धीरे से सरकती है रात उस के आंचल की तरह,
उस का चेहरा नजर आता है झील में कमल की तरह,
मुद्दतों बाद उसको देखा तो जिस्म-ओ-जान को यूं लगा,
प्यासी जमीन पे जैसे कोई बरस गया बादल की तरह,
रोज कहती है बांहों के घेरे में रातभर सुलाऊँगी,
सरे-शाम ही मुझे आज फिर सुला गयी वो कल की तरह,
उस का शरमाना भी मुझे मात देता है,
उसकी तो हर अदा है किसी खामोश कातिल की तरह,
धीरे से सरकती है रात उसके आंचल की तरह...
.
इक आरजू है....
इक आरजू है पूरी परवरदिगार करे,
मैं देर से जाऊं और वो मेरा इंतजार करे !
अपने हाथों से संवारूं जुल्फें उसकी,
वो शरमा कर मोहब्बत का इकरार करे !
लिपट जाये मुझसे आलम-ए-मदहोशी में,
और जोशों-जूनून में मोहब्बत का इज़हार करे !
जब उसे छोड़ कर जाना चाहूँ मैं,
वो रोके इक और रात का इसरार करे !
क़सम खुदा की मैं किसी और का हो नहीं सकता,
ये वादा-ए-वफ़ा वो बार बार करे !!
.
मैं देर से जाऊं और वो मेरा इंतजार करे !
अपने हाथों से संवारूं जुल्फें उसकी,
वो शरमा कर मोहब्बत का इकरार करे !
लिपट जाये मुझसे आलम-ए-मदहोशी में,
और जोशों-जूनून में मोहब्बत का इज़हार करे !
जब उसे छोड़ कर जाना चाहूँ मैं,
वो रोके इक और रात का इसरार करे !
क़सम खुदा की मैं किसी और का हो नहीं सकता,
ये वादा-ए-वफ़ा वो बार बार करे !!
.
Posted by :-
Mr. Rakesh Ranjan
आज अचानक फिर से...
आज अचानक फिर से वो डायरी में यूँ टकरा गये
हो पहली-पहली बार सब कुछ ऐसा किस्सा सुना गये
कोशिश तो की मैंने मगर पन्ना नहीं पलटा गया
ली वक्त ने करवट मगर हमसे नहीं पलटा गया
धुँधले हुये शब्दों ने फिर एक साफ मूरत जोड़ ली
सूखे हुये गुलाब ने एक पल में खुशबू मोड़ ली
लिखे हुये वादे सभी एक पल में जैसे खिल गये
छूटे हुये अरमान सब ख्वाबों से आके मिल गये
सब छोड़ के तुम पास थे
बाहों के अब विश्वास थे
आँखों ने फिर से सींच के तुमसे कही बातें वही
तुमने भी शरमा के फिर धीरे से है हामी भरी
अब वक्त जैसे है नहीं और बस तुम्हारा साथ है
अब स्वर्ग को जाना नहीं जो हाथ तेरा साथ है
फिर हाथ तेरा थामकर
खिड़की से बाहर झाँककर
हमने नयी दुनिया गढ़ी
जिसमें न कोई अंत था
पल-पल में जब वसन्त था
इतने में एक झोंका आया
मुझे एक पल को भरमाया
मैंने रोका पर रुका नहीं
पन्ना भी तो अब टिका नहीं
पन्ना पलटा और आँख खुली
और दूरी का अहसास हुआ.......
.
हो पहली-पहली बार सब कुछ ऐसा किस्सा सुना गये
कोशिश तो की मैंने मगर पन्ना नहीं पलटा गया
ली वक्त ने करवट मगर हमसे नहीं पलटा गया
धुँधले हुये शब्दों ने फिर एक साफ मूरत जोड़ ली
सूखे हुये गुलाब ने एक पल में खुशबू मोड़ ली
लिखे हुये वादे सभी एक पल में जैसे खिल गये
छूटे हुये अरमान सब ख्वाबों से आके मिल गये
सब छोड़ के तुम पास थे
बाहों के अब विश्वास थे
आँखों ने फिर से सींच के तुमसे कही बातें वही
तुमने भी शरमा के फिर धीरे से है हामी भरी
अब वक्त जैसे है नहीं और बस तुम्हारा साथ है
अब स्वर्ग को जाना नहीं जो हाथ तेरा साथ है
फिर हाथ तेरा थामकर
खिड़की से बाहर झाँककर
हमने नयी दुनिया गढ़ी
जिसमें न कोई अंत था
पल-पल में जब वसन्त था
इतने में एक झोंका आया
मुझे एक पल को भरमाया
मैंने रोका पर रुका नहीं
पन्ना भी तो अब टिका नहीं
पन्ना पलटा और आँख खुली
और दूरी का अहसास हुआ.......
.
Posted by :-
Mr. Rakesh Ranjan
प्रेम का धागा.....
जब एक प्रेम का धागा जुड़ता है,
दिल का कमल तब ही खिलता है !
देखता है ख़ुदा भी आसमान से जमीं पर,
जब एक दिल दूसरे से बेपनाह मोहब्बत करता है !
सुलगने लगता है तब धरती का सीना भी,
जब कोई आसमान बन के बाहों में पिघलता है !
लिखी जाती है तब एक दस्तान-ए-मोहब्बत,
तब कहीं जाकर अमर-प्रेम लोंगो के दिलों में उतरता है!!
.
दिल का कमल तब ही खिलता है !
देखता है ख़ुदा भी आसमान से जमीं पर,
जब एक दिल दूसरे से बेपनाह मोहब्बत करता है !
सुलगने लगता है तब धरती का सीना भी,
जब कोई आसमान बन के बाहों में पिघलता है !
लिखी जाती है तब एक दस्तान-ए-मोहब्बत,
तब कहीं जाकर अमर-प्रेम लोंगो के दिलों में उतरता है!!
.
Posted by :-
Mr. Rakesh Ranjan
उन्हें मज़ा आता है.....
हमारे पेशेंस को आज़माकर, उन्हें मज़ा आता है
दिल को खूब जलाकर, उन्हें मज़ा आता है।
खूब बातें करके जब हम कहते हैं "अब फ़ोन रखूँ?"
बैलेंस का दिवाला बनाकर, उन्हें मज़ा आता है।
उन्हें मालूम है नौकरीवाला हूँ, मिलने आ नहीं सकता
पर मिलने की कसमें खिलाकर, उन्हें मज़ा आता है।
हम तो यूँ ही नशे में हैं, हमें यूँ न देखो
मगर जाम-ए-नैन पिलाकर, उन्हें मज़ा आता है।
हम खूब कहते हैं शादी से पहले यह ठीक नहीं
सोये अरमान जगाकर, उन्हें मज़ा आता है।
वैसे खाना तो वो बहुत टेस्टी बनाती हैं
मगर खूब मिर्च मिलाकर, उन्हें मज़ा आता है।
वो जानती हैं, हमारी कमज़ोरी क्या है, तभी
प्यार ग़ैर से जताकर, उन्हें मज़ा आता है।
.
दिल को खूब जलाकर, उन्हें मज़ा आता है।
खूब बातें करके जब हम कहते हैं "अब फ़ोन रखूँ?"
बैलेंस का दिवाला बनाकर, उन्हें मज़ा आता है।
उन्हें मालूम है नौकरीवाला हूँ, मिलने आ नहीं सकता
पर मिलने की कसमें खिलाकर, उन्हें मज़ा आता है।
हम तो यूँ ही नशे में हैं, हमें यूँ न देखो
मगर जाम-ए-नैन पिलाकर, उन्हें मज़ा आता है।
हम खूब कहते हैं शादी से पहले यह ठीक नहीं
सोये अरमान जगाकर, उन्हें मज़ा आता है।
वैसे खाना तो वो बहुत टेस्टी बनाती हैं
मगर खूब मिर्च मिलाकर, उन्हें मज़ा आता है।
वो जानती हैं, हमारी कमज़ोरी क्या है, तभी
प्यार ग़ैर से जताकर, उन्हें मज़ा आता है।
.
Posted by :-
Mr. Rakesh Ranjan
आंसू आ जाते हैं.......
आंसू आ जाते हैं आँखों में रोने से पहले,
हर ख्वाब टूट जाते हैं सोने से पहले !
इश्क है गुनाह ये तो समझ गए,
काश कोई रोक लेता होने से पहले !!
उदास नजरों में ख्वाब मिलेंगे,
कहीं कांटे तो कहीं फूल मिलेंगे !
मेरे दिल की किताब को अपनी नज़र से पढ़ के देखो,
कहीं आपकी याद तो कहीं आप मिलेंगे !!
ग़म ने हसने न दिया ज़माने ने रोने न दिया,
इस उलझन ने चैन से जीने न दिया !
थक के जब सितारों से पनाह ली,
नींद आई तो तेरी यादों ने सोने न दिया !!
जिसकी आरजू थी वो दिलबर न मिला,
बरसो जिसका इंतजार किया वो पल न मिला !
अजीब खेल है ये मोहब्बत का,
किसी को हम न मिले तो कोई हमको न मिला !!
बिखरे अश्कों के मोती पिरो न सके,
तुम्हारी याद में सारी रात सो न सके !
भीग न जाये आँखों में बसी तुम्हारी तस्वीर,
ये सोचकर एक पल भी रो न सके !!
तक़दीर उनकी जो हमें आजमाए बैठें है,
आये है महफिल में मगर दूर जाकर बैठे है !
नजरों से मिले नज़र तो बात हो,
अफ्शोश की वो नज़रें झुकाए बैठे हैं !!
.
हर ख्वाब टूट जाते हैं सोने से पहले !
इश्क है गुनाह ये तो समझ गए,
काश कोई रोक लेता होने से पहले !!
उदास नजरों में ख्वाब मिलेंगे,
कहीं कांटे तो कहीं फूल मिलेंगे !
