क्यूं कहते हो मेरे साथ कुछ भी बेहतर नही होता
सच ये है के जैसा चाहो वैसा नही होता
कोई सह लेता है कोई कह लेता है
क्यूँकी ग़म कभी ज़िंदगी से बढ़ कर नही होता
आज अपनो ने ही सीखा दिया हमे
यहाँ ठोकर देने वाला हैर पत्थर नही होता
क्यूं ज़िंदगी की मुश्क़िलो से हारे बैठे हो
इसके बिना कोई मंज़िल, कोई सफ़र नही होता
कोई तेरे साथ नही है तो भी ग़म ना कर
ख़ुद से बढ़ कर कोई दुनिया में हमसफ़र नही होता ....
.
अब लिखने को क्या बाकी है...
अब क्या लिखें हम कागज़ पर, अब लिखने को क्या बाकी है !!
इक दिल था सो वो टूट गया, अब टूटने को क्या बाकी है !!
इक शक्स को हम ने चाहा था, इक रेत पे नक्श बनाया था !!
वो रेत तो कब कि बिखर चुकी, वो नक्श अब कहाँ बाकी है !!
जो सपने हमने देखे थे काग़ज़ पर सारे लिख डाले !!
वो सारे काग़ज़ फिर हम ने दरिया के हवाले कर डाले !!
वो सारे ख्वाब बहा डाले, वो सारे नक्श मिटा डाले !!
अब ज़हां है खाली नक्शों का, कोई ख्वाब अब कहाँ बाकी है !!
हम जिनको अपनी नज़मो का, लफ्ज बनाया करते थे !!
लफ्जों का बना कर ताजमहल, काग़ज़ पर सजाया करते थे !!
वो हम को अकेला छोड़ गए, सब रिश्तों से मुंह मोड़ गए !!
अब रास्ते सारे सूने हैं, वो प्यार अब कहाँ बाकी है !!
अब क्या लिखें हम कागज़ पर, अब लिखने को क्या बाकी !!!!
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सौजन्य.......
कंचन (मेरी दोस्त)
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इक दिल था सो वो टूट गया, अब टूटने को क्या बाकी है !!
इक शक्स को हम ने चाहा था, इक रेत पे नक्श बनाया था !!
वो रेत तो कब कि बिखर चुकी, वो नक्श अब कहाँ बाकी है !!
जो सपने हमने देखे थे काग़ज़ पर सारे लिख डाले !!
वो सारे काग़ज़ फिर हम ने दरिया के हवाले कर डाले !!
वो सारे ख्वाब बहा डाले, वो सारे नक्श मिटा डाले !!
अब ज़हां है खाली नक्शों का, कोई ख्वाब अब कहाँ बाकी है !!
हम जिनको अपनी नज़मो का, लफ्ज बनाया करते थे !!
लफ्जों का बना कर ताजमहल, काग़ज़ पर सजाया करते थे !!
वो हम को अकेला छोड़ गए, सब रिश्तों से मुंह मोड़ गए !!
अब रास्ते सारे सूने हैं, वो प्यार अब कहाँ बाकी है !!
अब क्या लिखें हम कागज़ पर, अब लिखने को क्या बाकी !!!!
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सौजन्य.......
कंचन (मेरी दोस्त)
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Posted by :-
Mr. Rakesh Ranjan
कल हो ना हो ....
आज एक बार सबसे मुस्करा के बात करो
बिताये हुये पलों को साथ साथ याद करो
क्या पता कल चेहरे को मुस्कुराना
और दिमाग को पुराने पल याद हो ना हो
आज एक बार फ़िर पुरानी बातो मे खो जाओ
आज एक बार फ़िर पुरानी यादो मे डूब जाओ
क्या पता कल ये बाते और ये यादें हो ना हो
आज एक बार मन्दिर हो आओ
पुजा कर के प्रसाद भी चढाओ
क्या पता कल के कलयुग मे
भगवान पर लोगों की श्रद्धा हो ना हो
बारीश मे आज खुब भीगो
झुम झुम के बचपन की तरह नाचो
क्या पता बीते हुये बचपन की तरह
कल ये बारीश भी हो ना हो
आज हर काम खूब दिल लगा कर करो
उसे तय समय से पहले पुरा करो
क्या पता आज की तरह कल बाजुओं मे ताकत हो ना हो
आज एक बार चैन की नीन्द सो जाओ
आज कोई अच्छा सा सपना भी देखो
क्या पता कल जिन्दगी मे चैन
और आखों मे कोई सपना हो ना हो
क्या पता
कल हो ना हो ....
