सोचा करता हूँ कभी कभी -
मैं कौन हूँ क्या पहचान मेरी ?
क्या मैं इक माँ का बेटा हूँ
जिस पर कि नेह बरसता है
माँ के शीतल आँचल में जिसे
बैकुंठ - सा ही सुख मिलता है
या भाई हूँ बहनो का
जिनसे जितना है प्यार मिला
नही अणु धरा पर हैं उतने
औ` ना ही अम्बर में तारे
या प्रेमी हूँ उस बाला का
मन में है जो, और है भी नही
सोचा करता नित उसको ही
जिसका मुझको कुछ पता नही
खोजे चलती हैं नित मन में
प्रश्नों के ज्वार भी उठते हैं
मन लंबे डग ले चलता है
यादों के दल आ जुटते हैं
यह मौन प्रश्न नित मुखरित हो
मेरे ही इस अंतर्मन में
उठता है , कहता है मुझसे
मैं कौन हूँ, क्या पहचान मेरी?
उत्तर जिस दिन पा गया कभी
वह दिवस पता कब आएगा
उस दिन मेरा मन मुझ से ही
पहचान मेरी करवाएगा !!
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