मेरे दिल की किताब को अपनी नज़र से पढ़ के देखो,
कहीं आपकी याद तो कहीं आप मिलेंगे !!
ग़म ने हसने न दिया ज़माने ने रोने न दिया,
इस उलझन ने चैन से जीने न दिया !
थक के जब सितारों से पनाह ली,
नींद आई तो तेरी यादों ने सोने न दिया !!
जिसकी आरजू थी वो दिलबर न मिला,
बरसो जिसका इंतजार किया वो पल न मिला !
अजीब खेल है ये मोहब्बत का,
किसी को हम न मिले तो कोई हमको न मिला !!
बिखरे अश्कों के मोती पिरो न सके,
तुम्हारी याद में सारी रात सो न सके !
भीग न जाये आँखों में बसी तुम्हारी तस्वीर,
ये सोचकर एक पल भी रो न सके !!
तक़दीर उनकी जो हमें आजमाए बैठें है,
आये है महफिल में मगर दूर जाकर बैठे है !
नजरों से मिले नज़र तो बात हो,
अफ्शोश की वो नज़रें झुकाए बैठे हैं !!
.
Posted by :-
Mr. Rakesh Ranjan
उनसे कहो.......
उनसे कहो एक बार भूल कर आ जाएँ,
जो बीती है उनपर वो सुना जाएँ!
हंस हंस के ग़म छुपाने का हुनर,
उनसे कहो हमको भी सिखा जाएँ!
उनकी याद में तड़पता रहता हूँ हर पल,
उनसे कहो मेरे दिल से अपना नाम मिटा जाएँ!
अरसा हुआ है चाँद को देखे हुए,
उनसे कहो अपना चेहरा दिखा जाएँ!
.
जो बीती है उनपर वो सुना जाएँ!
हंस हंस के ग़म छुपाने का हुनर,
उनसे कहो हमको भी सिखा जाएँ!
उनकी याद में तड़पता रहता हूँ हर पल,
उनसे कहो मेरे दिल से अपना नाम मिटा जाएँ!
अरसा हुआ है चाँद को देखे हुए,
उनसे कहो अपना चेहरा दिखा जाएँ!
.
Posted by :-
Mr. Rakesh Ranjan
वक़्त नहीं.......
हर ख़ुशी है लोगों के दामन में,
पर एक हंसी के लिए वक़्त नहीं .
दिन रात दौड़ती दुनिया में ,
ज़िन्दगी के लिए ही वक़्त नहीं .
माँ की लोरी का एहसास तो है ,
पर माँ को माँ कहने का वक़्त नहीं .
सारे रिश्तों को तो हम मार चुके ,
अब उन्हें दफ़नाने का भी वक़्त नहीं .
सारे नाम मोबाइल में हैं ,
पर दोस्तों के लिए वक़्त नहीं .
गैरों की क्या बात करें ,
जब अपनों के लिए ही वक़्त नहीं .
आँखों में है नींद बड़े,
पर सोने का वक़्त नहीं .
दिल है ग़मों से भरा हुआ ,
पर रोने का भी वक़्त नहीं .
पैसों की दौड़ में ऐसे दौडे ,
की थकने का भी वक़्त नहीं .
पराये एहसासों की क्या कद्र करें ,
जब अपने सपनो के लिए ही वक़्त नहीं .
तू ही बता ऐ ज़िन्दगी ,
इस ज़िन्दगी का क्या होगा ?
की हर पल मरने वालों को ,
जीने के लिए भी वक़्त नहीं ...
.
पर एक हंसी के लिए वक़्त नहीं .
दिन रात दौड़ती दुनिया में ,
ज़िन्दगी के लिए ही वक़्त नहीं .
माँ की लोरी का एहसास तो है ,
पर माँ को माँ कहने का वक़्त नहीं .
सारे रिश्तों को तो हम मार चुके ,
अब उन्हें दफ़नाने का भी वक़्त नहीं .
सारे नाम मोबाइल में हैं ,
पर दोस्तों के लिए वक़्त नहीं .
गैरों की क्या बात करें ,
जब अपनों के लिए ही वक़्त नहीं .
आँखों में है नींद बड़े,
पर सोने का वक़्त नहीं .
दिल है ग़मों से भरा हुआ ,
पर रोने का भी वक़्त नहीं .
पैसों की दौड़ में ऐसे दौडे ,
की थकने का भी वक़्त नहीं .
पराये एहसासों की क्या कद्र करें ,
जब अपने सपनो के लिए ही वक़्त नहीं .
तू ही बता ऐ ज़िन्दगी ,
इस ज़िन्दगी का क्या होगा ?
की हर पल मरने वालों को ,
जीने के लिए भी वक़्त नहीं ...
.
Posted by :-
Mr. Rakesh Ranjan
मोहब्बत क्या है ????
किसी ने कहा मोहब्बत क्या है ?
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
समंदर ने कहा …..
मोहब्बत समंदर की गहराइयों में छुपी इक सीप है
जिस में चाहत जैसी अनमोल मोती होती है
बादल ने कहा …..
मोहब्बत एक इन्द्रधनुष है जिस में हर रंग समाया है
शायर ने कहा …..
मोहब्बत एक ऐसी ग़ज़ल है जो
हर एक सुनने वाले के दिल में उतर जाती है
माली ने कहा …..
मोहब्बत गुलशन के फूलो की वो दिलकश खुशबू है
जिससे सारा गुलशन महक उठता है
आँखों ने कहा …..
मोहब्बत आंसू का समंदर है जो किसी के
इन्तेज़ार में खामोशी से बैठा है
नसीब ने कहा …..
मोहब्बत करने वाले इस दुनिया के खुशकिस्मत इंसान है
और जिस के दिल में मोहब्बत नहीं वो इस दुनिया का बदतरीन इंसान है.
दिल ने कहा …..
मोहब्बत किसी को खामोशी से चाह जाने का नाम है
.
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
समंदर ने कहा …..
मोहब्बत समंदर की गहराइयों में छुपी इक सीप है
जिस में चाहत जैसी अनमोल मोती होती है
बादल ने कहा …..
मोहब्बत एक इन्द्रधनुष है जिस में हर रंग समाया है
शायर ने कहा …..
मोहब्बत एक ऐसी ग़ज़ल है जो
हर एक सुनने वाले के दिल में उतर जाती है
माली ने कहा …..
मोहब्बत गुलशन के फूलो की वो दिलकश खुशबू है
जिससे सारा गुलशन महक उठता है
आँखों ने कहा …..
मोहब्बत आंसू का समंदर है जो किसी के
इन्तेज़ार में खामोशी से बैठा है
नसीब ने कहा …..
मोहब्बत करने वाले इस दुनिया के खुशकिस्मत इंसान है
और जिस के दिल में मोहब्बत नहीं वो इस दुनिया का बदतरीन इंसान है.
दिल ने कहा …..
मोहब्बत किसी को खामोशी से चाह जाने का नाम है
.
Posted by :-
Mr. Rakesh Ranjan
किसी के इतने......
किसी के इतने पास न जा
के दूर जाना खौफ़ बन जाये
एक कदम पीछे देखने पर
सीधा रास्ता भी खाई नज़र आये
किसी को इतना अपना न बना
कि उसे खोने का डर लगा रहे
इसी डर के बीच एक दिन ऐसा न आये
तु पल पल खुद को ही खोने लगे
किसी के इतने सपने न देख
के काली रात भी रन्गीली लगे
आन्ख खुले तो बर्दाश्त न हो
जब सपना टूट टूट कर बिखरने लगे
किसी को इतना प्यार न कर
के बैठे बैठे आन्ख नम हो जाये
उसे गर मिले एक दर्द
इधर जिन्दगी के दो पल कम हो जाये
किसी के बारे मे इतना न सोच
कि सोच का मतलब ही वो बन जाये
भीड के बीच भी
लगे तन्हाई से जकडे गये
किसी को इतना याद न कर
कि जहा देखो वोही नज़र आये
राह देख देख कर कही ऐसा न हो
जिन्दगी पीछे छूट जाये.
.
के दूर जाना खौफ़ बन जाये
एक कदम पीछे देखने पर
सीधा रास्ता भी खाई नज़र आये
किसी को इतना अपना न बना
कि उसे खोने का डर लगा रहे
इसी डर के बीच एक दिन ऐसा न आये
तु पल पल खुद को ही खोने लगे
किसी के इतने सपने न देख
के काली रात भी रन्गीली लगे
आन्ख खुले तो बर्दाश्त न हो
जब सपना टूट टूट कर बिखरने लगे
किसी को इतना प्यार न कर
के बैठे बैठे आन्ख नम हो जाये
उसे गर मिले एक दर्द
इधर जिन्दगी के दो पल कम हो जाये
किसी के बारे मे इतना न सोच
कि सोच का मतलब ही वो बन जाये
भीड के बीच भी
लगे तन्हाई से जकडे गये
किसी को इतना याद न कर
कि जहा देखो वोही नज़र आये
राह देख देख कर कही ऐसा न हो
जिन्दगी पीछे छूट जाये.
.
Posted by :-
Mr. Rakesh Ranjan
जिसका किया मैंने इंतज़ार...
जिस का किया मैंने इंतज़ार ,
कभी मिला नहीं मुझे उसका प्यार !
अब दोबारा नहीं होगा ये मुझसे ,
होता नहीं है ये बार बार !
मिला कभी उससे तो पूछूँगा ,
क्या कम था तुम्हारे लिए मेरा प्यार !
एक बार कहा होता की तुम्हें दिल दिया है ,
एक बार तो किया होता तुमने इकरार !
जिस दिन से दिल ने चाह है तुझे ,
हर लम्हा ऐसा लगा की आ गयी हो बहार !
अय काश की तूने एक बार कहा होता ,
दिल तो दे ही चुके थे जान भी देते हार !
जिसका किया मैंने इंतज़ार ,
कभी मिला नहीं मुझे उसका प्यार !!!!
