जिस का किया मैंने इंतज़ार ,
कभी मिला नहीं मुझे उसका प्यार !
अब दोबारा नहीं होगा ये मुझसे ,
होता नहीं है ये बार बार !
मिला कभी उससे तो पूछूँगा ,
क्या कम था तुम्हारे लिए मेरा प्यार !
एक बार कहा होता की तुम्हें दिल दिया है ,
एक बार तो किया होता तुमने इकरार !
जिस दिन से दिल ने चाह है तुझे ,
हर लम्हा ऐसा लगा की आ गयी हो बहार !
अय काश की तूने एक बार कहा होता ,
दिल तो दे ही चुके थे जान भी देते हार !
जिसका किया मैंने इंतज़ार ,
कभी मिला नहीं मुझे उसका प्यार !!!!
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ये दिल उदास है बहुत...
ये दिल उदास है बहुत कोई पैगाम ही लिख दो ,
तुम अपना नाम ना लिखो, चलो गुमनाम ही लिख दो !
मेरी किस्मत में गम-ए-तन्हाई है लेकिन ,
तमाम उम्र ना लिखो, मगर एक शाम ही लिख दो !
ये जानता हूँ की उम्र भर तनहा मुझको रहना है ,
मगर पल दो पल, घडी दो घडी मेरा नाम ही लिख दो !
लो हम मान लेते हैं सजा के काबिल ठहरे ,
कोई इनाम ना लिखो, कोई इल्जाम ही लिख दो !!!!
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तुम अपना नाम ना लिखो, चलो गुमनाम ही लिख दो !
मेरी किस्मत में गम-ए-तन्हाई है लेकिन ,
तमाम उम्र ना लिखो, मगर एक शाम ही लिख दो !
ये जानता हूँ की उम्र भर तनहा मुझको रहना है ,
मगर पल दो पल, घडी दो घडी मेरा नाम ही लिख दो !
लो हम मान लेते हैं सजा के काबिल ठहरे ,
कोई इनाम ना लिखो, कोई इल्जाम ही लिख दो !!!!
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Posted by :-
Mr. Rakesh Ranjan
दिल धड़कता है उसी के लिए...
माना की हम भुला नहीं पाते उन्हें एक पल के लिए ,
पर यूँ रोया भी नहीं जाता एक पल के लिए !
मिली जो यूँ वो मिलकर बिछड़ गयी जिंदगी के लिए ,
उन्हें दिल से नहीं लगाया जाता दिल्लगी के लिए !
माना की ये बात हर किसी को लगती है सच्ची ,
पर हर अजनबी नहीं होते ज़माने में भुलाने के लिए !
यूँ तो खुदा से जो माँगा वो पाया दुआ में ,
पर हर दुआ कहाँ कबुल होती है हर किसी के लिए !
वो आएगी ना लौटकर फिर कभी ये जानते हैं हम ,
फिर भी दिल धड़कता है आज भी उसी अजनबी के लिए !!
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पर यूँ रोया भी नहीं जाता एक पल के लिए !
मिली जो यूँ वो मिलकर बिछड़ गयी जिंदगी के लिए ,
उन्हें दिल से नहीं लगाया जाता दिल्लगी के लिए !
माना की ये बात हर किसी को लगती है सच्ची ,
पर हर अजनबी नहीं होते ज़माने में भुलाने के लिए !
यूँ तो खुदा से जो माँगा वो पाया दुआ में ,
पर हर दुआ कहाँ कबुल होती है हर किसी के लिए !
वो आएगी ना लौटकर फिर कभी ये जानते हैं हम ,
फिर भी दिल धड़कता है आज भी उसी अजनबी के लिए !!
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Mr. Rakesh Ranjan
आरजू थी यारो....
यार जो भी मिला दिल जला कर गया ,
ख़ाक में मेरी हस्ती मिला कर गया !
प्यास जिसकी सदा मैं बुझाता रहा ,
ज़हर-ए-कातिल मुझे वो पिला कर गया !
नाज़ उसकी वफ़ा पर मुझे था मगर ,
तीर वो भी जिगर पर चला कर गया !
ढूंढता था कभी जो मुझे हर गली ,
आँख वो आज मुझसे बचा कर गया !
मांगता था सहारा जो हरदम मुझसे ,
बेसहारा मुझे वो बना कर गया !
नींद आगोश में जिसकी आने लगी ,
मौत की नींद मुझको सुला कर गया !
आरजू थी "यारो" किसी की मुझे ,
ख्वाब मेरे वही तो मिटा कर गया !!!!
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ख़ाक में मेरी हस्ती मिला कर गया !
प्यास जिसकी सदा मैं बुझाता रहा ,
ज़हर-ए-कातिल मुझे वो पिला कर गया !
नाज़ उसकी वफ़ा पर मुझे था मगर ,
तीर वो भी जिगर पर चला कर गया !
ढूंढता था कभी जो मुझे हर गली ,
आँख वो आज मुझसे बचा कर गया !
मांगता था सहारा जो हरदम मुझसे ,
बेसहारा मुझे वो बना कर गया !
नींद आगोश में जिसकी आने लगी ,
मौत की नींद मुझको सुला कर गया !
आरजू थी "यारो" किसी की मुझे ,
ख्वाब मेरे वही तो मिटा कर गया !!!!
