस्तर नहीं देखा
पत्थर मुझे कहता है मिरा चाहने वाला
मैं मोम हूँ उसने मुझे छूकर नहीं देखा
किश्ती के मुसाफ़िर ने समन्दर नहीं देखा
बेवक़्त अगर जाऊँगा सब चौंक पड़ेंगे
इक उम्र हुई दिन में कभी घर नहीं देखा
जिस दिन से चला हूँ मिरी मंज़िल पे नज़र है
आँखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा
ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं
तुमने मिरा काँटों भरा बिस्तर नहीं देखा
पत्थर मुझे कहता है मिरा चाहने वाला
मैं मोम हूँ उसने मुझे छूकर नहीं देखा
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Mr. Rakesh Ranjan
बाटे इंटरनेट पर......
कइसन-कइसन काम नधाइल बाटे इंटरनेट पर
माउस धइले लोग धधाइल बाटे इंटरनेट पर
सर्च करीं जे चाहीं रउरा घरहीं बइठल-बइठल अब
सबके वेबसाइट छितराइल बाटे इंटरनेट पर
बेदेखल-बेजानल चेहरा से भी प्यार-मुहब्बत अब
अजबे-गजबे मंत्र मराइल बाटे इंटरनेट पर
जब-जब कैफे वाला कहलस सर्वर डाउन बा मालिक
तब-तब बहुते मन बिखियाइल बाटे इंटरनेट पर
रूस, कनाडा, चीन, जर्मनी, भारत, यू.एस या लंदन
एक सूत्र में लोग बन्हाइल बाटे इंटरनेट पर
शाली से जब पूछनी ,' काहो- दुल्हा कतहूँ सेट भइल'
कहली उ मुस्कात ' खोजाइल बाटे इंटरनेट पर
मन के अँगना में गूँजत बा 'भावुक' हो तोहरे बतिया
गोरिया के लव-लेटर आइल बाटे इंटरनेट पर
माउस धइले लोग धधाइल बाटे इंटरनेट पर
सर्च करीं जे चाहीं रउरा घरहीं बइठल-बइठल अब
सबके वेबसाइट छितराइल बाटे इंटरनेट पर
बेदेखल-बेजानल चेहरा से भी प्यार-मुहब्बत अब
अजबे-गजबे मंत्र मराइल बाटे इंटरनेट पर
जब-जब कैफे वाला कहलस सर्वर डाउन बा मालिक
तब-तब बहुते मन बिखियाइल बाटे इंटरनेट पर
रूस, कनाडा, चीन, जर्मनी, भारत, यू.एस या लंदन
एक सूत्र में लोग बन्हाइल बाटे इंटरनेट पर
शाली से जब पूछनी ,' काहो- दुल्हा कतहूँ सेट भइल'
कहली उ मुस्कात ' खोजाइल बाटे इंटरनेट पर
मन के अँगना में गूँजत बा 'भावुक' हो तोहरे बतिया
गोरिया के लव-लेटर आइल बाटे इंटरनेट पर
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Mr. Rakesh Ranjan
Computer Vs. Hindi Films....
1) Pentium III & Pentium I ---- Bade miyan andChhote miyan.
2) Computer infected by Virus - Pyar to Hona hitha.
3) Mouse - Jaanwar.
4)F1 - Guide.
5) Esc - Nau Do Gyarah.
6) Ctrl+Alt+Del - AkhriRastaa.
7) CrtlC + CtrlV - Duplicate.
8) Undo - Aa ab lautchale.
9) Super User Password - Gupt.
10) BackUp - Jaagteraho.
11) UPS - Janta Hawaldar.
12) Server -Godfather.
13) Proxy Server - Padosan.
14) Security -Nakabandi.
15) Storage - Tehkhana.
16) Storage capacity -Badhti ka naam Dadhi.
17) Computer without RAM - KoraKagaz.
18) Computer whose OS is DOS - Buddha mil gaya.
19) System which frequently requires bootable disk - Sharabi.
20) DumbTerminal - Anari.
21) Hard disk and Floppy disk - Gharwaali Baharwaali.
22) Hard Disk partition- Batwara.
23) Hardware & Software - Ek duje ke liye.
24) Temporary file - Khote Sikkey.
25) Operator vs Computer - Meinkhiladi Tu Anadi.
26) NRI - Phir bhi Dil hai Hindustaan
2) Computer infected by Virus - Pyar to Hona hitha.
3) Mouse - Jaanwar.
4)F1 - Guide.
5) Esc - Nau Do Gyarah.
6) Ctrl+Alt+Del - AkhriRastaa.
7) CrtlC + CtrlV - Duplicate.
8) Undo - Aa ab lautchale.
9) Super User Password - Gupt.
10) BackUp - Jaagteraho.
11) UPS - Janta Hawaldar.
12) Server -Godfather.
13) Proxy Server - Padosan.
14) Security -Nakabandi.
15) Storage - Tehkhana.
16) Storage capacity -Badhti ka naam Dadhi.
17) Computer without RAM - KoraKagaz.
18) Computer whose OS is DOS - Buddha mil gaya.
19) System which frequently requires bootable disk - Sharabi.
20) DumbTerminal - Anari.
21) Hard disk and Floppy disk - Gharwaali Baharwaali.
22) Hard Disk partition- Batwara.
23) Hardware & Software - Ek duje ke liye.
24) Temporary file - Khote Sikkey.
25) Operator vs Computer - Meinkhiladi Tu Anadi.
26) NRI - Phir bhi Dil hai Hindustaan
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Mr. Rakesh Ranjan
Om Jai Google hare.....
Swami Om Jai Google hare
Programmers ke sankat, Developers ke Sankat,
Click main door kare!!
Om Jai Google Hare !!
Jo Dhyawe vo pawe,
dukh bin se man ka, Swami dukh bin se man ka,
Homepage ki sampatti lawe, Homework ki sampatti karave
kasht mite work ka,
Swami Om Jai Google hare!!
Tum puran search engine
Tum hi internet yaami, Swami Tum hi internet yaami
Par karo hamari Salari, Par karo hamari apprisal,
Tum dunia ke swami,
Swami Om Jai Google hare.
Tum information ke saagar,
Tum palan karta, swami Tum palan karta,
Main moorakh khalkamii, Main Searcher tum Server-ami
Tum karta dhartaa !!
Swami Om Jai Google hare!!
Din bandhu dukh harta,
tum rakshak mere, Swami tum thakur mere,
Apni search dikhaao, sare reasearch karao
Site par khada mein tere,
Swami Om Jai Google hare!!
Google devta ki aarti jo koi programmer gaawe,
Swami jo koi bhi programmer gaawe,
Kehet SUN swami, MS hari har swami,
Manwaanchhit fal paawe.
Swami Om Jai Google hare.
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Swami jo koi bhi programmer gaawe,
Kehet SUN swami, MS hari har swami,
Manwaanchhit fal paawe.
Swami Om Jai Google hare.
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Mr. Rakesh Ranjan
आज एक बार .....