.
कभी मिला नहीं मुझे उसका प्यार !
अब दोबारा नहीं होगा ये मुझसे ,
होता नहीं है ये बार बार !
मिला कभी उससे तो पूछूँगा ,
क्या कम था तुम्हारे लिए मेरा प्यार !
एक बार कहा होता की तुम्हें दिल दिया है ,
एक बार तो किया होता तुमने इकरार !
जिस दिन से दिल ने चाह है तुझे ,
हर लम्हा ऐसा लगा की आ गयी हो बहार !
अय काश की तूने एक बार कहा होता ,
दिल तो दे ही चुके थे जान भी देते हार !
जिसका किया मैंने इंतज़ार ,
कभी मिला नहीं मुझे उसका प्यार !!!!
.
Posted by :-
Mr. Rakesh Ranjan
ये दिल उदास है बहुत...
ये दिल उदास है बहुत कोई पैगाम ही लिख दो ,
तुम अपना नाम ना लिखो, चलो गुमनाम ही लिख दो !
मेरी किस्मत में गम-ए-तन्हाई है लेकिन ,
तमाम उम्र ना लिखो, मगर एक शाम ही लिख दो !
ये जानता हूँ की उम्र भर तनहा मुझको रहना है ,
मगर पल दो पल, घडी दो घडी मेरा नाम ही लिख दो !
लो हम मान लेते हैं सजा के काबिल ठहरे ,
कोई इनाम ना लिखो, कोई इल्जाम ही लिख दो !!!!
.
तुम अपना नाम ना लिखो, चलो गुमनाम ही लिख दो !
मेरी किस्मत में गम-ए-तन्हाई है लेकिन ,
तमाम उम्र ना लिखो, मगर एक शाम ही लिख दो !
ये जानता हूँ की उम्र भर तनहा मुझको रहना है ,
मगर पल दो पल, घडी दो घडी मेरा नाम ही लिख दो !
लो हम मान लेते हैं सजा के काबिल ठहरे ,
कोई इनाम ना लिखो, कोई इल्जाम ही लिख दो !!!!
.
Posted by :-
Mr. Rakesh Ranjan
दिल धड़कता है उसी के लिए...
माना की हम भुला नहीं पाते उन्हें एक पल के लिए ,
पर यूँ रोया भी नहीं जाता एक पल के लिए !
मिली जो यूँ वो मिलकर बिछड़ गयी जिंदगी के लिए ,
उन्हें दिल से नहीं लगाया जाता दिल्लगी के लिए !
माना की ये बात हर किसी को लगती है सच्ची ,
पर हर अजनबी नहीं होते ज़माने में भुलाने के लिए !
यूँ तो खुदा से जो माँगा वो पाया दुआ में ,
पर हर दुआ कहाँ कबुल होती है हर किसी के लिए !
वो आएगी ना लौटकर फिर कभी ये जानते हैं हम ,
फिर भी दिल धड़कता है आज भी उसी अजनबी के लिए !!
.
पर यूँ रोया भी नहीं जाता एक पल के लिए !
मिली जो यूँ वो मिलकर बिछड़ गयी जिंदगी के लिए ,
उन्हें दिल से नहीं लगाया जाता दिल्लगी के लिए !
माना की ये बात हर किसी को लगती है सच्ची ,
पर हर अजनबी नहीं होते ज़माने में भुलाने के लिए !
यूँ तो खुदा से जो माँगा वो पाया दुआ में ,
पर हर दुआ कहाँ कबुल होती है हर किसी के लिए !
वो आएगी ना लौटकर फिर कभी ये जानते हैं हम ,
फिर भी दिल धड़कता है आज भी उसी अजनबी के लिए !!
.
Posted by :-
Mr. Rakesh Ranjan
आरजू थी यारो....
यार जो भी मिला दिल जला कर गया ,
ख़ाक में मेरी हस्ती मिला कर गया !
प्यास जिसकी सदा मैं बुझाता रहा ,
ज़हर-ए-कातिल मुझे वो पिला कर गया !
नाज़ उसकी वफ़ा पर मुझे था मगर ,
तीर वो भी जिगर पर चला कर गया !
ढूंढता था कभी जो मुझे हर गली ,
आँख वो आज मुझसे बचा कर गया !
मांगता था सहारा जो हरदम मुझसे ,
बेसहारा मुझे वो बना कर गया !
नींद आगोश में जिसकी आने लगी ,
मौत की नींद मुझको सुला कर गया !
आरजू थी "यारो" किसी की मुझे ,
ख्वाब मेरे वही तो मिटा कर गया !!!!
.
ख़ाक में मेरी हस्ती मिला कर गया !
प्यास जिसकी सदा मैं बुझाता रहा ,
ज़हर-ए-कातिल मुझे वो पिला कर गया !
नाज़ उसकी वफ़ा पर मुझे था मगर ,
तीर वो भी जिगर पर चला कर गया !
ढूंढता था कभी जो मुझे हर गली ,
आँख वो आज मुझसे बचा कर गया !
मांगता था सहारा जो हरदम मुझसे ,
बेसहारा मुझे वो बना कर गया !
नींद आगोश में जिसकी आने लगी ,
मौत की नींद मुझको सुला कर गया !
आरजू थी "यारो" किसी की मुझे ,
ख्वाब मेरे वही तो मिटा कर गया !!!!
.
Posted by :-
Mr. Rakesh Ranjan
क्यूँ अकेला छोड़ दिया....
क्यूँ रुलाते हो मुझे ?
क्यूँ भूल जाते हो मुझे ?
तेरे ही सहारे तो जी रहें हैं हम..
तो फिर क्यूँ अकेला छोड़ जाते हो मुझे ?
हर बात को छुपाना आता है तुम्हें,
रूठों को मानना आता है मुझे,
रूठे हो तुम ना जाने किस बात पर मुझसे,
तो फिर वो बात क्यूँ नहीं बताते हो मुझे ?
जान जाती है मेरी,
जब याद आती है तुम्हारी,
तुम तो मुझे भुला देते हो,
तो फिर क्यूँ याद आते हो मुझे ?
हम जीने के बहाने मरते रहेंगे,
प्यार हम तुमसे करते रहेंगे,
प्यार तो तुम भी करती हो ना मुझसे,
तो फिर क्यूँ यूँ सताती हो मुझे ?
या कह दो ज़हर पीने को,
या कहो फिर मुझे जीने को,
अगर मेरे साथ में नहीं चलना था तुमको,
तो फिर क्यूँ मुझे रास्ता ज़िन्दगी का दिखाया ?
बीच रास्ते में क्यूँ इस तरह अकेला छोड़ दिया ?
कहो......कुछ तो कहो
क्यूँ अकेला छोड़ दिया ??
.
क्यूँ भूल जाते हो मुझे ?
तेरे ही सहारे तो जी रहें हैं हम..
तो फिर क्यूँ अकेला छोड़ जाते हो मुझे ?
हर बात को छुपाना आता है तुम्हें,
रूठों को मानना आता है मुझे,
रूठे हो तुम ना जाने किस बात पर मुझसे,
तो फिर वो बात क्यूँ नहीं बताते हो मुझे ?
जान जाती है मेरी,
जब याद आती है तुम्हारी,
तुम तो मुझे भुला देते हो,
तो फिर क्यूँ याद आते हो मुझे ?
हम जीने के बहाने मरते रहेंगे,
प्यार हम तुमसे करते रहेंगे,
प्यार तो तुम भी करती हो ना मुझसे,
तो फिर क्यूँ यूँ सताती हो मुझे ?
या कह दो ज़हर पीने को,
या कहो फिर मुझे जीने को,
अगर मेरे साथ में नहीं चलना था तुमको,
तो फिर क्यूँ मुझे रास्ता ज़िन्दगी का दिखाया ?
बीच रास्ते में क्यूँ इस तरह अकेला छोड़ दिया ?
कहो......कुछ तो कहो
क्यूँ अकेला छोड़ दिया ??
.
Posted by :-
Mr. Rakesh Ranjan
कभी.......जी चाहता है!
कभी अपनी हंसी पे भी आता है गुस्सा,
कभी सबको हँसाने को जी चाहता है!
कभी छुपा लेते हैं सब ग़मों को किसी कोने में,
कभी किसी को सब कुछ सुनाने को जी चाहता है!
कभी रोता नहीं मन किसी कीमत पे भी,
कभी यूँ ही आंसू बहाने को जी चाहता है!
कभी उड़ना चाहता है मन ऊँचे आकाश में,
कभी किसी बंधन में बंध जाने को जी चाहता है!
कभी सागर की लहरों से भी नहीं डरता ये दिल,
कभी उन्हीं लहरों में समां जाने को जी चाहता है!
कभी लगते हैं अपने बेगानों से,
कभी बेगानों को भी अपना बनाने को जी चाहता है!
कभी शर्म नहीं आती गैरों से भी,
कभी यूँ ही शर्माने को जी चाहता है!
कभी मिलता नहीं अपनों से ये दिल,
कभी किसी अनजाने से मिल जाने को दिल चाहता है!
कभी आता नहीं जुबाँ पर ऊपर वाले का नाम,
कभी उसको भी मनाने को जी चाहता है!
कभी लगती है ये जिंदगी बड़ी सुहानी,
कभी जिंदगी का साथ छोड़ जाने को जी चाहता है!!!!
.
कभी सबको हँसाने को जी चाहता है!
कभी छुपा लेते हैं सब ग़मों को किसी कोने में,
कभी किसी को सब कुछ सुनाने को जी चाहता है!
कभी रोता नहीं मन किसी कीमत पे भी,
कभी यूँ ही आंसू बहाने को जी चाहता है!
कभी उड़ना चाहता है मन ऊँचे आकाश में,
कभी किसी बंधन में बंध जाने को जी चाहता है!