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सौजन्य.......
कंचन (मेरी दोस्त)
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बिताये हुये पलों को साथ साथ याद करो
क्या पता कल चेहरे को मुस्कुराना
और दिमाग को पुराने पल याद हो ना हो
आज एक बार फ़िर पुरानी बातो मे खो जाओ
आज एक बार फ़िर पुरानी यादो मे डूब जाओ
क्या पता कल ये बाते और ये यादें हो ना हो
आज एक बार मन्दिर हो आओ
पुजा कर के प्रसाद भी चढाओ
क्या पता कल के कलयुग मे
भगवान पर लोगों की श्रद्धा हो ना हो
बारीश मे आज खुब भीगो
झुम झुम के बचपन की तरह नाचो
क्या पता बीते हुये बचपन की तरह
कल ये बारीश भी हो ना हो
आज हर काम खूब दिल लगा कर करो
उसे तय समय से पहले पुरा करो
क्या पता आज की तरह कल बाजुओं मे ताकत हो ना हो
आज एक बार चैन की नीन्द सो जाओ
आज कोई अच्छा सा सपना भी देखो
क्या पता कल जिन्दगी मे चैन
और आखों मे कोई सपना हो ना हो
क्या पता
कल हो ना हो ....
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सौजन्य.......
कंचन (मेरी दोस्त)
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Posted by :-
Mr. Rakesh Ranjan
दोस्त होता है ऐसे....
माना दोस्ती का रिश्ता खून का नहीं होता
लेकिन खून के रिश्ते से कम भी नहीं होता
दोस्ती में एक बात मुझे समझ नही आती है
दोस्त में लाख बुराई हो उसमे अच्छाई ही क्यु नजर आती है
दोस्त बैठाता है आपको सर आखों पर
आपकी सारी परेशानी लेता है अपने उपर
आप की गलती सारी दुनिया से छुपाता है
खुद के अच्छे कामों का श्रेय भी आप ही को देता है
दोस्त होता है ऐसे
दीयो के लिए बाती जैसे
अंधों के लिए लाठी जैसे
प्यासे के लिए पानी जैसे
बच्चे के लिए नानी जैसे
दियों के लिए बाती जैसे
लेखक के लिए कलम जैसे
बीमार के लिए मरहम जैसे
कुम्हार के लिए माटी जैसे
किसान के लिए खेती जैसे
भक्त के लिए वरदान जैसे
मरने वाले के लिए जीवनदान जैसे
अन्त में आप से एक ही बात है कहना
दोस्त को बुरा लगे ऐसा कोई काम ना करना
खुद भी खुश रहना और दोस्तों को भी रखना
चाहे कितनी भी बड़ी मुश्किल हो दोस्त का साथ ना छोड़ना
जाते जाते मेरी एक विनती है आप से
अपने प्यारे दोस्त को ये कविता जरुर सुनाना
मैने तो मेरा फ़र्ज निभाया
अब आपको है अपना निभाना ||||
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सौजन्य.......
कंचन (मेरी दोस्त)
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लेकिन खून के रिश्ते से कम भी नहीं होता
दोस्ती में एक बात मुझे समझ नही आती है
दोस्त में लाख बुराई हो उसमे अच्छाई ही क्यु नजर आती है
दोस्त बैठाता है आपको सर आखों पर
आपकी सारी परेशानी लेता है अपने उपर
आप की गलती सारी दुनिया से छुपाता है
खुद के अच्छे कामों का श्रेय भी आप ही को देता है
दोस्त होता है ऐसे
दीयो के लिए बाती जैसे
अंधों के लिए लाठी जैसे
प्यासे के लिए पानी जैसे
बच्चे के लिए नानी जैसे
दियों के लिए बाती जैसे
लेखक के लिए कलम जैसे
बीमार के लिए मरहम जैसे
कुम्हार के लिए माटी जैसे
किसान के लिए खेती जैसे
भक्त के लिए वरदान जैसे
मरने वाले के लिए जीवनदान जैसे
अन्त में आप से एक ही बात है कहना
दोस्त को बुरा लगे ऐसा कोई काम ना करना
खुद भी खुश रहना और दोस्तों को भी रखना
चाहे कितनी भी बड़ी मुश्किल हो दोस्त का साथ ना छोड़ना
जाते जाते मेरी एक विनती है आप से
अपने प्यारे दोस्त को ये कविता जरुर सुनाना
मैने तो मेरा फ़र्ज निभाया
अब आपको है अपना निभाना ||||
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सौजन्य.......