आज एक बार सबसे मुस्करा के बात करो
बिताये हुये पलों को साथ साथ याद करो
क्या पता कल चेहरे को मुस्कुराना
और दिमाग को पुराने पल याद हो ना हो
आज एक बार फ़िर पुरानी बातो मे खो जाओ
आज एक बार फ़िर पुरानी यादो मे डूब जाओ
क्या पता कल ये बाते
और ये यादें हो ना हो
आज एक बार मन्दिर हो आओ
पुजा कर के प्रसाद भी चढाओ
क्या पता कल के कलयुग मे
भगवान पर लोगों की श्रद्धा हो ना हो
बारीश मे आज खुब भीगो
झुम झुम के बचपन की तरह नाचो
क्या पता बीते हुये बचपन की तरह
कल ये बारीश भी हो ना हो
आज हर काम खूब दिल लगा कर करो
उसे तय समय से पहले पुरा करो
क्या पता आज की तरह
कल बाजुओं मे ताकत हो ना हो
आज एक बार चैन की नीन्द सो जाओ
आज कोई अच्छा सा सपना भी देखो
क्या पता कल जिन्दगी मे चैन
और आखों मे कोई सपना हो ना हो
क्या पता
कल हो ना हो .......
बिताये हुये पलों को साथ साथ याद करो
क्या पता कल चेहरे को मुस्कुराना
और दिमाग को पुराने पल याद हो ना हो
आज एक बार फ़िर पुरानी बातो मे खो जाओ
आज एक बार फ़िर पुरानी यादो मे डूब जाओ
क्या पता कल ये बाते
और ये यादें हो ना हो
आज एक बार मन्दिर हो आओ
पुजा कर के प्रसाद भी चढाओ
क्या पता कल के कलयुग मे
भगवान पर लोगों की श्रद्धा हो ना हो
बारीश मे आज खुब भीगो
झुम झुम के बचपन की तरह नाचो
क्या पता बीते हुये बचपन की तरह
कल ये बारीश भी हो ना हो
आज हर काम खूब दिल लगा कर करो
उसे तय समय से पहले पुरा करो
क्या पता आज की तरह
कल बाजुओं मे ताकत हो ना हो
आज एक बार चैन की नीन्द सो जाओ
आज कोई अच्छा सा सपना भी देखो
क्या पता कल जिन्दगी मे चैन
और आखों मे कोई सपना हो ना हो
क्या पता
कल हो ना हो .......
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Mr. Rakesh Ranjan
कोई शक्स हमारा होगा..
किसी की आँखों मे मोहब्बत का सितारा होगा
एक दिन आएगा कि कोई शक्स हमारा होगा
कोई जहाँ मेरे लिए मोती भरी सीपियाँ चुनता होगा
वो किसी और दुनिया का किनारा होगा
काम मुश्किल है मगर जीत ही लूगाँ किसी दिल को
मेरे खुदा का अगर ज़रा भी सहारा होगा
किसी के होने पर मेरी साँसे चलेगीं
कोई तो होगा जिसके बिना ना मेरा गुज़ारा होगा
देखो ये अचानक ऊजाला हो चला,
दिल कहता है कि शायद किसी ने धीमे से मेरा नाम पुकारा होगा
और यहाँ देखो पानी मे चलता एक अन्जान साया,
शायद किसी ने दूसरे किनारे पर अपना पैर उतारा होगा
कौन रो रहा है रात के सन्नाटे मे
शायद मेरे जैसा तन्हाई का कोई मारा होगा
अब तो बस उसी किसी एक का इन्तज़ार है,
किसी और का ख्याल ना दिल को ग़वारा होगा
ऐ ज़िन्दगी! अब के ना शामिल करना मेरा नाम
ग़र ये खेल ही दोबारा होगा
एक दिन आएगा कि कोई शक्स हमारा होगा
कोई जहाँ मेरे लिए मोती भरी सीपियाँ चुनता होगा
वो किसी और दुनिया का किनारा होगा
काम मुश्किल है मगर जीत ही लूगाँ किसी दिल को
मेरे खुदा का अगर ज़रा भी सहारा होगा
किसी के होने पर मेरी साँसे चलेगीं
कोई तो होगा जिसके बिना ना मेरा गुज़ारा होगा
देखो ये अचानक ऊजाला हो चला,
दिल कहता है कि शायद किसी ने धीमे से मेरा नाम पुकारा होगा
और यहाँ देखो पानी मे चलता एक अन्जान साया,
शायद किसी ने दूसरे किनारे पर अपना पैर उतारा होगा
कौन रो रहा है रात के सन्नाटे मे
शायद मेरे जैसा तन्हाई का कोई मारा होगा
अब तो बस उसी किसी एक का इन्तज़ार है,
किसी और का ख्याल ना दिल को ग़वारा होगा
ऐ ज़िन्दगी! अब के ना शामिल करना मेरा नाम
ग़र ये खेल ही दोबारा होगा
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Mr. Rakesh Ranjan
Roles in Heaven ..........
Brahma
Systems Installation
Vishnu
Systems Administration & Support
Lakshmi
Finance and Accounts consultant
Saraswati
Training and Knowledge Management
Shiva
DBA (Crash Specialist)
Ganesh
Quality Assuarance & Documentation
Narada
Data transfer
Yama
Reorganization & Downsizing Consultant
Chitragupta
IDP & Personal Records
Apsaras
Downloadable Viruses
Devas
Mainframe Programmers
Surya
Solaris Administrator
Rakshasas
In house Hackers
Ravan
Internet Explorer WWWF
Lakshman
Support Software and Backup
Hanuman
Linux/s390
Jataayu
Firewall
Dronacharya
System Programmer
Vishwamitra
Sr. Manager Projects
Valmiki
Technical Writer (Ramayana Sign off document)
Krishna
SDLC ( Sudarshan Wheel Development Life Cycle )
Arjun
Lead Programmer (all companies are vying for him)
Abhimanyu
Trainee Programmer
Draupadi
Motivation & Team building
Bhima
MAINFRAME LEGACY SYSTEM
Duryodhana
Microsoft product Written in VB
Karna
Contract programmer
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Mr. Rakesh Ranjan
शायर कहते है .......
नैनो मे बसे है ज़रा याद रखना,
अगर काम पड़े तो याद करना,
मुझे तो आदत है आपको याद करने की,
अगर हिचकी आए तो माफ़ करना.......
ये दुनिया वाले भी बड़े अजीब होते है
कभी दूर तो कभी क़रीब होते है
दर्द ना बताओ तो हमे कायर कहते है
और दर्द बताओ तो हमे शायर कहते है .......
एक मुलाक़ात करो हमसे इनायत समझकर,
हर चीज़ का हिसाब देंगे क़यामत समझकर,
मेरी दोस्ती पे कभी शक ना करना,
हम दोस्ती भी करते है इबादत समझकर.........