कभी सागर की लहरों से भी नहीं डरता ये दिल,
कभी उन्हीं लहरों में समां जाने को जी चाहता है!
कभी लगते हैं अपने बेगानों से,
कभी बेगानों को भी अपना बनाने को जी चाहता है!
कभी शर्म नहीं आती गैरों से भी,
कभी यूँ ही शर्माने को जी चाहता है!
कभी मिलता नहीं अपनों से ये दिल,
कभी किसी अनजाने से मिल जाने को दिल चाहता है!
कभी आता नहीं जुबाँ पर ऊपर वाले का नाम,
कभी उसको भी मनाने को जी चाहता है!
कभी लगती है ये जिंदगी बड़ी सुहानी,
कभी जिंदगी का साथ छोड़ जाने को जी चाहता है!!!!
.
Posted by :-
Mr. Rakesh Ranjan
क्यूं कहते हो.....
क्यूं कहते हो मेरे साथ कुछ भी बेहतर नही होता
सच ये है के जैसा चाहो वैसा नही होता
कोई सह लेता है कोई कह लेता है
क्यूँकी ग़म कभी ज़िंदगी से बढ़ कर नही होता
आज अपनो ने ही सीखा दिया हमे
यहाँ ठोकर देने वाला हैर पत्थर नही होता
क्यूं ज़िंदगी की मुश्क़िलो से हारे बैठे हो
इसके बिना कोई मंज़िल, कोई सफ़र नही होता
कोई तेरे साथ नही है तो भी ग़म ना कर
ख़ुद से बढ़ कर कोई दुनिया में हमसफ़र नही होता ....
.
सच ये है के जैसा चाहो वैसा नही होता
कोई सह लेता है कोई कह लेता है
क्यूँकी ग़म कभी ज़िंदगी से बढ़ कर नही होता
आज अपनो ने ही सीखा दिया हमे
यहाँ ठोकर देने वाला हैर पत्थर नही होता
क्यूं ज़िंदगी की मुश्क़िलो से हारे बैठे हो
इसके बिना कोई मंज़िल, कोई सफ़र नही होता
कोई तेरे साथ नही है तो भी ग़म ना कर
ख़ुद से बढ़ कर कोई दुनिया में हमसफ़र नही होता ....
.
Posted by :-
Mr. Rakesh Ranjan
अब लिखने को क्या बाकी है...
अब क्या लिखें हम कागज़ पर, अब लिखने को क्या बाकी है !!
इक दिल था सो वो टूट गया, अब टूटने को क्या बाकी है !!
इक शक्स को हम ने चाहा था, इक रेत पे नक्श बनाया था !!
वो रेत तो कब कि बिखर चुकी, वो नक्श अब कहाँ बाकी है !!
जो सपने हमने देखे थे काग़ज़ पर सारे लिख डाले !!
वो सारे काग़ज़ फिर हम ने दरिया के हवाले कर डाले !!
वो सारे ख्वाब बहा डाले, वो सारे नक्श मिटा डाले !!
अब ज़हां है खाली नक्शों का, कोई ख्वाब अब कहाँ बाकी है !!
हम जिनको अपनी नज़मो का, लफ्ज बनाया करते थे !!
लफ्जों का बना कर ताजमहल, काग़ज़ पर सजाया करते थे !!
वो हम को अकेला छोड़ गए, सब रिश्तों से मुंह मोड़ गए !!
अब रास्ते सारे सूने हैं, वो प्यार अब कहाँ बाकी है !!
अब क्या लिखें हम कागज़ पर, अब लिखने को क्या बाकी !!!!
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
सौजन्य.......
कंचन (मेरी दोस्त)
.
इक दिल था सो वो टूट गया, अब टूटने को क्या बाकी है !!
इक शक्स को हम ने चाहा था, इक रेत पे नक्श बनाया था !!
वो रेत तो कब कि बिखर चुकी, वो नक्श अब कहाँ बाकी है !!
जो सपने हमने देखे थे काग़ज़ पर सारे लिख डाले !!
वो सारे काग़ज़ फिर हम ने दरिया के हवाले कर डाले !!
वो सारे ख्वाब बहा डाले, वो सारे नक्श मिटा डाले !!
अब ज़हां है खाली नक्शों का, कोई ख्वाब अब कहाँ बाकी है !!
हम जिनको अपनी नज़मो का, लफ्ज बनाया करते थे !!
लफ्जों का बना कर ताजमहल, काग़ज़ पर सजाया करते थे !!
वो हम को अकेला छोड़ गए, सब रिश्तों से मुंह मोड़ गए !!
अब रास्ते सारे सूने हैं, वो प्यार अब कहाँ बाकी है !!
अब क्या लिखें हम कागज़ पर, अब लिखने को क्या बाकी !!!!
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
सौजन्य.......
कंचन (मेरी दोस्त)
.
Posted by :-
Mr. Rakesh Ranjan
कल हो ना हो ....
आज एक बार सबसे मुस्करा के बात करो
बिताये हुये पलों को साथ साथ याद करो
क्या पता कल चेहरे को मुस्कुराना
और दिमाग को पुराने पल याद हो ना हो
आज एक बार फ़िर पुरानी बातो मे खो जाओ
आज एक बार फ़िर पुरानी यादो मे डूब जाओ
क्या पता कल ये बाते और ये यादें हो ना हो
आज एक बार मन्दिर हो आओ
पुजा कर के प्रसाद भी चढाओ
क्या पता कल के कलयुग मे
भगवान पर लोगों की श्रद्धा हो ना हो
बारीश मे आज खुब भीगो
झुम झुम के बचपन की तरह नाचो
क्या पता बीते हुये बचपन की तरह
कल ये बारीश भी हो ना हो
आज हर काम खूब दिल लगा कर करो
उसे तय समय से पहले पुरा करो
क्या पता आज की तरह कल बाजुओं मे ताकत हो ना हो
आज एक बार चैन की नीन्द सो जाओ
आज कोई अच्छा सा सपना भी देखो
क्या पता कल जिन्दगी मे चैन
और आखों मे कोई सपना हो ना हो
क्या पता
कल हो ना हो ....
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
सौजन्य.......
कंचन (मेरी दोस्त)
.
बिताये हुये पलों को साथ साथ याद करो
क्या पता कल चेहरे को मुस्कुराना
और दिमाग को पुराने पल याद हो ना हो
आज एक बार फ़िर पुरानी बातो मे खो जाओ
आज एक बार फ़िर पुरानी यादो मे डूब जाओ
क्या पता कल ये बाते और ये यादें हो ना हो
आज एक बार मन्दिर हो आओ
पुजा कर के प्रसाद भी चढाओ
क्या पता कल के कलयुग मे
भगवान पर लोगों की श्रद्धा हो ना हो
बारीश मे आज खुब भीगो
झुम झुम के बचपन की तरह नाचो
क्या पता बीते हुये बचपन की तरह
कल ये बारीश भी हो ना हो
आज हर काम खूब दिल लगा कर करो
उसे तय समय से पहले पुरा करो
क्या पता आज की तरह कल बाजुओं मे ताकत हो ना हो
आज एक बार चैन की नीन्द सो जाओ
आज कोई अच्छा सा सपना भी देखो
क्या पता कल जिन्दगी मे चैन
और आखों मे कोई सपना हो ना हो
क्या पता
कल हो ना हो ....
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
सौजन्य.......
कंचन (मेरी दोस्त)
.
Posted by :-
Mr. Rakesh Ranjan
दोस्त होता है ऐसे....
माना दोस्ती का रिश्ता खून का नहीं होता
लेकिन खून के रिश्ते से कम भी नहीं होता
दोस्ती में एक बात मुझे समझ नही आती है
दोस्त में लाख बुराई हो उसमे अच्छाई ही क्यु नजर आती है
दोस्त बैठाता है आपको सर आखों पर
आपकी सारी परेशानी लेता है अपने उपर
आप की गलती सारी दुनिया से छुपाता है
खुद के अच्छे कामों का श्रेय भी आप ही को देता है
दोस्त होता है ऐसे
दीयो के लिए बाती जैसे
अंधों के लिए लाठी जैसे
प्यासे के लिए पानी जैसे
बच्चे के लिए नानी जैसे
दियों के लिए बाती जैसे
लेखक के लिए कलम जैसे
बीमार के लिए मरहम जैसे
कुम्हार के लिए माटी जैसे
किसान के लिए खेती जैसे
भक्त के लिए वरदान जैसे
मरने वाले के लिए जीवनदान जैसे
अन्त में आप से एक ही बात है कहना
दोस्त को बुरा लगे ऐसा कोई काम ना करना
खुद भी खुश रहना और दोस्तों को भी रखना
चाहे कितनी भी बड़ी मुश्किल हो दोस्त का साथ ना छोड़ना
जाते जाते मेरी एक विनती है आप से
अपने प्यारे दोस्त को ये कविता जरुर सुनाना
मैने तो मेरा फ़र्ज निभाया
अब आपको है अपना निभाना ||||
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
सौजन्य.......
कंचन (मेरी दोस्त)
.
लेकिन खून के रिश्ते से कम भी नहीं होता
दोस्ती में एक बात मुझे समझ नही आती है
दोस्त में लाख बुराई हो उसमे अच्छाई ही क्यु नजर आती है
दोस्त बैठाता है आपको सर आखों पर
आपकी सारी परेशानी लेता है अपने उपर
आप की गलती सारी दुनिया से छुपाता है
खुद के अच्छे कामों का श्रेय भी आप ही को देता है
दोस्त होता है ऐसे
दीयो के लिए बाती जैसे
अंधों के लिए लाठी जैसे
प्यासे के लिए पानी जैसे
बच्चे के लिए नानी जैसे
दियों के लिए बाती जैसे
लेखक के लिए कलम जैसे
बीमार के लिए मरहम जैसे
कुम्हार के लिए माटी जैसे
किसान के लिए खेती जैसे
भक्त के लिए वरदान जैसे
मरने वाले के लिए जीवनदान जैसे
अन्त में आप से एक ही बात है कहना
दोस्त को बुरा लगे ऐसा कोई काम ना करना
खुद भी खुश रहना और दोस्तों को भी रखना
चाहे कितनी भी बड़ी मुश्किल हो दोस्त का साथ ना छोड़ना
जाते जाते मेरी एक विनती है आप से
अपने प्यारे दोस्त को ये कविता जरुर सुनाना
मैने तो मेरा फ़र्ज निभाया
अब आपको है अपना निभाना ||||
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
सौजन्य.......