कंचन (मेरी दोस्त)
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Posted by :-
Mr. Rakesh Ranjan
ज़िन्दगी किस तरह बिताओगे..
ज़िन्दगी किस तरह बिताओगे,
पास जब अपने हमें न पाओगे,
दिन में तन्हाईयाँ सताएंगी,
रात को चौंक कर उठ जाओगे,
रात भर नींद क्यों नहीं आती,
तुम ये खुद भी समझ न पाओगे,
लोग पोचेंगे इस तन्हाई का सबब,
क्या छुपाओगे क्या बताओगे,
पलकें हर बार भीग जायेंगी,
जब कभी खुल के मुस्कराओगे,
मेरी यादें बहुत सताएंगी,
जब भी बारिश में भीग जाओगे,
खुद को तनहा न पा सकोगे,
हर जगह मेरा अक्स पाओगे !!!!
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सौजन्य.......
कंचन (मेरी दोस्त)
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पास जब अपने हमें न पाओगे,
दिन में तन्हाईयाँ सताएंगी,
रात को चौंक कर उठ जाओगे,
रात भर नींद क्यों नहीं आती,
तुम ये खुद भी समझ न पाओगे,
लोग पोचेंगे इस तन्हाई का सबब,
क्या छुपाओगे क्या बताओगे,
पलकें हर बार भीग जायेंगी,
जब कभी खुल के मुस्कराओगे,
मेरी यादें बहुत सताएंगी,
जब भी बारिश में भीग जाओगे,
खुद को तनहा न पा सकोगे,
हर जगह मेरा अक्स पाओगे !!!!
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सौजन्य.......
कंचन (मेरी दोस्त)
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Mr. Rakesh Ranjan
याद आते हो तुम ....
मत पूछो ये मुझसे की कब याद आते हो तुम,
जब जब साँसें चलती हैं बहुत याद आते हो तुम,
नींद में पलकें होती हैं जब भी भारी,
बनके ख्वाब बार बार नज़र आते हो तुम,
महफिल में शामिल होते हैं हम जब भी,
भीड़ की तनहयों में हर बार नज़र आते हो तुम,
जब भी सोचा की फासला रखूँ मैं तुम से,
ज़िन्दगी बन के साँसों में समां जाते हो तुम,
खुद को तूफ़ान बनाने की कोशिश तो की,
बन के साहिल अपनी आगोश में समां जाते हो तुम,
चाहा ना था मैंने इस पहेली में उलझना,
हर उलझन का जवाब बन के उभर आते हो तुम,
सूरज की रौशनी, चंदा की चांदनी,
आसमान को देखता हूँ मैं जब जब,
तुम्हारी कसम बहुत याद आते हो तुम,
अब ना पूछना मुझसे की कब,
याद आते हो तुम .........
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सौजन्य.......
कंचन (मेरी दोस्त)
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जब जब साँसें चलती हैं बहुत याद आते हो तुम,
नींद में पलकें होती हैं जब भी भारी,
बनके ख्वाब बार बार नज़र आते हो तुम,
महफिल में शामिल होते हैं हम जब भी,
भीड़ की तनहयों में हर बार नज़र आते हो तुम,
जब भी सोचा की फासला रखूँ मैं तुम से,
ज़िन्दगी बन के साँसों में समां जाते हो तुम,
खुद को तूफ़ान बनाने की कोशिश तो की,
बन के साहिल अपनी आगोश में समां जाते हो तुम,
चाहा ना था मैंने इस पहेली में उलझना,
हर उलझन का जवाब बन के उभर आते हो तुम,
सूरज की रौशनी, चंदा की चांदनी,
आसमान को देखता हूँ मैं जब जब,
तुम्हारी कसम बहुत याद आते हो तुम,
अब ना पूछना मुझसे की कब,
याद आते हो तुम .........
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सौजन्य.......
कंचन (मेरी दोस्त)
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Mr. Rakesh Ranjan
क्यों नजर आता है ?....