ख़ामोशियों की वो धीमी सी आवाज़ है ,
तन्हाइयों मे वो एक गहरा राज़ है ,
मिलते नही है सबको ऐसे दोस्त ,
आप जो मिले हो हमे ख़ुद पे नाज़ है
अगर काम पड़े तो याद करना,
मुझे तो आदत है आपको याद करने की,
अगर हिचकी आए तो माफ़ करना.......
ये दुनिया वाले भी बड़े अजीब होते है
कभी दूर तो कभी क़रीब होते है
दर्द ना बताओ तो हमे कायर कहते है
और दर्द बताओ तो हमे शायर कहते है .......
एक मुलाक़ात करो हमसे इनायत समझकर,
हर चीज़ का हिसाब देंगे क़यामत समझकर,
मेरी दोस्ती पे कभी शक ना करना,
हम दोस्ती भी करते है इबादत समझकर.........
ख़ामोशियों की वो धीमी सी आवाज़ है ,
तन्हाइयों मे वो एक गहरा राज़ है ,
मिलते नही है सबको ऐसे दोस्त ,
आप जो मिले हो हमे ख़ुद पे नाज़ है
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Mr. Rakesh Ranjan
Life is Like....
College life is like Relience!!
*********************
" Karlo Duniya Mutthi Mein"
*********************
Bachelor Life is Like Airtel!!
*********************
" Aisi Azadi aur Kahan"
******************
After Engagement is Like Idea!!
*************************
" Jo Badal de aapki Zindgi"
********************
After Marrige is like Hutch!!
**********************
" Where U go.. network Follows"
*************************
After Kid is like BSNL!!
*****************
" All lines are Buzy"
*********************
" Karlo Duniya Mutthi Mein"
*********************
Bachelor Life is Like Airtel!!
*********************
" Aisi Azadi aur Kahan"
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After Engagement is Like Idea!!
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" Jo Badal de aapki Zindgi"
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" Where U go.. network Follows"
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After Kid is like BSNL!!
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" All lines are Buzy"
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Mr. Rakesh Ranjan
बात आती हे जुबा.....
बात आती हे जुबा पर मगर कहा नही जाता,
दिल-ए-बेताब का ये हाल भी अब सहा नही जाता
उन्हे आखो मे बसाया हे, सब गम से बचा कर.
रन्जिश-ए-गम मे अश्क़ अपने मे बहा नही पाता
नज़र ना लग जाये जमाने कि, छुपाया पलको मे,
अब चाहकर भी तेरे दिदार का लुफ़्त मै उढा नही पाता
रात भर करे दिदार तेरा आसमान मे ये आखे
निन्द तेरे ख्वाबो के लिये भी मे बचा नही पाता
घेर लिया हे मुझको तन्हाईयो के अन्धेरो ने ऐसे,
पन्ने हे तेरी यादो के मगर मे जला नही पाता
कोशिश करता तो शायद तुझे भुला देता मगर,
आईनो मे तेरे अक्श को मे छुपा नही पाता
यु तो केई दर्दो कि दवा बन जाती हे ये जुबान.
अफ़्सोस इसे अपने घावो का मरहम मे बना नही पाता
बात इतनी सी होती तो शायद कह देता मे रोकर भी,
आग बरसो कि लगी सिने मे जिसे मे बुझा नही पाता
कही बदनाम ना हो जाये मौहबत मेरी इस डर से
अपनी लिखी हुइ नजमो को भी मे गुनगुना नही पाता
जिस्म मे बसाया था खुदाया मे ने तुझे दिलबर
घुट घुट के तु ना मर जाये,खुद को दफ़्ना नही पाता
दिल-ए-बेताब का ये हाल भी अब सहा नही जाता
उन्हे आखो मे बसाया हे, सब गम से बचा कर.
रन्जिश-ए-गम मे अश्क़ अपने मे बहा नही पाता
नज़र ना लग जाये जमाने कि, छुपाया पलको मे,
अब चाहकर भी तेरे दिदार का लुफ़्त मै उढा नही पाता
रात भर करे दिदार तेरा आसमान मे ये आखे
निन्द तेरे ख्वाबो के लिये भी मे बचा नही पाता
घेर लिया हे मुझको तन्हाईयो के अन्धेरो ने ऐसे,
पन्ने हे तेरी यादो के मगर मे जला नही पाता
कोशिश करता तो शायद तुझे भुला देता मगर,
आईनो मे तेरे अक्श को मे छुपा नही पाता
यु तो केई दर्दो कि दवा बन जाती हे ये जुबान.
अफ़्सोस इसे अपने घावो का मरहम मे बना नही पाता
बात इतनी सी होती तो शायद कह देता मे रोकर भी,
आग बरसो कि लगी सिने मे जिसे मे बुझा नही पाता
कही बदनाम ना हो जाये मौहबत मेरी इस डर से
अपनी लिखी हुइ नजमो को भी मे गुनगुना नही पाता
जिस्म मे बसाया था खुदाया मे ने तुझे दिलबर
घुट घुट के तु ना मर जाये,खुद को दफ़्ना नही पाता
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Mr. Rakesh Ranjan
ये डीग्री भी लेलो......
ये डीग्री भी लेलो, ये नौकरी भी लेलो ♥
ये डीग्री भी लेलो, ये नौकरी भी लेलो,
भले छीन लो मुझसे USA का विसा
मगर मुझको लौटा दो वो क्वालेज का कन्टीन,
वो चाय का पानी, वो तीखा समोसा..........
कडी धूप मे अपने घर से निकलना,
वो प्रोजेक्ट की खातीर शहर भर भटकना,
वो लेक्चर मे दोस्तों की प्रोक्झी लगाना,
वो सर को चीढाना ,वो एरोप्लेन उडाना,
वो सबमीशन की रातों को जागना जगाना,
वो ओरल्स की कहानी, वो प्रक्टीकल का किस्सा.....
बीमारी का कारण दे के टाईम बढाना,
वो दुसरों के Assignments को अपना बनाना,
वो सेमीनार के दिन पैरो का छटपटाना,
वो WorkShop मे दिन रात पसीना बहाना,
वो Exam के दिन का बेचैन माहौल,
पर वो मा का विश्वास - टीचर का भरोसा.....
वो पेडो के नीचे गप्पे लडाना,
वो रातों मे Assignments Sheets बनाना,
वो Exams के आखरी दिन Theater मे जाना,
वो भोले से फ़्रेशर्स को हमेशा सताना
ये डीग्री भी लेलो, ये नौकरी भी लेलो,
भले छीन लो मुझसे USA का विसा
मगर मुझको लौटा दो वो क्वालेज का कन्टीन,
वो चाय का पानी, वो तीखा समोसा..........
कडी धूप मे अपने घर से निकलना,
वो प्रोजेक्ट की खातीर शहर भर भटकना,
वो लेक्चर मे दोस्तों की प्रोक्झी लगाना,
वो सर को चीढाना ,वो एरोप्लेन उडाना,
वो सबमीशन की रातों को जागना जगाना,
वो ओरल्स की कहानी, वो प्रक्टीकल का किस्सा.....
बीमारी का कारण दे के टाईम बढाना,
वो दुसरों के Assignments को अपना बनाना,
वो सेमीनार के दिन पैरो का छटपटाना,
वो WorkShop मे दिन रात पसीना बहाना,
वो Exam के दिन का बेचैन माहौल,
पर वो मा का विश्वास - टीचर का भरोसा.....
वो पेडो के नीचे गप्पे लडाना,
वो रातों मे Assignments Sheets बनाना,
वो Exams के आखरी दिन Theater मे जाना,
वो भोले से फ़्रेशर्स को हमेशा सताना
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Mr. Rakesh Ranjan
कुछ कुछ पागल होते हैं
प्यार के दीप जलाने वाले कुछ कुछ पागल होते हैं
अपनी जान से जाने वाले , कुछ कुछ पागल होते हैं ||
हिज्र के गहरे जख्म मिले तो मुझको ये अहसास हुआ
दर्द को सहने वाले कुछ कुछ पागल होते हैं ||
जान से प्यारे लोगो से भी कुछ कुछ पर्दा लाजिम है
सारी बात बताने वाले कुछ कुछ पागल होते हैं ||
ख्वाबो में भी तुमसे मिलने के सपने देखा करता हूँ ,
नींदों में मुसकाने वाले कुछ कुछ पागल होते हैं ||
इस छोटी सी दुनिया में हमने ये हमेशा देखा है
सच्ची बात बताने वाले , कुछ कुछ पागल होते हैं ||
प्यार जिन्हें हो जाये , उनको चैन कहाँ मिल पता है
शब भर अश्क बहाने वाले, कुछ कुछ पागल होते हैं ||
तेरे इश्क में भीग के 'सुमन ' को ये अहसास हुआ
दिल की बात में आनेवाले कुछ कुछ पागल होते हैं ||
अपनी जान से जाने वाले , कुछ कुछ पागल होते हैं ||
हिज्र के गहरे जख्म मिले तो मुझको ये अहसास हुआ
दर्द को सहने वाले कुछ कुछ पागल होते हैं ||
जान से प्यारे लोगो से भी कुछ कुछ पर्दा लाजिम है
सारी बात बताने वाले कुछ कुछ पागल होते हैं ||
ख्वाबो में भी तुमसे मिलने के सपने देखा करता हूँ ,
नींदों में मुसकाने वाले कुछ कुछ पागल होते हैं ||
इस छोटी सी दुनिया में हमने ये हमेशा देखा है
सच्ची बात बताने वाले , कुछ कुछ पागल होते हैं ||
प्यार जिन्हें हो जाये , उनको चैन कहाँ मिल पता है
शब भर अश्क बहाने वाले, कुछ कुछ पागल होते हैं ||
तेरे इश्क में भीग के 'सुमन ' को ये अहसास हुआ
दिल की बात में आनेवाले कुछ कुछ पागल होते हैं ||
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Mr. Rakesh Ranjan
है अँधेरी रात पर दीवा......
कल्पना के हाथ से कमनीय जो मंदिर बना था
भावना के हाथ ने जिसमें वितानों को तना था
स्वप्न ने अपने करों से था जिसे रुचि से सँवारा
स्वर्ग के दुष्प्राप्य रंगों से, रसों से जो सना था
ढह गया वह तो जुटाकर ईंट, पत्थर, कंकड़ों को
एक अपनी शांति की कुटिया बनाना कब मना है
है अँधेरी रात पर दीवा जलाना कब मना है
बादलों के अश्रु से धोया गया नभ-नील नीलम
का बनाया था गया मधुपात्र मनमोहक, मनोरम
प्रथम ऊषा की किरण की लालिमा-सी लाल मदिरा
थी उसी में चमचमाती नव घनों में चंचला सम
वह अगर टूटा मिलाकर हाथ की दोनों हथेली
एक निर्मल स्रोत से तृष्णा बुझाना कब मना है
है अँधेरी रात पर दीवा जलाना कब मना है
क्या घड़ी थी, एक भी चिंता नहीं थी पास आई
कालिमा तो दूर, छाया भी पलक पर थी न छाई
आँख से मस्ती झपकती, बात से मस्ती टपकती
थी हँसी ऐसी जिसे सुन बादलों ने शर्म खाई
वह गई तो ले गई उल्लास के आधार, माना
पर अथिरता पर समय की मुसकराना कब मना है
है अँधेरी रात पर दीवा जलाना कब मना है
हाय, वे उन्माद के झोंके कि जिनमें राग जागा
वैभवों से फेर आँखें गान का वरदान माँगा
एक अंतर से ध्वनित हों दूसरे में जो निरंतर
भर दिया अंबर-अवनि को मत्तता के गीत गा-गा
अंत उनका हो गया तो मन बहलने के लिए ही
ले अधूरी पंक्ति कोई गुनगुनाना कब मना है
है अँधेरी रात पर दीवा जलाना कब मना है
हाय, वे साथी कि चुंबक लौह-से जो पास आए
पास क्या आए, हृदय के बीच ही गोया समाए
दिन कटे ऐसे कि कोई तार वीणा के मिलाकर
एक मीठा और प्यारा ज़िन्दगी का गीत गाए
वे गए तो सोचकर यह लौटने वाले नहीं वे
खोज मन का मीत कोई लौ लगाना कब मना है
है अँधेरी रात पर दीवा जलाना कब मना है
क्या हवाएँ थीं कि उजड़ा प्यार का वह आशियाना
कुछ न आया काम तेरा शोर करना, गुल मचाना
नाश की उन शक्तियों के साथ चलता ज़ोर किसका
किंतु ऐ निर्माण के प्रतिनिधि, तुझे होगा बताना
जो बसे हैं वे उजड़ते हैं प्रकृति के जड़ नियम से
पर किसी उजड़े हुए को फिर बसाना कब मना है
है अँधेरी रात पर दीवा जलाना कब मना है
भावना के हाथ ने जिसमें वितानों को तना था
स्वप्न ने अपने करों से था जिसे रुचि से सँवारा
स्वर्ग के दुष्प्राप्य रंगों से, रसों से जो सना था
ढह गया वह तो जुटाकर ईंट, पत्थर, कंकड़ों को
एक अपनी शांति की कुटिया बनाना कब मना है
है अँधेरी रात पर दीवा जलाना कब मना है
बादलों के अश्रु से धोया गया नभ-नील नीलम
का बनाया था गया मधुपात्र मनमोहक, मनोरम
प्रथम ऊषा की किरण की लालिमा-सी लाल मदिरा
थी उसी में चमचमाती नव घनों में चंचला सम
वह अगर टूटा मिलाकर हाथ की दोनों हथेली
एक निर्मल स्रोत से तृष्णा बुझाना कब मना है
है अँधेरी रात पर दीवा जलाना कब मना है
क्या घड़ी थी, एक भी चिंता नहीं थी पास आई
कालिमा तो दूर, छाया भी पलक पर थी न छाई
आँख से मस्ती झपकती, बात से मस्ती टपकती
थी हँसी ऐसी जिसे सुन बादलों ने शर्म खाई
वह गई तो ले गई उल्लास के आधार, माना
पर अथिरता पर समय की मुसकराना कब मना है
है अँधेरी रात पर दीवा जलाना कब मना है
हाय, वे उन्माद के झोंके कि जिनमें राग जागा
वैभवों से फेर आँखें गान का वरदान माँगा
एक अंतर से ध्वनित हों दूसरे में जो निरंतर
भर दिया अंबर-अवनि को मत्तता के गीत गा-गा
अंत उनका हो गया तो मन बहलने के लिए ही
ले अधूरी पंक्ति कोई गुनगुनाना कब मना है
है अँधेरी रात पर दीवा जलाना कब मना है
हाय, वे साथी कि चुंबक लौह-से जो पास आए
पास क्या आए, हृदय के बीच ही गोया समाए
दिन कटे ऐसे कि कोई तार वीणा के मिलाकर
एक मीठा और प्यारा ज़िन्दगी का गीत गाए
वे गए तो सोचकर यह लौटने वाले नहीं वे
खोज मन का मीत कोई लौ लगाना कब मना है
है अँधेरी रात पर दीवा जलाना कब मना है
क्या हवाएँ थीं कि उजड़ा प्यार का वह आशियाना
कुछ न आया काम तेरा शोर करना, गुल मचाना
नाश की उन शक्तियों के साथ चलता ज़ोर किसका
किंतु ऐ निर्माण के प्रतिनिधि, तुझे होगा बताना
जो बसे हैं वे उजड़ते हैं प्रकृति के जड़ नियम से
पर किसी उजड़े हुए को फिर बसाना कब मना है
है अँधेरी रात पर दीवा जलाना कब मना है
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Mr. Rakesh Ranjan
दोस्ती में.............