कंचन (मेरी दोस्त)
.
Posted by :-
Mr. Rakesh Ranjan
ज़िन्दगी किस तरह बिताओगे..
ज़िन्दगी किस तरह बिताओगे,
पास जब अपने हमें न पाओगे,
दिन में तन्हाईयाँ सताएंगी,
रात को चौंक कर उठ जाओगे,
रात भर नींद क्यों नहीं आती,
तुम ये खुद भी समझ न पाओगे,
लोग पोचेंगे इस तन्हाई का सबब,
क्या छुपाओगे क्या बताओगे,
पलकें हर बार भीग जायेंगी,
जब कभी खुल के मुस्कराओगे,
मेरी यादें बहुत सताएंगी,
जब भी बारिश में भीग जाओगे,
खुद को तनहा न पा सकोगे,
हर जगह मेरा अक्स पाओगे !!!!
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
सौजन्य.......
कंचन (मेरी दोस्त)
.
पास जब अपने हमें न पाओगे,
दिन में तन्हाईयाँ सताएंगी,
रात को चौंक कर उठ जाओगे,
रात भर नींद क्यों नहीं आती,
तुम ये खुद भी समझ न पाओगे,
लोग पोचेंगे इस तन्हाई का सबब,
क्या छुपाओगे क्या बताओगे,
पलकें हर बार भीग जायेंगी,
जब कभी खुल के मुस्कराओगे,
मेरी यादें बहुत सताएंगी,
जब भी बारिश में भीग जाओगे,
खुद को तनहा न पा सकोगे,
हर जगह मेरा अक्स पाओगे !!!!
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
सौजन्य.......
कंचन (मेरी दोस्त)
.
Posted by :-
Mr. Rakesh Ranjan
याद आते हो तुम ....
मत पूछो ये मुझसे की कब याद आते हो तुम,
जब जब साँसें चलती हैं बहुत याद आते हो तुम,
नींद में पलकें होती हैं जब भी भारी,
बनके ख्वाब बार बार नज़र आते हो तुम,
महफिल में शामिल होते हैं हम जब भी,
भीड़ की तनहयों में हर बार नज़र आते हो तुम,
जब भी सोचा की फासला रखूँ मैं तुम से,
ज़िन्दगी बन के साँसों में समां जाते हो तुम,
खुद को तूफ़ान बनाने की कोशिश तो की,
बन के साहिल अपनी आगोश में समां जाते हो तुम,
चाहा ना था मैंने इस पहेली में उलझना,
हर उलझन का जवाब बन के उभर आते हो तुम,
सूरज की रौशनी, चंदा की चांदनी,
आसमान को देखता हूँ मैं जब जब,
तुम्हारी कसम बहुत याद आते हो तुम,
अब ना पूछना मुझसे की कब,
याद आते हो तुम .........
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
सौजन्य.......
कंचन (मेरी दोस्त)
.
जब जब साँसें चलती हैं बहुत याद आते हो तुम,
नींद में पलकें होती हैं जब भी भारी,
बनके ख्वाब बार बार नज़र आते हो तुम,
महफिल में शामिल होते हैं हम जब भी,
भीड़ की तनहयों में हर बार नज़र आते हो तुम,
जब भी सोचा की फासला रखूँ मैं तुम से,
ज़िन्दगी बन के साँसों में समां जाते हो तुम,
खुद को तूफ़ान बनाने की कोशिश तो की,
बन के साहिल अपनी आगोश में समां जाते हो तुम,
चाहा ना था मैंने इस पहेली में उलझना,
हर उलझन का जवाब बन के उभर आते हो तुम,
सूरज की रौशनी, चंदा की चांदनी,
आसमान को देखता हूँ मैं जब जब,
तुम्हारी कसम बहुत याद आते हो तुम,
अब ना पूछना मुझसे की कब,
याद आते हो तुम .........
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
सौजन्य.......
कंचन (मेरी दोस्त)
.
Posted by :-
Mr. Rakesh Ranjan
क्यों नजर आता है ?....
हजारों रंगों की दुनिया,
पर हर रंग काला क्यों नजर आता है ?
हर सुन्दर चेहरे पर है मुस्कराहट,
पर हर मुस्कराहट में कमी क्यों नजर आता है ?
छोटा बहुत है ये ज़िन्दगी का सफ़र,
पर हर सफ़र लम्बा क्यों नजर आता है ?
बहुत ऊँचा है मेरे सपनों का महल,
पर दिवार टुटा हुआ क्यों नजर आता है ?
रिश्तों में खोना चाहते हैं मगर,
हर रिश्ते में धोखा क्यों नजर आता है ?
इन्सान तो हम हैं मगर,
हर खून में मिलावट क्यों नजर आता है ?????
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
सौजन्य.......
कंचन (मेरी दोस्त)
.
पर हर रंग काला क्यों नजर आता है ?
हर सुन्दर चेहरे पर है मुस्कराहट,
पर हर मुस्कराहट में कमी क्यों नजर आता है ?
छोटा बहुत है ये ज़िन्दगी का सफ़र,
पर हर सफ़र लम्बा क्यों नजर आता है ?
बहुत ऊँचा है मेरे सपनों का महल,
पर दिवार टुटा हुआ क्यों नजर आता है ?
रिश्तों में खोना चाहते हैं मगर,
हर रिश्ते में धोखा क्यों नजर आता है ?
इन्सान तो हम हैं मगर,
हर खून में मिलावट क्यों नजर आता है ?????
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
सौजन्य.......
कंचन (मेरी दोस्त)
.
Posted by :-
Mr. Rakesh Ranjan
डर लगता है ....
दूरियों का एहसास ना करा,
पास आने से डर लगता है |
मैं तुझे करीब ना पाऊं,
तो जीने से डर लगता है |
ज़िन्दगी तुम्हारे बिन कैसे कटेगी,
सोच पाने से भी डर लगता है |
ख़ुशी और सुकून का रिश्ता है तुझ से,
फिर भी दिल लगाने से डर लगता है |
आँखों से आंसू निकल जाये तो ग़म नहीं,
पर तेरे उदास होने से डर लगता है |
इस वफ़ा को कल शायद निभा पाए या नहीं,
पर तेरे टूट जाने से डर लगता है ||
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
सौजन्य.......
कंचन (मेरी दोस्त)
.
पास आने से डर लगता है |
मैं तुझे करीब ना पाऊं,
तो जीने से डर लगता है |
ज़िन्दगी तुम्हारे बिन कैसे कटेगी,
सोच पाने से भी डर लगता है |
ख़ुशी और सुकून का रिश्ता है तुझ से,
फिर भी दिल लगाने से डर लगता है |
आँखों से आंसू निकल जाये तो ग़म नहीं,
पर तेरे उदास होने से डर लगता है |
इस वफ़ा को कल शायद निभा पाए या नहीं,
पर तेरे टूट जाने से डर लगता है ||
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
सौजन्य.......
कंचन (मेरी दोस्त)
.
Posted by :-
Mr. Rakesh Ranjan
इक रात हुई ....
इक रात हुई बरसात बहुत,
मैं रोया सारी रात बहुत |
हर ग़म था ज़माने का लेकिन,
मैं तनहा था उस रात बहुत ||
फिर आँख से इक सावन बरसा,
जब सेहर हुई तो ख्याल आया |
वो बादल कितना तनहा था,
जो बरसा सारी रात बहुत ||||
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
सौजन्य.......
कंचन (मेरी दोस्त)
.
मैं रोया सारी रात बहुत |
हर ग़म था ज़माने का लेकिन,
मैं तनहा था उस रात बहुत ||
फिर आँख से इक सावन बरसा,
जब सेहर हुई तो ख्याल आया |
वो बादल कितना तनहा था,
जो बरसा सारी रात बहुत ||||
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
सौजन्य.......
कंचन (मेरी दोस्त)
.
Posted by :-
Mr. Rakesh Ranjan
एक लकीर तेरे नाम की ..
कुछ उदास कुछ खामोश
कुछ बेबस सी लकीरें मेरे हाथ की?
ढूंढ़ता रहता हूँ अक्सर लकीरों में
एक लकीर तेरे नाम की,
कुछ मालूम भी है
कुछ दिल भी जनता है
की इन लकीरों में कोई
लकीर नहीं तेरे नाम की
फिर भी ना जाने क्यूँ ढूंढ़ता रहता हूँ मैं
अक्सर,
एक लकीर तेरे नाम की ....
एक लकीर तेरे नाम की ....
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
सौजन्य.......
कंचन (मेरी दोस्त)
.
कुछ बेबस सी लकीरें मेरे हाथ की?
ढूंढ़ता रहता हूँ अक्सर लकीरों में
एक लकीर तेरे नाम की,
कुछ मालूम भी है
कुछ दिल भी जनता है
की इन लकीरों में कोई
लकीर नहीं तेरे नाम की
फिर भी ना जाने क्यूँ ढूंढ़ता रहता हूँ मैं
अक्सर,
एक लकीर तेरे नाम की ....
एक लकीर तेरे नाम की ....
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
सौजन्य.......
कंचन (मेरी दोस्त)
.
Posted by :-
Mr. Rakesh Ranjan
पहले से............