हजारों रंगों की दुनिया,
पर हर रंग काला क्यों नजर आता है ?
हर सुन्दर चेहरे पर है मुस्कराहट,
पर हर मुस्कराहट में कमी क्यों नजर आता है ?
छोटा बहुत है ये ज़िन्दगी का सफ़र,
पर हर सफ़र लम्बा क्यों नजर आता है ?
बहुत ऊँचा है मेरे सपनों का महल,
पर दिवार टुटा हुआ क्यों नजर आता है ?
रिश्तों में खोना चाहते हैं मगर,
हर रिश्ते में धोखा क्यों नजर आता है ?
इन्सान तो हम हैं मगर,
हर खून में मिलावट क्यों नजर आता है ?????
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सौजन्य.......
कंचन (मेरी दोस्त)
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पर हर रंग काला क्यों नजर आता है ?
हर सुन्दर चेहरे पर है मुस्कराहट,
पर हर मुस्कराहट में कमी क्यों नजर आता है ?
छोटा बहुत है ये ज़िन्दगी का सफ़र,
पर हर सफ़र लम्बा क्यों नजर आता है ?
बहुत ऊँचा है मेरे सपनों का महल,
पर दिवार टुटा हुआ क्यों नजर आता है ?
रिश्तों में खोना चाहते हैं मगर,
हर रिश्ते में धोखा क्यों नजर आता है ?
इन्सान तो हम हैं मगर,
हर खून में मिलावट क्यों नजर आता है ?????
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सौजन्य.......
कंचन (मेरी दोस्त)
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Mr. Rakesh Ranjan
डर लगता है ....
दूरियों का एहसास ना करा,
पास आने से डर लगता है |
मैं तुझे करीब ना पाऊं,
तो जीने से डर लगता है |
ज़िन्दगी तुम्हारे बिन कैसे कटेगी,
सोच पाने से भी डर लगता है |
ख़ुशी और सुकून का रिश्ता है तुझ से,
फिर भी दिल लगाने से डर लगता है |
आँखों से आंसू निकल जाये तो ग़म नहीं,
पर तेरे उदास होने से डर लगता है |
इस वफ़ा को कल शायद निभा पाए या नहीं,
पर तेरे टूट जाने से डर लगता है ||
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सौजन्य.......
कंचन (मेरी दोस्त)
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पास आने से डर लगता है |
मैं तुझे करीब ना पाऊं,
तो जीने से डर लगता है |
ज़िन्दगी तुम्हारे बिन कैसे कटेगी,
सोच पाने से भी डर लगता है |
ख़ुशी और सुकून का रिश्ता है तुझ से,
फिर भी दिल लगाने से डर लगता है |
आँखों से आंसू निकल जाये तो ग़म नहीं,
पर तेरे उदास होने से डर लगता है |
इस वफ़ा को कल शायद निभा पाए या नहीं,
पर तेरे टूट जाने से डर लगता है ||
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सौजन्य.......
कंचन (मेरी दोस्त)
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Mr. Rakesh Ranjan
इक रात हुई ....
इक रात हुई बरसात बहुत,
मैं रोया सारी रात बहुत |
हर ग़म था ज़माने का लेकिन,
मैं तनहा था उस रात बहुत ||
फिर आँख से इक सावन बरसा,
जब सेहर हुई तो ख्याल आया |
वो बादल कितना तनहा था,
जो बरसा सारी रात बहुत ||||
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सौजन्य.......
कंचन (मेरी दोस्त)
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मैं रोया सारी रात बहुत |
हर ग़म था ज़माने का लेकिन,
मैं तनहा था उस रात बहुत ||
फिर आँख से इक सावन बरसा,
जब सेहर हुई तो ख्याल आया |
वो बादल कितना तनहा था,
जो बरसा सारी रात बहुत ||||
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सौजन्य.......
कंचन (मेरी दोस्त)
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Mr. Rakesh Ranjan
एक लकीर तेरे नाम की ..
कुछ उदास कुछ खामोश
कुछ बेबस सी लकीरें मेरे हाथ की?
ढूंढ़ता रहता हूँ अक्सर लकीरों में
एक लकीर तेरे नाम की,
कुछ मालूम भी है
कुछ दिल भी जनता है
की इन लकीरों में कोई
लकीर नहीं तेरे नाम की
फिर भी ना जाने क्यूँ ढूंढ़ता रहता हूँ मैं
अक्सर,
एक लकीर तेरे नाम की ....