दोस्ती नाम नहीं सिर्फ़ दोस्तों के साथ रेहने का..
बल्कि दोस्त ही जिन्दगी बन जाते हैं, दोस्ती में..
जरुरत नहीं पडती, दोस्त की तस्वीर की.
देखो जो आईना तो दोस्त नज़र आते हैं, दोस्ती में..
येह तो बहाना है कि मिल नहीं पाये दोस्तों से आज..
दिल पे हाथ रखते ही एहसास उनके हो जाते हैं, दोस्ती में..
नाम की तो जरूरत हई नहीं पडती इस रिश्ते मे कभी..
पूछे नाम अपना ओर, दोस्तॊं का बताते हैं, दोस्ती में..
कौन केहता है कि दोस्त हो सकते हैं जुदा कभी..
दूर रेह्कर भी दोस्त, बिल्कुल करीब नज़र आते हैं, दोस्ती में..
सिर्फ़ भ्रम हे कि दोस्त होते ह अलग-अलग..
दर्द हो इनको ओर, आंसू उनके आते हैं , दोस्ती में..
माना इश्क है खुदा, प्यार करने वालों के लिये "अभी"
पर हम तो अपना सिर झुकाते हैं, दोस्ती में..
ओर एक ही दवा है गम की दुनिया में क्युकि..
भूल के सारे गम, दोस्तों के साथ मुस्कुराते हैं, दोस्ती
बल्कि दोस्त ही जिन्दगी बन जाते हैं, दोस्ती में..
जरुरत नहीं पडती, दोस्त की तस्वीर की.
देखो जो आईना तो दोस्त नज़र आते हैं, दोस्ती में..
येह तो बहाना है कि मिल नहीं पाये दोस्तों से आज..
दिल पे हाथ रखते ही एहसास उनके हो जाते हैं, दोस्ती में..
नाम की तो जरूरत हई नहीं पडती इस रिश्ते मे कभी..
पूछे नाम अपना ओर, दोस्तॊं का बताते हैं, दोस्ती में..
कौन केहता है कि दोस्त हो सकते हैं जुदा कभी..
दूर रेह्कर भी दोस्त, बिल्कुल करीब नज़र आते हैं, दोस्ती में..
सिर्फ़ भ्रम हे कि दोस्त होते ह अलग-अलग..
दर्द हो इनको ओर, आंसू उनके आते हैं , दोस्ती में..
माना इश्क है खुदा, प्यार करने वालों के लिये "अभी"
पर हम तो अपना सिर झुकाते हैं, दोस्ती में..
ओर एक ही दवा है गम की दुनिया में क्युकि..
भूल के सारे गम, दोस्तों के साथ मुस्कुराते हैं, दोस्ती
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Mr. Rakesh Ranjan
Khubsoorat Hain Wo........
khubsoorat hain wo lub
jo pyari batein kertey hain
khubsoorat hai wo muskurahat
jo dosaroon ke chehroon per bhi muskan saja de
khubsoorat hai wo dil
jo kisi ke dard ko samjhey
jo kisi ke dard mein tarpey
khubsoorat hain wo jazbat
jo kisi ka ehsaas karein
khubsoorat hai wo ehsaas
jo kisi ke dard ki dawa baney
khubsoorat hain wo batein
jo kisi ka dil na dukhaein
khubsoorat hain wo ankhein
jin mein pakezgi ho
sharm o haya ho
khubsoorat hain wo ansoo
jo kisi ke dard ko
mehsoos kerke beh jaein
khubsoorat hain wo Hath
jo kisi ko mushkil
waqat mein tham lein
khubsoorat hain wo qadam
jo kisi ki madad ke liye
aagey berhein !!!!!
khubsoorat hai wo sooch
jo kisi ke liye acha soochey
khubsoorat hai wo insan
jis ko KHUDA ne ye
khubsoorati ada ki......!!
jo pyari batein kertey hain
khubsoorat hai wo muskurahat
jo dosaroon ke chehroon per bhi muskan saja de
khubsoorat hai wo dil
jo kisi ke dard ko samjhey
jo kisi ke dard mein tarpey
khubsoorat hain wo jazbat
jo kisi ka ehsaas karein
khubsoorat hai wo ehsaas
jo kisi ke dard ki dawa baney
khubsoorat hain wo batein
jo kisi ka dil na dukhaein
khubsoorat hain wo ankhein
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sharm o haya ho
khubsoorat hain wo ansoo
jo kisi ke dard ko
mehsoos kerke beh jaein
khubsoorat hain wo Hath
jo kisi ko mushkil
waqat mein tham lein
khubsoorat hain wo qadam
jo kisi ki madad ke liye
aagey berhein !!!!!
khubsoorat hai wo sooch
jo kisi ke liye acha soochey
khubsoorat hai wo insan
jis ko KHUDA ne ye
khubsoorati ada ki......!!
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Mr. Rakesh Ranjan
जब यही जीना है दोस्तों ...
जब यही जीना है दोस्तों तो फ़िर मरना क्या है?
शहर की इस दौड़ में दौड़ के करना क्या है?
जब यही जीना है दोस्तों तो फ़िर मरना क्या है?
पहली बारिश में ट्रेन लेट होने की फ़िक्र है
भूल गये भीगते हुए टहलना क्या है?