चाँद के साथ मेरी बात ना थी पहले से,
रात आती थी मगर रात ना थी पहले से,
हम तेरी याद से कल भी मिले थे लेकिन,
ये मुलाक़ात मुलाक़ात ना थी पहले से,
आंख क्यूँ लूट गए खौफ से शेरों के,
क्यूंकि इस बार बरसात ना थी पहले से,
अब के कुछ और तरह की थी उदासी इन में,
चाँद तरून की ये बरात ना थी पहले से,
इश्क ने पल में बदल दी मेरी सारी दुनिया,
मैंने देखा ये मेरी जात ना थी पहले से......
सौजन्य.......
कंचन (मेरी दोस्त)
.
रात आती थी मगर रात ना थी पहले से,
हम तेरी याद से कल भी मिले थे लेकिन,
ये मुलाक़ात मुलाक़ात ना थी पहले से,
आंख क्यूँ लूट गए खौफ से शेरों के,
क्यूंकि इस बार बरसात ना थी पहले से,
अब के कुछ और तरह की थी उदासी इन में,
चाँद तरून की ये बरात ना थी पहले से,
इश्क ने पल में बदल दी मेरी सारी दुनिया,
मैंने देखा ये मेरी जात ना थी पहले से......
सौजन्य.......
कंचन (मेरी दोस्त)
.
Posted by :-
Mr. Rakesh Ranjan
बस दो कदम.......
जाने क्यूँ वो साँसों की डोर टूटने नहीं देता,
बस दो कदम और चलने का वास्ता देकर मुझे रुकने नहीं देता |
बात कहता है वो मुझसे हंस हंस कर जी लेने की,
अजीब शख्स है मुझको चैन से रोने नहीं देता |
आज हौसला देता है मुझे चाँद सितारों को छू लेने का,
वो प्यारा सा चेहरा मुझे टूटकर बिखरने नहीं देता |
शायद जानता है वो भी इन आँखों में आंसुओं का सैलाब है,
जाने क्यूँ फिर भी वो इन आंसुओ को गिरने नहीं देता |
मुझसे कहता है, “मैं तो मर जाऊंगा तुम्हारे बिना“,
मैं जिंदा हूँ अब तक के वो मुझे मरने नहीं देता |
जाने क्यूँ वो साँसों की डोर टूटने नहीं देता,
बस दो कदम और चलने का वास्ता देकर मुझे रुकने नहीं देता |||
सौजन्य.......
कंचन (मेरी दोस्त)
.
बस दो कदम और चलने का वास्ता देकर मुझे रुकने नहीं देता |
बात कहता है वो मुझसे हंस हंस कर जी लेने की,
अजीब शख्स है मुझको चैन से रोने नहीं देता |
आज हौसला देता है मुझे चाँद सितारों को छू लेने का,
वो प्यारा सा चेहरा मुझे टूटकर बिखरने नहीं देता |
शायद जानता है वो भी इन आँखों में आंसुओं का सैलाब है,
जाने क्यूँ फिर भी वो इन आंसुओ को गिरने नहीं देता |
मुझसे कहता है, “मैं तो मर जाऊंगा तुम्हारे बिना“,
मैं जिंदा हूँ अब तक के वो मुझे मरने नहीं देता |
जाने क्यूँ वो साँसों की डोर टूटने नहीं देता,
बस दो कदम और चलने का वास्ता देकर मुझे रुकने नहीं देता |||
सौजन्य.......
कंचन (मेरी दोस्त)
.
Posted by :-
Mr. Rakesh Ranjan
सजा को मैंने रजा......
सजा को मैंने रजा पे छोड़ दिया,
हर एक काम मेंने खुदा पे छोड़ दिया,
वो मुझे याद रखे या भुला दे,
उसी का काम था उसी की रजा पे छोड़ दिया,
उसी की मर्ज़ी बुझा दे या जला दे,
चिराग मैंने जला के हवा पे छोड़ दिया,
उस से बात भी करते तो किस तरह करते,
ये मसला दुआ का था दुआ पे छोड़ दिया,
इसीलिए तो कहते हैं बेवफा हमको,
हमने सारा ज़माना वफ़ा पे छोड़ दिया.....
.
हर एक काम मेंने खुदा पे छोड़ दिया,
वो मुझे याद रखे या भुला दे,
उसी का काम था उसी की रजा पे छोड़ दिया,
उसी की मर्ज़ी बुझा दे या जला दे,
चिराग मैंने जला के हवा पे छोड़ दिया,
उस से बात भी करते तो किस तरह करते,
ये मसला दुआ का था दुआ पे छोड़ दिया,
इसीलिए तो कहते हैं बेवफा हमको,
हमने सारा ज़माना वफ़ा पे छोड़ दिया.....
.
Posted by :-
Mr. Rakesh Ranjan
किसी को मेरी मौत पे.....
किताबो के पन्नो को पलट के सोचता हु,,,
यु पलट जाये मेरी ज़िन्दगी तो क्या बात है...
ख्वाबो में रोज़ मिलता है जो,,,
हकीकत में आये तो क्या बात है...
कुछ मतलब के लिए दूंदते है मुझको,,,
बिन मतलब जो आये तो क्या बात है...
कत्ल कर के तो सब ले जायेंगे दिल मेरा,,,
कोई बातो से ले जाए तो क्या बात है...
शरीफों की शराफत में जो बात न हो,,,
एक शराबी कह जाये तो क्या बात है...
अपने रहने तक तो ख़ुशी दूंगा सबको,,,
किसी को मेरी मौत पे ख़ुशी मिल जाये तो क्या बात है...
.
यु पलट जाये मेरी ज़िन्दगी तो क्या बात है...
ख्वाबो में रोज़ मिलता है जो,,,
हकीकत में आये तो क्या बात है...
कुछ मतलब के लिए दूंदते है मुझको,,,
बिन मतलब जो आये तो क्या बात है...
कत्ल कर के तो सब ले जायेंगे दिल मेरा,,,
कोई बातो से ले जाए तो क्या बात है...
शरीफों की शराफत में जो बात न हो,,,
एक शराबी कह जाये तो क्या बात है...
अपने रहने तक तो ख़ुशी दूंगा सबको,,,
किसी को मेरी मौत पे ख़ुशी मिल जाये तो क्या बात है...
.
Posted by :-
Mr. Rakesh Ranjan
प्यार के किस्से......
कुछ ऐसे दिन भी मेरी ज़िन्दगी में आये हैं..
आँखे जब रोई है होंठ मुस्कराए हैं,
सबसे ज्यादा जो दूर गए मेरे दामन से,
जाने क्यूँ सबसे ज्यादा याद वही आये हैं ....
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
जब भी किसी को करीब पाया है,
क़सम ख़ुदा की वहीँ धोखा खाया है,
क्यों दोष देते हो कांटो को,
ये ज़ख्म तो हमने फूलों से पाया है!
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
सुना है प्यार के किस्से अजीब होते हैं,
ख़ुशी के बदले गम नसीब होते हैं,
मेरे दोस्त मोहब्बत ना करना कभी,
प्यार करनेवाले बड़े बदनसीब होते हैं !!
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
हमारी तमन्ना थी मोहब्बत में आशियाँ बनाने की,
बना चुके तो लग गयी नज़र ज़माने की,
उसी का क़र्ज़ है जो आज हैं आँखों में आँसू ,
आशियाँ बना के सजा मिली है मुस्कुराने की !!
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
सौजन्य.......
कंचन (मेरी दोस्त)
.
आँखे जब रोई है होंठ मुस्कराए हैं,
सबसे ज्यादा जो दूर गए मेरे दामन से,
जाने क्यूँ सबसे ज्यादा याद वही आये हैं ....
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
जब भी किसी को करीब पाया है,
क़सम ख़ुदा की वहीँ धोखा खाया है,
क्यों दोष देते हो कांटो को,
ये ज़ख्म तो हमने फूलों से पाया है!
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
सुना है प्यार के किस्से अजीब होते हैं,
ख़ुशी के बदले गम नसीब होते हैं,
मेरे दोस्त मोहब्बत ना करना कभी,
प्यार करनेवाले बड़े बदनसीब होते हैं !!
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
हमारी तमन्ना थी मोहब्बत में आशियाँ बनाने की,
बना चुके तो लग गयी नज़र ज़माने की,
उसी का क़र्ज़ है जो आज हैं आँखों में आँसू ,
आशियाँ बना के सजा मिली है मुस्कुराने की !!
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
सौजन्य.......
कंचन (मेरी दोस्त)
.
Posted by :-
Mr. Rakesh Ranjan
एक निशानी हूँ मैं.....
अगर रख सको तो एक निशानी हूँ मैं,
खो दो तो सिर्फ एक कहानी हूँ मैं,
रोक पाए न जिसको ये सारी दुनिया,
वो एक बूँद आँख का पानी हूँ मैं,
सबको प्यार देने की आदत है हमें,
अपनी अलग पहचान बनाने की आदत है हमे,
कितना भी गहरा जख्म दे कोई,
उतना ही ज्यादा मुस्कराने की आदत है हमें,
इस अजनबी दुनिया में अकेला ख्वाब हूँ मैं,
सवालो से खफा छोटा सा जवाब हूँ मैं,
जो समझ न सके मुझे उनके लिए "कौन",
जो समझ गए उनके लिए खुली किताब हूँ मैं,
आँख से देखोगे तो खुश पाओगे,
दिल से पूछोगे तो दर्द का सैलाब हूँ मैं,
"अगर रख सको तो निशानी खो दो तो सिर्फ एक कहानी हूँ मैं" !!!
सौजन्य.......
कंचन (मेरी दोस्त)
.