एक लकीर तेरे नाम की ....
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सौजन्य.......
कंचन (मेरी दोस्त)
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कुछ बेबस सी लकीरें मेरे हाथ की?
ढूंढ़ता रहता हूँ अक्सर लकीरों में
एक लकीर तेरे नाम की,
कुछ मालूम भी है
कुछ दिल भी जनता है
की इन लकीरों में कोई
लकीर नहीं तेरे नाम की
फिर भी ना जाने क्यूँ ढूंढ़ता रहता हूँ मैं
अक्सर,
एक लकीर तेरे नाम की ....
एक लकीर तेरे नाम की ....
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सौजन्य.......
कंचन (मेरी दोस्त)
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Posted by :-
Mr. Rakesh Ranjan
पहले से............
चाँद के साथ मेरी बात ना थी पहले से,
रात आती थी मगर रात ना थी पहले से,
हम तेरी याद से कल भी मिले थे लेकिन,
ये मुलाक़ात मुलाक़ात ना थी पहले से,
आंख क्यूँ लूट गए खौफ से शेरों के,
क्यूंकि इस बार बरसात ना थी पहले से,
अब के कुछ और तरह की थी उदासी इन में,
चाँद तरून की ये बरात ना थी पहले से,
इश्क ने पल में बदल दी मेरी सारी दुनिया,
मैंने देखा ये मेरी जात ना थी पहले से......
सौजन्य.......
कंचन (मेरी दोस्त)
.
रात आती थी मगर रात ना थी पहले से,
हम तेरी याद से कल भी मिले थे लेकिन,
ये मुलाक़ात मुलाक़ात ना थी पहले से,
आंख क्यूँ लूट गए खौफ से शेरों के,
क्यूंकि इस बार बरसात ना थी पहले से,
अब के कुछ और तरह की थी उदासी इन में,
चाँद तरून की ये बरात ना थी पहले से,
इश्क ने पल में बदल दी मेरी सारी दुनिया,
मैंने देखा ये मेरी जात ना थी पहले से......
सौजन्य.......
कंचन (मेरी दोस्त)
.
Posted by :-
Mr. Rakesh Ranjan
बस दो कदम.......
जाने क्यूँ वो साँसों की डोर टूटने नहीं देता,
बस दो कदम और चलने का वास्ता देकर मुझे रुकने नहीं देता |
बात कहता है वो मुझसे हंस हंस कर जी लेने की,
अजीब शख्स है मुझको चैन से रोने नहीं देता |
आज हौसला देता है मुझे चाँद सितारों को छू लेने का,
वो प्यारा सा चेहरा मुझे टूटकर बिखरने नहीं देता |
शायद जानता है वो भी इन आँखों में आंसुओं का सैलाब है,
जाने क्यूँ फिर भी वो इन आंसुओ को गिरने नहीं देता |
मुझसे कहता है, “मैं तो मर जाऊंगा तुम्हारे बिना“,
मैं जिंदा हूँ अब तक के वो मुझे मरने नहीं देता |
जाने क्यूँ वो साँसों की डोर टूटने नहीं देता,
बस दो कदम और चलने का वास्ता देकर मुझे रुकने नहीं देता |||
सौजन्य.......
कंचन (मेरी दोस्त)
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बस दो कदम और चलने का वास्ता देकर मुझे रुकने नहीं देता |
बात कहता है वो मुझसे हंस हंस कर जी लेने की,
अजीब शख्स है मुझको चैन से रोने नहीं देता |
आज हौसला देता है मुझे चाँद सितारों को छू लेने का,
वो प्यारा सा चेहरा मुझे टूटकर बिखरने नहीं देता |
शायद जानता है वो भी इन आँखों में आंसुओं का सैलाब है,
जाने क्यूँ फिर भी वो इन आंसुओ को गिरने नहीं देता |
मुझसे कहता है, “मैं तो मर जाऊंगा तुम्हारे बिना“,
मैं जिंदा हूँ अब तक के वो मुझे मरने नहीं देता |
जाने क्यूँ वो साँसों की डोर टूटने नहीं देता,
बस दो कदम और चलने का वास्ता देकर मुझे रुकने नहीं देता |||
सौजन्य.......
कंचन (मेरी दोस्त)
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Mr. Rakesh Ranjan
सजा को मैंने रजा......