सीरियल्स् के किर्दारों का सारा हाल है मालूम
पर माँ का हाल पूछ्ने की फ़ुर्सत कहाँ है?
अब रेत पे नंगे पाँव टहलते क्यूं नहीं?
108 हैं चैनल् फ़िर दिल बहलते क्यूं नहीं?
इन्टरनैट से दुनिया के तो टच में हैं,
लेकिन पडोस में कौन रहता है जानते तक नहीं.
मोबाइल, लैन्डलाइन सब की भरमार है,
लेकिन जिग्ररी दोस्त तक पहुँचे ऐसे तार कहाँ हैं?
कब डूबते हुए सुरज को देखा त, याद है?
कब जाना था शाम का गुज़रना क्या है?
तो दोस्तों शहर की इस दौड़ में दौड़् के करना क्या है
जब् यही जीना है तो फ़िर मरना क्या है?
शहर की इस दौड़ में दौड़ के करना क्या है?
जब यही जीना है दोस्तों तो फ़िर मरना क्या है?
पहली बारिश में ट्रेन लेट होने की फ़िक्र है
भूल गये भीगते हुए टहलना क्या है?
सीरियल्स् के किर्दारों का सारा हाल है मालूम
पर माँ का हाल पूछ्ने की फ़ुर्सत कहाँ है?
अब रेत पे नंगे पाँव टहलते क्यूं नहीं?
108 हैं चैनल् फ़िर दिल बहलते क्यूं नहीं?
इन्टरनैट से दुनिया के तो टच में हैं,
लेकिन पडोस में कौन रहता है जानते तक नहीं.
मोबाइल, लैन्डलाइन सब की भरमार है,
लेकिन जिग्ररी दोस्त तक पहुँचे ऐसे तार कहाँ हैं?
कब डूबते हुए सुरज को देखा त, याद है?
कब जाना था शाम का गुज़रना क्या है?
तो दोस्तों शहर की इस दौड़ में दौड़् के करना क्या है
जब् यही जीना है तो फ़िर मरना क्या है?
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Mr. Rakesh Ranjan
जब कभी गुजरा जमाना ....
जब कभी गुजरा जमाना याद आता है,
बना मिटटी का अपना घर पुराना याद आता है।
वो पापा से चवन्नी रोज मिलती जेब खरचे को,
वो अम्मा से मिला एक आध-आना याद आता है।
वो छोटे भाई का लडना,वो जीजी से मिली झिङकी,
शाम को फिर भूल जाना याद आता है।
वो घर के सामने की अधखुली खिङकी अभी भी है,
वहाँ पर छिप कर किसी का मुस्कुराना याद आता है।
वो उसका रोज मिलना,न मिलना फिर कभी कहना
जरा सी बात पर हँसना हँसाना याद आता
जब कभी गुजरा जमाना याद आता है,
बना मिटटी का अपना घर पुराना याद आता है।
वो पापा से चवन्नी रोज मिलती जेब खरचे को,
वो अम्मा से मिला एक आध-आना याद आता है।
वो छोटे भाई का लडना,वो जीजी से मिली झिङकी,
शाम को फिर भूल जाना याद आता है।
वो घर के सामने की अधखुली खिङकी अभी भी है,
वहाँ पर छिप कर किसी का मुस्कुराना याद आता है।
वो उसका रोज मिलना,न मिलना फिर कभी कहना
जरा सी बात पर हँसना हँसाना याद आता
बना मिटटी का अपना घर पुराना याद आता है।
वो पापा से चवन्नी रोज मिलती जेब खरचे को,
वो अम्मा से मिला एक आध-आना याद आता है।
वो छोटे भाई का लडना,वो जीजी से मिली झिङकी,
शाम को फिर भूल जाना याद आता है।
वो घर के सामने की अधखुली खिङकी अभी भी है,
वहाँ पर छिप कर किसी का मुस्कुराना याद आता है।
वो उसका रोज मिलना,न मिलना फिर कभी कहना
जरा सी बात पर हँसना हँसाना याद आता
जब कभी गुजरा जमाना याद आता है,
बना मिटटी का अपना घर पुराना याद आता है।
वो पापा से चवन्नी रोज मिलती जेब खरचे को,
वो अम्मा से मिला एक आध-आना याद आता है।
वो छोटे भाई का लडना,वो जीजी से मिली झिङकी,
शाम को फिर भूल जाना याद आता है।
वो घर के सामने की अधखुली खिङकी अभी भी है,
वहाँ पर छिप कर किसी का मुस्कुराना याद आता है।
वो उसका रोज मिलना,न मिलना फिर कभी कहना
जरा सी बात पर हँसना हँसाना याद आता
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Mr. Rakesh Ranjan
Har nazar ko ek Nazar .........
Har nazar ko ek Nazar ki talash hai,
har chehre me kuch toh Ehsaah hai,
Aapse Dosti hum yun hi nahi kar baithe,
kya kare Hamari pasand hi Kuch KHAAS hai . .
Chiragon se agar andhera duur hota,
toh chand ki chahat kise hoti.
Kat sakti agar akele zindagi,
to dosti naam ki cheez hi na hoti.
Kabhi kisi se Zikar e judai mat karna,
Iss dost se kabhi ruswai mat karna,
Jab dil uth jaye humse toh bata dena,
Na batakar bewafai mat karna.
Dosti sachi ho to waqt ruk jata hai
Asma lakh uncha ho magar jhuk jata hai
Dosti me duniya lakh bane rukawat,
Agar dost sacha ho to khuda bi jhuk jata hai.
Dosti woh Ehsas hai joh mit ta nahi.
Dosti Parwat hai woh, joh Jhukta nahi,
Iski keemat kya hai pucho Humse,
yeh woh ANMOL Moti hai joh bikta nahi . . .
Sachi hai Dosti Aazmaa ke dekho,
badalta nahi kabhi Sona apna rang,
Chahe jitni baar aag me jalaa ke dekho
har chehre me kuch toh Ehsaah hai,
Aapse Dosti hum yun hi nahi kar baithe,
kya kare Hamari pasand hi Kuch KHAAS hai . .
Chiragon se agar andhera duur hota,
toh chand ki chahat kise hoti.
Kat sakti agar akele zindagi,
to dosti naam ki cheez hi na hoti.
Kabhi kisi se Zikar e judai mat karna,
Iss dost se kabhi ruswai mat karna,
Jab dil uth jaye humse toh bata dena,
Na batakar bewafai mat karna.
Dosti sachi ho to waqt ruk jata hai
Asma lakh uncha ho magar jhuk jata hai
Dosti me duniya lakh bane rukawat,
Agar dost sacha ho to khuda bi jhuk jata hai.
Dosti woh Ehsas hai joh mit ta nahi.
Dosti Parwat hai woh, joh Jhukta nahi,
Iski keemat kya hai pucho Humse,
yeh woh ANMOL Moti hai joh bikta nahi . . .
Sachi hai Dosti Aazmaa ke dekho,
badalta nahi kabhi Sona apna rang,
Chahe jitni baar aag me jalaa ke dekho
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Mr. Rakesh Ranjan
जिन्दगी ये किस मोड पे.......
