मैं ख्वाबों से निकलना चाहता हूँ
तुम्हारे साथ-साथ चलना चाहता हूँ
दर्द है क्या, समझाने की खातिर
मैं तुमसे दिल बदलना चाहता हूँ
जिया हूँ मैं इक पत्थर की तरह
अब बनके मोम जलना चाहता हूँ
वफा करने से कुछ हासिल नहीं है
जफा में अब, मैं पलना चाहता हँ
गमों में तो जला हूँ मैं अब
तेरी खुशियों में ढलना चाहता हूँ
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment