खुद को मेरा दोस्त बताने वाले
तुम भी निकले मुझे सताने वाले
झूठे भी हो तुम फरेबी भी हो
सब हुनर हैं तुझमें जमाने वाले
पाँचों उंगलियाँ बराबर नहीं होती
बेवजह मुझको बुरा बताने वाले
मेरे दीदार को तरसते थे कभी
आज हमसे यूँ नज़र चुराने वाले
दिल आसूदा है, तेरा दर्द पाकर भी
ओ बन्दा-नवाज मुझे भुलाने वाले
दिल मुश्ताक़े दीद है 'राकेश' का
मुझको यादों से मिटाने वाले
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