जिन्दगी ये किस मोड पे ले आयी है,
ना मा, बाप, बहन, ना यहा कोई भाई है.
हर लडकी का है Boy Friend, हर लडके ने Girl Friend पायी है,
चंद दिनो के है ये रिश्ते, फिर वही रुसवायी है.
घर जाना Home Sickness कहलाता है,
पर Girl Friend से मिलने को टाईम रोज मिल जाता है.
दो दिन से नही पुछा मां की तबीयत का हाल,
Girl Friend से पल-पल की खबर पायी है,
जिन्दगी ये किस मोड पे ले आयी है…..
कभी खुली हवा मे घुमते थे,
अब AC की आदत लगायी है.
धुप हमसे सहन नही होती,
हर कोई देता यही दुहाई है.
मेहनत के काम हम करते नही,
इसीलिये Gym जाने की नौबत आयी है.
McDonalds, PizaaHut जाने लगे,
दाल-रोटी तो मुश्कील से खायी है.
जिन्दगी ये किस मोड पे ले आयी है…..
Work Relation हमने बडाये,
पर दोस्तो की संख्या घटायी है.
Professional ने की है तरक्की,
Social ने मुंह की खायी है
ना मा, बाप, बहन, ना यहा कोई भाई है.
हर लडकी का है Boy Friend, हर लडके ने Girl Friend पायी है,
चंद दिनो के है ये रिश्ते, फिर वही रुसवायी है.
घर जाना Home Sickness कहलाता है,
पर Girl Friend से मिलने को टाईम रोज मिल जाता है.
दो दिन से नही पुछा मां की तबीयत का हाल,
Girl Friend से पल-पल की खबर पायी है,
जिन्दगी ये किस मोड पे ले आयी है…..
कभी खुली हवा मे घुमते थे,
अब AC की आदत लगायी है.
धुप हमसे सहन नही होती,
हर कोई देता यही दुहाई है.
मेहनत के काम हम करते नही,
इसीलिये Gym जाने की नौबत आयी है.
McDonalds, PizaaHut जाने लगे,
दाल-रोटी तो मुश्कील से खायी है.
जिन्दगी ये किस मोड पे ले आयी है…..
Work Relation हमने बडाये,
पर दोस्तो की संख्या घटायी है.
Professional ने की है तरक्की,
Social ने मुंह की खायी है
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Mr. Rakesh Ranjan
जिंदगी की असली उड़ान.......
जिंदगी की असली उड़ान अभी बाकी है,
मेरे इरादों का इम्तिहान अभी बाकी है,
अभी तो नापी है मुट्ठी भर ज़मी हमने,
अभी तो सारा आसमां बाकी है
लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती,
हिम्मत करने वालों की हार नहीं होती,
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढती दीवारों पर सौ बार फिसलती है,
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़ कर गिरना, गिरकर चढ़ना, ना अखरता है,
आखिर उसकी मेहनत, बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है ,
जा जा कर खाली हाथ .. लौट आता है
मिलते ना सहज ही मोती पानी में,
बढ़ता दूना उत्साह इसी हैरानी में
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती,
हिम्मत करने वालों की हार नहीं होती
असफलता एक चुनौती है .. स्वीकार करो ,
क्या कमी रह गई ... देखो ... और सुधार करो
जब तक ना सफल हो ... नींद चैन की त्यागो तुम,
संघर्ष का मैदान .. छोड़ न भागो तुम
कुछ किए बिना ही .. जय-जय कार नहीं होती,
हिम्मत करने वालों की हार नहीं होती
मेरे इरादों का इम्तिहान अभी बाकी है,
अभी तो नापी है मुट्ठी भर ज़मी हमने,
अभी तो सारा आसमां बाकी है
लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती,
हिम्मत करने वालों की हार नहीं होती,
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढती दीवारों पर सौ बार फिसलती है,
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़ कर गिरना, गिरकर चढ़ना, ना अखरता है,
आखिर उसकी मेहनत, बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है ,
जा जा कर खाली हाथ .. लौट आता है
मिलते ना सहज ही मोती पानी में,
बढ़ता दूना उत्साह इसी हैरानी में
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती,
हिम्मत करने वालों की हार नहीं होती
असफलता एक चुनौती है .. स्वीकार करो ,
क्या कमी रह गई ... देखो ... और सुधार करो
जब तक ना सफल हो ... नींद चैन की त्यागो तुम,
संघर्ष का मैदान .. छोड़ न भागो तुम
कुछ किए बिना ही .. जय-जय कार नहीं होती,
हिम्मत करने वालों की हार नहीं होती
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Mr. Rakesh Ranjan
तुझे सब है पता ....है न माँ
मैं कभी बतलाता नहीं... पर semester से डरता हूँ मैं माँ ...|
यूं तो मैं दिखलाता नहीं ... grades की परवाह करता हूँ मैं माँ ..|
तुझे सब है पता ....है न माँ ||
किताबों में ...यूं न छोडो मुझे..
chapters के नाम भी न बतला पाऊँ माँ |
वह भी तो ...इतने सारे हैं....
याद भी अब तो आ न पाएं माँ ...|
क्या इतना गधा हूँ मैं माँ ..
क्या इतना गधा हूँ मैं माँ ..||
जब भी कभी ..invigilator मुझे ..
जो गौर से ..आँखों से घूरता है माँ ...
मेरी नज़र ..ढूंढे qstn paper...सोचूं यही ..
कोई सवाल तो बन जायेगा.....||
उनसे में ...यह कहता नहीं ..बगल वाले से टापता हूँ मैं माँ |
चेहरे पे ...आने देता नहीं...दिल ही दिल में घबराता हूँ माँ ||
तुझे सब है पता .. है न माँ ..|
तुझे सब है पता ..है न माँ ..||
मैं कभी बतलाता नहीं... par semester से डरता हूँ मैं माँ ...|
यूं तो मैं दिखलाता नहीं ... grades की परवाह करता हूँ मैं माँ ..|
तुझे सब है पता ....है न माँ ||
तुझे सब है पता ....है
यूं तो मैं दिखलाता नहीं ... grades की परवाह करता हूँ मैं माँ ..|
तुझे सब है पता ....है न माँ ||
किताबों में ...यूं न छोडो मुझे..
chapters के नाम भी न बतला पाऊँ माँ |
वह भी तो ...इतने सारे हैं....
याद भी अब तो आ न पाएं माँ ...|
क्या इतना गधा हूँ मैं माँ ..
क्या इतना गधा हूँ मैं माँ ..||
जब भी कभी ..invigilator मुझे ..
जो गौर से ..आँखों से घूरता है माँ ...
मेरी नज़र ..ढूंढे qstn paper...सोचूं यही ..