खो दो तो सिर्फ एक कहानी हूँ मैं,
रोक पाए न जिसको ये सारी दुनिया,
वो एक बूँद आँख का पानी हूँ मैं,
सबको प्यार देने की आदत है हमें,
अपनी अलग पहचान बनाने की आदत है हमे,
कितना भी गहरा जख्म दे कोई,
उतना ही ज्यादा मुस्कराने की आदत है हमें,
इस अजनबी दुनिया में अकेला ख्वाब हूँ मैं,
सवालो से खफा छोटा सा जवाब हूँ मैं,
जो समझ न सके मुझे उनके लिए "कौन",
जो समझ गए उनके लिए खुली किताब हूँ मैं,
आँख से देखोगे तो खुश पाओगे,
दिल से पूछोगे तो दर्द का सैलाब हूँ मैं,
"अगर रख सको तो निशानी खो दो तो सिर्फ एक कहानी हूँ मैं" !!!
सौजन्य.......
कंचन (मेरी दोस्त)
.
Posted by :-
Mr. Rakesh Ranjan
दिल बेकरार नहीं करते....
ऐसा नहीं है कि हम दिल बेकरार नहीं करते..
वो नहीं आयेंगे.. जानते हैं.. इसलिए हम इंतज़ार नहीं करते..
ये और बात है कि तड़पाया बहुत है मुझे अपनों ने..
पर हम अपनी नजरो में किसी को गुनहगार नहीं करते..
हम जानते हैं कि इज़हार-ऐ-मोहब्बत ज़रूरी है..
पर क्या करें... थोड़ी सी मजबूरी है..
कि लोग पूछते हैं कि हम क्यों इज़हार नहीं करते..
हम कहते हैं..
जो लफ्जों में बयाँ हो.. हम उतना प्यार नहीं करते.....
.
वो नहीं आयेंगे.. जानते हैं.. इसलिए हम इंतज़ार नहीं करते..
ये और बात है कि तड़पाया बहुत है मुझे अपनों ने..
पर हम अपनी नजरो में किसी को गुनहगार नहीं करते..
हम जानते हैं कि इज़हार-ऐ-मोहब्बत ज़रूरी है..
पर क्या करें... थोड़ी सी मजबूरी है..
कि लोग पूछते हैं कि हम क्यों इज़हार नहीं करते..
हम कहते हैं..
जो लफ्जों में बयाँ हो.. हम उतना प्यार नहीं करते.....
.
Posted by :-
Mr. Rakesh Ranjan
ये दूर जाने वाले.....
ये दूर जाने वाले कभी तो पलट के देखा होता,
एक साथी जो तेरा था वो राह में छूट गया!
प्यारे से बंधन को जो हम निभा रहे थे,
न जाने किसकी गलती से वो टूट गया!
अब तो तन्हाईया और गम ही संग हैं,
और साथ देने को आँखों से आँसू भी छूट गया!
न जाने कितने रंग दिखायेगी ये जिंदगी,
जब जिंदगी का सितारा ही टूट गया!
जिंदगी में प्यार का जो अनमोल खजाना था,
वो न जाने कौन अनजाना लूट गया!
दो पल की ये जिंदगी अब नजर आती है,
नजरो का सपना जब से टूट गया!
न हो तुम पर तुम्हारी यादे ही सही,
इन यादो का दामन तो न छूट गया!
प्यार बहुत किया था मैंने तुम्हे पागल,
पर एक मोड़ पे हाथो से हाथ छूट गया!!!
.
एक साथी जो तेरा था वो राह में छूट गया!
प्यारे से बंधन को जो हम निभा रहे थे,
न जाने किसकी गलती से वो टूट गया!
अब तो तन्हाईया और गम ही संग हैं,
और साथ देने को आँखों से आँसू भी छूट गया!
न जाने कितने रंग दिखायेगी ये जिंदगी,
जब जिंदगी का सितारा ही टूट गया!
जिंदगी में प्यार का जो अनमोल खजाना था,
वो न जाने कौन अनजाना लूट गया!
दो पल की ये जिंदगी अब नजर आती है,
नजरो का सपना जब से टूट गया!
न हो तुम पर तुम्हारी यादे ही सही,
इन यादो का दामन तो न छूट गया!
प्यार बहुत किया था मैंने तुम्हे पागल,
पर एक मोड़ पे हाथो से हाथ छूट गया!!!
.
Posted by :-
Mr. Rakesh Ranjan
दुनिया में रोने वालों...
दुनिया में रोने वालों की कमी नहीं है
मिलती है रोटी तो वो भी पचती नहीं है
स्लमडॉग बनी, तो पुरूषों ने आरोप लगाया
स्लमबीच पर क्यों कोई फ़िल्म बनती नहीं है?
नारी की दुर्दशा पर टप-टप टेसू बहाते हैं जो
मायावती, सोनिया क्यों उन्हें दिखती नहीं है?
नारी की हिमायत करने वालो, मैक्सिम तो देखों
फ़्रिडो है कवर पे, देव की तस्वीर कहीं नहीं है
न नारी है दूध की धुली, न आदमी है पापी
जब तक न हाथ मिलें, ताली बजती नहीं है ||
राहुल उपाध्याय
सिएटल 425-445-0827
मिलती है रोटी तो वो भी पचती नहीं है
स्लमडॉग बनी, तो पुरूषों ने आरोप लगाया
स्लमबीच पर क्यों कोई फ़िल्म बनती नहीं है?
नारी की दुर्दशा पर टप-टप टेसू बहाते हैं जो
मायावती, सोनिया क्यों उन्हें दिखती नहीं है?
नारी की हिमायत करने वालो, मैक्सिम तो देखों
फ़्रिडो है कवर पे, देव की तस्वीर कहीं नहीं है
न नारी है दूध की धुली, न आदमी है पापी
जब तक न हाथ मिलें, ताली बजती नहीं है ||
राहुल उपाध्याय
सिएटल 425-445-0827
Posted by :-
Mr. Rakesh Ranjan
Funny: मच्छरिया ग़ज़ल
मच्छरों ने हमको काटकर चूसा है इस तरह
आदमकद आइना भी अब जरा छोटा चाहिए ।
घर हो या दालान मच्छर भरे हैं हर तरफ
इनसे बचने सोने का कमरा छोटा चाहिए ।
डीडीटी, ओडोमॉस, अगरबत्ती, और आलआउट
अब तो मसहरी का हर छेद छोटा चाहिए ।
एक चादर सरोपा बदन ढंकने नाकाफी है
इस आफत से बचने क़द भी छोटा चाहिए ।
सुहानी यादों का वक्त हो या ग़म पीने का
मच्छरों से बचने अब शाम छोटा चाहिए ।
.
आदमकद आइना भी अब जरा छोटा चाहिए ।
घर हो या दालान मच्छर भरे हैं हर तरफ
इनसे बचने सोने का कमरा छोटा चाहिए ।
डीडीटी, ओडोमॉस, अगरबत्ती, और आलआउट
अब तो मसहरी का हर छेद छोटा चाहिए ।
एक चादर सरोपा बदन ढंकने नाकाफी है
इस आफत से बचने क़द भी छोटा चाहिए ।
सुहानी यादों का वक्त हो या ग़म पीने का
मच्छरों से बचने अब शाम छोटा चाहिए ।
.
Posted by :-
Mr. Rakesh Ranjan
Funny : मच्छर चालीसा
जय मच्छर बलवान उजागर, जय अगणित रोगों के सागर ।
नगर दूत अतुलित बलधामा, तुमको जीत न पाए रामा ।
गुप्त रूप घर तुम आ जाते, भीम रूप घर तुम खा जाते ।
मधुर मधुर खुजलाहट लाते, सबकी देह लाल कर जाते ।
वैद्य हकीम के तुम रखवाले, हर घर में हो रहने वाले ।
हो मलेरिया के तुम दाता, तुम खटमल के छोटे भ्राता ।
नाम तुम्हारे बाजे डंका ,तुमको नहीं काल की शंका ।
मंदिर मस्जिद और गुरूद्वारा, हर घर में हो परचम तुम्हारा ।
सभी जगह तुम आदर पाते, बिना इजाजत के घुस जाते ।
कोई जगह न ऐसी छोड़ी, जहां न रिश्तेदारी जोड़ी ।
जनता तुम्हे खूब पहचाने, नगर पालिका लोहा माने ।
डरकर तुमको यह वर दीना, जब तक जी चाहे सो जीना ।
भेदभाव तुमको नही भावें, प्रेम तुम्हारा सब कोई पावे ।
रूप कुरूप न तुमने जाना, छोटा बडा न तुमने माना ।
खावन-पढन न सोवन देते, दुख देते सब सुख हर लेते ।
भिन्न भिन्न जब राग सुनाते, ढोलक पेटी तक शर्माते ।
बाद में रोग मिले बहु पीड़ा, जगत निरन्तर मच्छर क्रीड़ा |
जो मच्छर चालीसा गाये, सब दुख मिले रोग सब पाये ।|
.
नगर दूत अतुलित बलधामा, तुमको जीत न पाए रामा ।
गुप्त रूप घर तुम आ जाते, भीम रूप घर तुम खा जाते ।
मधुर मधुर खुजलाहट लाते, सबकी देह लाल कर जाते ।
वैद्य हकीम के तुम रखवाले, हर घर में हो रहने वाले ।
हो मलेरिया के तुम दाता, तुम खटमल के छोटे भ्राता ।
नाम तुम्हारे बाजे डंका ,तुमको नहीं काल की शंका ।
मंदिर मस्जिद और गुरूद्वारा, हर घर में हो परचम तुम्हारा ।
सभी जगह तुम आदर पाते, बिना इजाजत के घुस जाते ।
कोई जगह न ऐसी छोड़ी, जहां न रिश्तेदारी जोड़ी ।
जनता तुम्हे खूब पहचाने, नगर पालिका लोहा माने ।
डरकर तुमको यह वर दीना, जब तक जी चाहे सो जीना ।
भेदभाव तुमको नही भावें, प्रेम तुम्हारा सब कोई पावे ।
रूप कुरूप न तुमने जाना, छोटा बडा न तुमने माना ।
खावन-पढन न सोवन देते, दुख देते सब सुख हर लेते ।
भिन्न भिन्न जब राग सुनाते, ढोलक पेटी तक शर्माते ।
बाद में रोग मिले बहु पीड़ा, जगत निरन्तर मच्छर क्रीड़ा |
जो मच्छर चालीसा गाये, सब दुख मिले रोग सब पाये ।|
.