सजा को मैंने रजा पे छोड़ दिया,
हर एक काम मेंने खुदा पे छोड़ दिया,
वो मुझे याद रखे या भुला दे,
उसी का काम था उसी की रजा पे छोड़ दिया,
उसी की मर्ज़ी बुझा दे या जला दे,
चिराग मैंने जला के हवा पे छोड़ दिया,
उस से बात भी करते तो किस तरह करते,
ये मसला दुआ का था दुआ पे छोड़ दिया,
इसीलिए तो कहते हैं बेवफा हमको,
हमने सारा ज़माना वफ़ा पे छोड़ दिया.....
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हर एक काम मेंने खुदा पे छोड़ दिया,
वो मुझे याद रखे या भुला दे,
उसी का काम था उसी की रजा पे छोड़ दिया,
उसी की मर्ज़ी बुझा दे या जला दे,
चिराग मैंने जला के हवा पे छोड़ दिया,
उस से बात भी करते तो किस तरह करते,
ये मसला दुआ का था दुआ पे छोड़ दिया,
इसीलिए तो कहते हैं बेवफा हमको,
हमने सारा ज़माना वफ़ा पे छोड़ दिया.....
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Mr. Rakesh Ranjan
किसी को मेरी मौत पे.....
किताबो के पन्नो को पलट के सोचता हु,,,
यु पलट जाये मेरी ज़िन्दगी तो क्या बात है...
ख्वाबो में रोज़ मिलता है जो,,,
हकीकत में आये तो क्या बात है...
कुछ मतलब के लिए दूंदते है मुझको,,,
बिन मतलब जो आये तो क्या बात है...
कत्ल कर के तो सब ले जायेंगे दिल मेरा,,,
कोई बातो से ले जाए तो क्या बात है...
शरीफों की शराफत में जो बात न हो,,,
एक शराबी कह जाये तो क्या बात है...
अपने रहने तक तो ख़ुशी दूंगा सबको,,,
किसी को मेरी मौत पे ख़ुशी मिल जाये तो क्या बात है...
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यु पलट जाये मेरी ज़िन्दगी तो क्या बात है...
ख्वाबो में रोज़ मिलता है जो,,,
हकीकत में आये तो क्या बात है...
कुछ मतलब के लिए दूंदते है मुझको,,,
बिन मतलब जो आये तो क्या बात है...
कत्ल कर के तो सब ले जायेंगे दिल मेरा,,,
कोई बातो से ले जाए तो क्या बात है...
शरीफों की शराफत में जो बात न हो,,,
एक शराबी कह जाये तो क्या बात है...
अपने रहने तक तो ख़ुशी दूंगा सबको,,,
किसी को मेरी मौत पे ख़ुशी मिल जाये तो क्या बात है...
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Posted by :-
Mr. Rakesh Ranjan
प्यार के किस्से......
कुछ ऐसे दिन भी मेरी ज़िन्दगी में आये हैं..
आँखे जब रोई है होंठ मुस्कराए हैं,
सबसे ज्यादा जो दूर गए मेरे दामन से,
जाने क्यूँ सबसे ज्यादा याद वही आये हैं ....
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
जब भी किसी को करीब पाया है,
क़सम ख़ुदा की वहीँ धोखा खाया है,
क्यों दोष देते हो कांटो को,
ये ज़ख्म तो हमने फूलों से पाया है!
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
सुना है प्यार के किस्से अजीब होते हैं,
ख़ुशी के बदले गम नसीब होते हैं,
मेरे दोस्त मोहब्बत ना करना कभी,
प्यार करनेवाले बड़े बदनसीब होते हैं !!
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
हमारी तमन्ना थी मोहब्बत में आशियाँ बनाने की,
बना चुके तो लग गयी नज़र ज़माने की,
उसी का क़र्ज़ है जो आज हैं आँखों में आँसू ,
आशियाँ बना के सजा मिली है मुस्कुराने की !!
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सौजन्य.......
कंचन (मेरी दोस्त)
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आँखे जब रोई है होंठ मुस्कराए हैं,
सबसे ज्यादा जो दूर गए मेरे दामन से,
जाने क्यूँ सबसे ज्यादा याद वही आये हैं ....
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
जब भी किसी को करीब पाया है,
क़सम ख़ुदा की वहीँ धोखा खाया है,
क्यों दोष देते हो कांटो को,
ये ज़ख्म तो हमने फूलों से पाया है!