कोई सवाल तो बन जायेगा.....||
उनसे में ...यह कहता नहीं ..बगल वाले से टापता हूँ मैं माँ |
चेहरे पे ...आने देता नहीं...दिल ही दिल में घबराता हूँ माँ ||
तुझे सब है पता .. है न माँ ..|
तुझे सब है पता ..है न माँ ..||
मैं कभी बतलाता नहीं... par semester से डरता हूँ मैं माँ ...|
यूं तो मैं दिखलाता नहीं ... grades की परवाह करता हूँ मैं माँ ..|
तुझे सब है पता ....है न माँ ||
तुझे सब है पता ....है
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Mr. Rakesh Ranjan
मैं और मेरा रूममेट अक्सर ये.......
मैं और मेरा रूममेट अक्सर ये बातें करते हैं,
घर साफ होता तो कैसा होता.
मैं किचन साफ करता तुम बाथरूम धोते,
तुम हॉल साफ करते मैं बालकनी देखता.
लोग इस बात पर हैरान होते,
उस बात पर कितने हँसते.
मैं और मेरा रूममेट अक्सर ये बातें करते हैं.
यह हरा-भरा सिंक है या बर्तनों की जंग छिड़ी हुई है,
ये कलरफुल किचन है या मसालों से होली खेली हुई है.
है फ़र्श की नई डिज़ाइन या दूध, बियर से धुली हुई हैं.
ये सेलफोन है या ढक्कन,
स्लीपिंग बैग है या किसी का आँचल.
ये एयर-फ्रेशनर का नया फ्लेवर है या ट्रैश-बैग से आती बदबू.
ये पत्तियों की है सरसराहट या हीटर फिर से खराब हुआ है.
ये सोचता है रूममेट कब से गुमसुम,
के जबकि उसको भी ये खबर है
कि मच्छर नहीं है, कहीं नहीं है.
मगर उसका दिल है कि कह रहा है
मच्छर यहीं है, यहीं कहीं है.
तोंद की ये हालत मेरी भी है उसकी भी,
दिल में एक तस्वीर इधर भी है, उधर भी.
करने को बहुत कुछ है, मगर कब करें हम,
इसके लिए टाइम इधर भी नहीं है, उधर भी नहीं
घर साफ होता तो कैसा होता.
मैं किचन साफ करता तुम बाथरूम धोते,
तुम हॉल साफ करते मैं बालकनी देखता.
लोग इस बात पर हैरान होते,
उस बात पर कितने हँसते.
मैं और मेरा रूममेट अक्सर ये बातें करते हैं.
यह हरा-भरा सिंक है या बर्तनों की जंग छिड़ी हुई है,
ये कलरफुल किचन है या मसालों से होली खेली हुई है.
है फ़र्श की नई डिज़ाइन या दूध, बियर से धुली हुई हैं.
ये सेलफोन है या ढक्कन,
स्लीपिंग बैग है या किसी का आँचल.
ये एयर-फ्रेशनर का नया फ्लेवर है या ट्रैश-बैग से आती बदबू.
ये पत्तियों की है सरसराहट या हीटर फिर से खराब हुआ है.
ये सोचता है रूममेट कब से गुमसुम,
के जबकि उसको भी ये खबर है
कि मच्छर नहीं है, कहीं नहीं है.
मगर उसका दिल है कि कह रहा है
मच्छर यहीं है, यहीं कहीं है.
तोंद की ये हालत मेरी भी है उसकी भी,
दिल में एक तस्वीर इधर भी है, उधर भी.
करने को बहुत कुछ है, मगर कब करें हम,
इसके लिए टाइम इधर भी नहीं है, उधर भी नहीं
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Mr. Rakesh Ranjan
मृदु भावों के अंगूरों की आज....
,.,,मृदु भावों के अंगूरों की आज बना लाया हाला,
प्रियतम, अपने ही हाथों से आज पिलाऊँगा प्याला,
पहले भोग लगा लूँ तेरा फिर प्रसाद जग पाएगा,
सबसे पहले तेरा स्वागत करती मेरी मधुशाला।।१।
धर्मग्रन्थ सब जला चुकी है, जिसके अंतर की ज्वाला,
मंदिर, मसजिद, गिरिजे, सब को तोड़ चुका जो मतवाला,
पंडित, मोमिन, पादिरयों के फंदों को जो काट चुका,
कर सकती है आज उसी का स्वागत मेरी मधुशाला।।१७।
बजी नफ़ीरी और नमाज़ी भूल गया अल्लाताला,
गाज गिरी, पर ध्यान सुरा में मग्न रहा पीनेवाला,
शेख, बुरा मत मानो इसको, साफ़ कहूँ तो मस्जिद को
अभी युगों तक सिखलाएगी ध्यान लगाना मधुशाला!।४९।
मुसलमान औ' हिन्दू है दो, एक, मगर, उनका प्याला,
एक, मगर, उनका मदिरालय, एक, मगर, उनकी हाला,
दोनों रहते एक न जब तक मस्जिद मन्दिर में जाते,
बैर बढ़ाते मस्जिद मन्दिर मेल कराती मधुशाला!।५०।
छोटे-से जीवन में कितना प्यार करुँ, पी लूँ हाला,
आने के ही साथ जगत में कहलाया 'जानेवाला',
स्वागत के ही साथ विदा की होती देखी तैयारी,
बंद लगी होने खुलते ही मेरी जीवन-मधुशाला।।६६।
यम आयेगा साकी बनकर साथ लिए काली हाला,
पी न होश में फिर आएगा सुरा-वि
प्रियतम, अपने ही हाथों से आज पिलाऊँगा प्याला,
पहले भोग लगा लूँ तेरा फिर प्रसाद जग पाएगा,
सबसे पहले तेरा स्वागत करती मेरी मधुशाला।।१।
धर्मग्रन्थ सब जला चुकी है, जिसके अंतर की ज्वाला,
मंदिर, मसजिद, गिरिजे, सब को तोड़ चुका जो मतवाला,
पंडित, मोमिन, पादिरयों के फंदों को जो काट चुका,
कर सकती है आज उसी का स्वागत मेरी मधुशाला।।१७।
बजी नफ़ीरी और नमाज़ी भूल गया अल्लाताला,
गाज गिरी, पर ध्यान सुरा में मग्न रहा पीनेवाला,
शेख, बुरा मत मानो इसको, साफ़ कहूँ तो मस्जिद को
अभी युगों तक सिखलाएगी ध्यान लगाना मधुशाला!।४९।
मुसलमान औ' हिन्दू है दो, एक, मगर, उनका प्याला,
एक, मगर, उनका मदिरालय, एक, मगर, उनकी हाला,
दोनों रहते एक न जब तक मस्जिद मन्दिर में जाते,
बैर बढ़ाते मस्जिद मन्दिर मेल कराती मधुशाला!।५०।
छोटे-से जीवन में कितना प्यार करुँ, पी लूँ हाला,
आने के ही साथ जगत में कहलाया 'जानेवाला',
स्वागत के ही साथ विदा की होती देखी तैयारी,
बंद लगी होने खुलते ही मेरी जीवन-मधुशाला।।६६।
यम आयेगा साकी बनकर साथ लिए काली हाला,
पी न होश में फिर आएगा सुरा-वि
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