Posted by :-
Mr. Rakesh Ranjan
ए मोहब्बत....
ए मोहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया
जाने क्यूँ आज तेरे नाम पे रोना आया.....
यू तो हर शाम उम्मीदों मे गुज़र जाती थी
आज कुछ बात है जो शाम पे रोना आया.....
कभी तक़दीर का मातम, कभी दुनिया का गिला
मंज़िल-ए-इश्क़ मे हर गम पे रोना आया......
जब हुआ ज़िक्र ज़माने मे मोहब्बत का
मुझको अपने दिल-ए-बेक़ाम पे रोना आया.....
.
जाने क्यूँ आज तेरे नाम पे रोना आया.....
यू तो हर शाम उम्मीदों मे गुज़र जाती थी
आज कुछ बात है जो शाम पे रोना आया.....
कभी तक़दीर का मातम, कभी दुनिया का गिला
मंज़िल-ए-इश्क़ मे हर गम पे रोना आया......
जब हुआ ज़िक्र ज़माने मे मोहब्बत का
मुझको अपने दिल-ए-बेक़ाम पे रोना आया.....
.
Posted by :-
Mr. Rakesh Ranjan
उनको ये शिकायत है...
उनको ये शिकायत है.. मैं बेवफ़ाई पे नही लिखता,
और मैं सोचता हूँ कि मैं उनकी रुसवाई पे नही लिखता.'
ख़ुद अपने से ज़्यादा बुरा, ज़माने में कौन है ??
मैं इसलिए औरों की.. बुराई पे नही लिखता.'
कुछ तो आदत से मज़बूर हैं और कुछ फ़ितरतों की पसंद है ,
ज़ख़्म कितने भी गहरे हों?? मैं उनकी दुहाई पे नही लिखता.'
दुनिया का क्या है हर हाल में, इल्ज़ाम लगाती है,
वरना क्या बात?? कि मैं कुछ अपनी.. सफ़ाई पे नही लिखता.'
शान-ए-अमीरी पे करू कुछ अर्ज़.. मगर एक रुकावट है,
मेरे उसूल, मैं गुनाहों की.. कमाई पे नही लिखता.'
उसकी ताक़त का नशा.. "मंत्र और कलमे" में बराबर है !!
मेरे दोस्तों!! मैं मज़हब की, लड़ाई पे नही लिखता.'
समंदर को परखने का मेरा, नज़रिया ही अलग है यारों!!
मिज़ाज़ों पे लिखता हूँ मैं उसकी.. गहराई पे नही लिखता.'
पराए दर्द को , मैं ग़ज़लों में महसूस करता हूँ ,
ये सच है मैं शज़र से फल की, जुदाई पे नही लिखता.'
तजुर्बा तेरी मोहब्बत का'.. ना लिखने की वजह बस ये!!
क़ि Rakesh इश्क़ में ख़ुद अपनी, तबाही पे नही लिखता...!!!"
और मैं सोचता हूँ कि मैं उनकी रुसवाई पे नही लिखता.'
ख़ुद अपने से ज़्यादा बुरा, ज़माने में कौन है ??
मैं इसलिए औरों की.. बुराई पे नही लिखता.'
कुछ तो आदत से मज़बूर हैं और कुछ फ़ितरतों की पसंद है ,
ज़ख़्म कितने भी गहरे हों?? मैं उनकी दुहाई पे नही लिखता.'
दुनिया का क्या है हर हाल में, इल्ज़ाम लगाती है,
वरना क्या बात?? कि मैं कुछ अपनी.. सफ़ाई पे नही लिखता.'
शान-ए-अमीरी पे करू कुछ अर्ज़.. मगर एक रुकावट है,
मेरे उसूल, मैं गुनाहों की.. कमाई पे नही लिखता.'
उसकी ताक़त का नशा.. "मंत्र और कलमे" में बराबर है !!
मेरे दोस्तों!! मैं मज़हब की, लड़ाई पे नही लिखता.'
समंदर को परखने का मेरा, नज़रिया ही अलग है यारों!!
मिज़ाज़ों पे लिखता हूँ मैं उसकी.. गहराई पे नही लिखता.'
पराए दर्द को , मैं ग़ज़लों में महसूस करता हूँ ,
ये सच है मैं शज़र से फल की, जुदाई पे नही लिखता.'
तजुर्बा तेरी मोहब्बत का'.. ना लिखने की वजह बस ये!!
क़ि Rakesh इश्क़ में ख़ुद अपनी, तबाही पे नही लिखता...!!!"
Posted by :-
Mr. Rakesh Ranjan
दुश्मन तो मगर...
न रोटी का चाहिये , न मुझे घर का चाहिये
लेकिन मुझे हिसाब, कटे सर का चाहिये
कमतर से दोस्ती मे शिकायत नहीं मुझे
दुश्मन तो मगर मुझको,बराबर का चाहिये
ऐसी लहर उठाये जो दुनिया को हिला दे
दर्जा अगर किसी को , समन्दर का चाहिये
बदला है क्या बताओ, संभलने के वास्ते
हमको सहारा आज भी, ठोकर का चाहिये
उनसे कहो कि हमको बुलाया नहीं करें
जिनको तमाशा मंच पे , जोकर क चाहिये
सादर
डा. उदय मणि
लेकिन मुझे हिसाब, कटे सर का चाहिये
कमतर से दोस्ती मे शिकायत नहीं मुझे
दुश्मन तो मगर मुझको,बराबर का चाहिये
ऐसी लहर उठाये जो दुनिया को हिला दे
दर्जा अगर किसी को , समन्दर का चाहिये
बदला है क्या बताओ, संभलने के वास्ते
हमको सहारा आज भी, ठोकर का चाहिये
उनसे कहो कि हमको बुलाया नहीं करें
जिनको तमाशा मंच पे , जोकर क चाहिये
सादर
डा. उदय मणि
Posted by :-
Mr. Rakesh Ranjan
हमें मालूम है तुमको..
शरारत बादलों की ये , धरा के साथ होती है
जरूरत किस जगह पर है , कहाँ बरसात होती है
हमें मालूम है तुमको बहुत अच्छा नहीं लगता
तुम्हारी महफिलों में जब , हमारी बात होती है
हमारी जिंदगी तो जंग के , मैदान जैसी है
जहाँ कमजोर लोगों की , हमेशा मात होती है
ये दहशतगर्द हैं इनको , किसी मजहब से मत जोडो
न इनका धर्म होता है , न इनकी जात होती है
उदय तुम जिस जगह पर हो , वहीं पे दिन निकलता है
जहाँ पे तुम नहीं होते , वहाँ पे रात होती है
..... डा उदय 'मणि '
जरूरत किस जगह पर है , कहाँ बरसात होती है
हमें मालूम है तुमको बहुत अच्छा नहीं लगता
तुम्हारी महफिलों में जब , हमारी बात होती है
हमारी जिंदगी तो जंग के , मैदान जैसी है
जहाँ कमजोर लोगों की , हमेशा मात होती है
ये दहशतगर्द हैं इनको , किसी मजहब से मत जोडो
न इनका धर्म होता है , न इनकी जात होती है
उदय तुम जिस जगह पर हो , वहीं पे दिन निकलता है
जहाँ पे तुम नहीं होते , वहाँ पे रात होती है
..... डा उदय 'मणि '
Posted by :-
Mr. Rakesh Ranjan
खूबसूरत है वो...
खूबसूरत है वो लब जिन पर दूसरों के लिए कोई दुआ आ जाए,
खूबसूरत है वो मुस्कान जो दूसरों की खुशी देख कर खिल जाए,
खूबसूरत है वो दिल जो किसी के दुख मे शामिल हो जाए,
खूबसूरत है वो जज़बात जो दूसरो की भावनाओं को समज जाए,
खूबसूरत है वो एहसास जिस मे प्यार की मिठास हो जाए,
खूबसूरत है वो बातें जिनमे शामिल हों दोस्ती और प्यार की किस्से, कहानियाँ,
खूबसूरत है वो आँखे जिनमे किसी के खूबसूरत ख्वाब समा जाए,
खूबसूरत है वो हाथ जो किसी के लिए मुश्किल के वक्त सहारा बन जाए,
खूबसूरत है वो सोच जिस मैं किसी कि सारी ख़ुशी झुप जाए,
खूबसूरत है वो दामन जो दुनिया से किसी के गमो को छुपा जाए,
खूबसूरत है वो किसी के आँखों के आसूँ जो किसी के ग़म मे बह जा
खूबसूरत है वो मुस्कान जो दूसरों की खुशी देख कर खिल जाए,
खूबसूरत है वो दिल जो किसी के दुख मे शामिल हो जाए,
खूबसूरत है वो जज़बात जो दूसरो की भावनाओं को समज जाए,
खूबसूरत है वो एहसास जिस मे प्यार की मिठास हो जाए,
खूबसूरत है वो बातें जिनमे शामिल हों दोस्ती और प्यार की किस्से, कहानियाँ,
खूबसूरत है वो आँखे जिनमे किसी के खूबसूरत ख्वाब समा जाए,
खूबसूरत है वो हाथ जो किसी के लिए मुश्किल के वक्त सहारा बन जाए,
खूबसूरत है वो सोच जिस मैं किसी कि सारी ख़ुशी झुप जाए,
खूबसूरत है वो दामन जो दुनिया से किसी के गमो को छुपा जाए,
खूबसूरत है वो किसी के आँखों के आसूँ जो किसी के ग़म मे बह जा
Posted by :-
Mr. Rakesh Ranjan
Subscribe to:
Posts (Atom)