तुम्हारी नजर झुके.....

तुम्हारी नजर झुके तो शाम हो जाये
मयखाने में भीड़ जाम पे जाम हो जाये

तुम चाहो तो कुछ भी कर दो
अगर पानी छु दो तो शराब हो जाये

तुम्हारी नजर तीर तलवार से भी बढ़कर है
अगर चाहो तो शहर में कत्ले आम हो जाये

अपने चाहने वालो की दीवानगी तो देखो
उनकी हर ख़ुशी तुम्हारे नाम हो जाये

मैं दुआ करता हूँ रब से
खुदा से भी ऊपर तेरा मुकाम हो जाये
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मुझ को ढूढ़ते है वो ....

शाम होती है एक दर्द की रात लिए
रुलाती है बहुत दिल की बात लिए

वफा करके बहुत ही दोस्तों
दिल रोता है आँखों में आंसू लिए

कभी जिनकी निगरानी हम किया करते थे
वही आज हमें ढूढ़ते है खंजर को हाथ लिए

गमो के समंदर को वो एक नाटक करार देते है
मुझ को ढूढ़ते है वो दुश्मन को साथ लिए
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तुम आँखों से बोलो.......

शब्दों को अधरों पर रख कर दिल के भेद न खोलो
मैं आँखों से सुन सकता हूँ , तुम आँखों से बोलो.

संबंधों की कठिन धारा पर चलना बहुत कठिन है
पग धरने से पहले अपने विश्वासों को तोलो !!
मैं आँखों से सुन सकता हूँ तुम आँखों से बोलो

तुम्हारे तीखे बाण ह्रदय को बेधित कर देते हैं
सत्य बहुत कड़वा होता है, सोच समझ के बोलो
मैं आँखों से सुन सकता हूँ , तुम आँखों से बोलो !!!

कैसे करोगी जहमत, तुम इनायत-ए-इश्क पर
पहले ह्रदय कठोर , नैन के गंगाजल से धो लो ,
मैं आँखों से सुन सकता हूँ , तुम आँखों से बोलो.

प्रेम रहित जीवन का कुछ अर्थ नहीं होता है
मेरे मीत न बन पाए तोः और किसी के हो लो.!!






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रंजिश ही सही........

रंजिश ही सही, दिल ही दुखाने के लिए आ
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ

कुछ तो मेरे पिन्दार-ए-मोहब्बत[1]का भरम रख
तू भी तो कभी मुझको मनाने के लिए आ

पहले से मरासिम[2] न सही, फिर भी कभी तो
रस्मों-रहे[3] दुनिया ही निभाने के लिए आ

किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम
तू मुझ से ख़फ़ा है, तो ज़माने के लिए आ

इक उम्र से हूँ लज़्ज़त-ए-गिरिया[4] से भी महरूम[5]
ऐ राहत-ए-जाँ [6]मुझको रुलाने के लिए आ

अब तक दिल-ए-ख़ुशफ़हम[7] को तुझ से हैं उम्मीदें
ये आखिरी शमएँ भी बुझाने के लिए आ


शब्दार्थ:

1↑ प्रेम का गर्व
2↑ प्रेम-व्यहवार
3↑ सांसारिक शिष्टाचार
4↑ रोने का स्वाद
5↑ वंचित
6↑ प्राणाधार
7↑ किसी की ओर से अच्छा विचार रखने वाला मन



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उसको पता हो जाएगा......

सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा ।
इतना मत चाहो उसे, वो बेवफ़ा हो जाएगा ।

हम भी दरिया हैं, हमें अपना हुनर मालूम है,
जिस तरफ़ भी चल पड़ेंगे, रास्ता हो जाएगा ।

कितना सच्चाई से, मुझसे ज़िंदगी ने कह दिया,
तू नहीं मेरा तो कोई, दूसरा हो जाएगा ।

मैं ख़ुदा का नाम लेकर, पी रहा हूँ दोस्तो,
ज़हर भी इसमें अगर होगा, दवा हो जाएगा ।

सब उसी के हैं, हवा, ख़ुश्बू, ज़मीनो-आस्माँ,
मैं जहाँ भी जाऊँगा, उसको पता हो जाएगा ।
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