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Mr. Rakesh Ranjan
क्यूँ अकेला छोड़ दिया....
क्यूँ रुलाते हो मुझे ?
क्यूँ भूल जाते हो मुझे ?
तेरे ही सहारे तो जी रहें हैं हम..
तो फिर क्यूँ अकेला छोड़ जाते हो मुझे ?
हर बात को छुपाना आता है तुम्हें,
रूठों को मानना आता है मुझे,
रूठे हो तुम ना जाने किस बात पर मुझसे,
तो फिर वो बात क्यूँ नहीं बताते हो मुझे ?
जान जाती है मेरी,
जब याद आती है तुम्हारी,
तुम तो मुझे भुला देते हो,
तो फिर क्यूँ याद आते हो मुझे ?
हम जीने के बहाने मरते रहेंगे,
प्यार हम तुमसे करते रहेंगे,
प्यार तो तुम भी करती हो ना मुझसे,
तो फिर क्यूँ यूँ सताती हो मुझे ?
या कह दो ज़हर पीने को,
या कहो फिर मुझे जीने को,
अगर मेरे साथ में नहीं चलना था तुमको,
तो फिर क्यूँ मुझे रास्ता ज़िन्दगी का दिखाया ?
बीच रास्ते में क्यूँ इस तरह अकेला छोड़ दिया ?
कहो......कुछ तो कहो
क्यूँ अकेला छोड़ दिया ??
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क्यूँ भूल जाते हो मुझे ?
तेरे ही सहारे तो जी रहें हैं हम..
तो फिर क्यूँ अकेला छोड़ जाते हो मुझे ?
हर बात को छुपाना आता है तुम्हें,
रूठों को मानना आता है मुझे,
रूठे हो तुम ना जाने किस बात पर मुझसे,
तो फिर वो बात क्यूँ नहीं बताते हो मुझे ?
जान जाती है मेरी,
जब याद आती है तुम्हारी,
तुम तो मुझे भुला देते हो,
तो फिर क्यूँ याद आते हो मुझे ?
हम जीने के बहाने मरते रहेंगे,
प्यार हम तुमसे करते रहेंगे,
प्यार तो तुम भी करती हो ना मुझसे,
तो फिर क्यूँ यूँ सताती हो मुझे ?
या कह दो ज़हर पीने को,
या कहो फिर मुझे जीने को,
अगर मेरे साथ में नहीं चलना था तुमको,
तो फिर क्यूँ मुझे रास्ता ज़िन्दगी का दिखाया ?
बीच रास्ते में क्यूँ इस तरह अकेला छोड़ दिया ?
कहो......कुछ तो कहो
क्यूँ अकेला छोड़ दिया ??
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Mr. Rakesh Ranjan
कभी.......जी चाहता है!
कभी अपनी हंसी पे भी आता है गुस्सा,
कभी सबको हँसाने को जी चाहता है!
कभी छुपा लेते हैं सब ग़मों को किसी कोने में,
कभी किसी को सब कुछ सुनाने को जी चाहता है!
कभी रोता नहीं मन किसी कीमत पे भी,
कभी यूँ ही आंसू बहाने को जी चाहता है!
कभी उड़ना चाहता है मन ऊँचे आकाश में,
कभी किसी बंधन में बंध जाने को जी चाहता है!
कभी सागर की लहरों से भी नहीं डरता ये दिल,
कभी उन्हीं लहरों में समां जाने को जी चाहता है!
कभी लगते हैं अपने बेगानों से,
कभी बेगानों को भी अपना बनाने को जी चाहता है!
कभी शर्म नहीं आती गैरों से भी,
कभी यूँ ही शर्माने को जी चाहता है!
कभी मिलता नहीं अपनों से ये दिल,
कभी किसी अनजाने से मिल जाने को दिल चाहता है!
कभी आता नहीं जुबाँ पर ऊपर वाले का नाम,
कभी उसको भी मनाने को जी चाहता है!
कभी लगती है ये जिंदगी बड़ी सुहानी,
कभी जिंदगी का साथ छोड़ जाने को जी चाहता है!!!!
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कभी सबको हँसाने को जी चाहता है!
कभी छुपा लेते हैं सब ग़मों को किसी कोने में,
कभी किसी को सब कुछ सुनाने को जी चाहता है!
कभी रोता नहीं मन किसी कीमत पे भी,
कभी यूँ ही आंसू बहाने को जी चाहता है!
कभी उड़ना चाहता है मन ऊँचे आकाश में,
कभी किसी बंधन में बंध जाने को जी चाहता है!
कभी सागर की लहरों से भी नहीं डरता ये दिल,
कभी उन्हीं लहरों में समां जाने को जी चाहता है!
कभी लगते हैं अपने बेगानों से,
कभी बेगानों को भी अपना बनाने को जी चाहता है!
कभी शर्म नहीं आती गैरों से भी,
कभी यूँ ही शर्माने को जी चाहता है!
कभी मिलता नहीं अपनों से ये दिल,
कभी किसी अनजाने से मिल जाने को दिल चाहता है!
कभी आता नहीं जुबाँ पर ऊपर वाले का नाम,
कभी उसको भी मनाने को जी चाहता है!
कभी लगती है ये जिंदगी बड़ी सुहानी,
कभी जिंदगी का साथ छोड़ जाने को जी चाहता है!!!!
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Mr. Rakesh Ranjan
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