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सुना है प्यार के किस्से अजीब होते हैं,
ख़ुशी के बदले गम नसीब होते हैं,
मेरे दोस्त मोहब्बत ना करना कभी,
प्यार करनेवाले बड़े बदनसीब होते हैं !!
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
हमारी तमन्ना थी मोहब्बत में आशियाँ बनाने की,
बना चुके तो लग गयी नज़र ज़माने की,
उसी का क़र्ज़ है जो आज हैं आँखों में आँसू ,
आशियाँ बना के सजा मिली है मुस्कुराने की !!
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सौजन्य.......
कंचन (मेरी दोस्त)
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Posted by :-
Mr. Rakesh Ranjan
एक निशानी हूँ मैं.....
अगर रख सको तो एक निशानी हूँ मैं,
खो दो तो सिर्फ एक कहानी हूँ मैं,
रोक पाए न जिसको ये सारी दुनिया,
वो एक बूँद आँख का पानी हूँ मैं,
सबको प्यार देने की आदत है हमें,
अपनी अलग पहचान बनाने की आदत है हमे,
कितना भी गहरा जख्म दे कोई,
उतना ही ज्यादा मुस्कराने की आदत है हमें,
इस अजनबी दुनिया में अकेला ख्वाब हूँ मैं,
सवालो से खफा छोटा सा जवाब हूँ मैं,
जो समझ न सके मुझे उनके लिए "कौन",
जो समझ गए उनके लिए खुली किताब हूँ मैं,
आँख से देखोगे तो खुश पाओगे,
दिल से पूछोगे तो दर्द का सैलाब हूँ मैं,
"अगर रख सको तो निशानी खो दो तो सिर्फ एक कहानी हूँ मैं" !!!
सौजन्य.......
कंचन (मेरी दोस्त)
.
खो दो तो सिर्फ एक कहानी हूँ मैं,
रोक पाए न जिसको ये सारी दुनिया,
वो एक बूँद आँख का पानी हूँ मैं,
सबको प्यार देने की आदत है हमें,
अपनी अलग पहचान बनाने की आदत है हमे,
कितना भी गहरा जख्म दे कोई,
उतना ही ज्यादा मुस्कराने की आदत है हमें,
इस अजनबी दुनिया में अकेला ख्वाब हूँ मैं,
सवालो से खफा छोटा सा जवाब हूँ मैं,
जो समझ न सके मुझे उनके लिए "कौन",
जो समझ गए उनके लिए खुली किताब हूँ मैं,
आँख से देखोगे तो खुश पाओगे,
दिल से पूछोगे तो दर्द का सैलाब हूँ मैं,
"अगर रख सको तो निशानी खो दो तो सिर्फ एक कहानी हूँ मैं" !!!
सौजन्य.......
कंचन (मेरी दोस्त)
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Posted by :-
Mr. Rakesh Ranjan
दिल बेकरार नहीं करते....
ऐसा नहीं है कि हम दिल बेकरार नहीं करते..
वो नहीं आयेंगे.. जानते हैं.. इसलिए हम इंतज़ार नहीं करते..
ये और बात है कि तड़पाया बहुत है मुझे अपनों ने..
पर हम अपनी नजरो में किसी को गुनहगार नहीं करते..
हम जानते हैं कि इज़हार-ऐ-मोहब्बत ज़रूरी है..
पर क्या करें... थोड़ी सी मजबूरी है..
कि लोग पूछते हैं कि हम क्यों इज़हार नहीं करते..
हम कहते हैं..
जो लफ्जों में बयाँ हो.. हम उतना प्यार नहीं करते.....
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वो नहीं आयेंगे.. जानते हैं.. इसलिए हम इंतज़ार नहीं करते..
ये और बात है कि तड़पाया बहुत है मुझे अपनों ने..
पर हम अपनी नजरो में किसी को गुनहगार नहीं करते..
हम जानते हैं कि इज़हार-ऐ-मोहब्बत ज़रूरी है..
पर क्या करें... थोड़ी सी मजबूरी है..
कि लोग पूछते हैं कि हम क्यों इज़हार नहीं करते..
हम कहते हैं..
जो लफ्जों में बयाँ हो.. हम उतना प्यार नहीं करते.....
.
Posted by :-
Mr. Rakesh Ranjan
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